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लखनऊ। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के निर्देश पर पुरातत्व विभाग बीरबल के महल को संरक्षित करेगा। इसके साथ ही प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्थित स्मारकों व स्थलों को राजकीय संरक्षण में लिये जाने के प्रस्ताव के अंतर्गत क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित प्रचीन स्मारकों एवं स्मारकों को लिया जायेगा। इसके अंतर्गत झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा तथा जालौन में स्थित 20 स्मारकों को चिन्हित किया गया है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि जनपद जालौन में स्थित बीरबल का महल संरक्षित अवस्था में मौजूद है और अतिक्रमण रहित है। मुगल कालीन यह संरचना गजशाला स्थापत्य कला का दुर्लभ नमूना है। पुरातत्व विभाग इसे राजकीय संरक्षण में लेकर इसका रख-रखाव एवं जीर्णोद्धार का कार्य करेगा। उन्होंने बताया कि जालौन जनपद मुख्यालय उरई से लगभग 25 किमी0 की दूरी पर स्थित कालपी एक ऐतिहासिक स्थल है इसका इतिहास पाषाणकाल से शुरू होता है। मुगलकाल में इस स्थान का राजनैतिक महत्व था। 16वीं ई0 में निर्मित बीरबल के महल अथवा बीरबल की रंगशाला के नाम से यह भवन प्रसिद्ध है। इस भवन के निर्माण में अनगढ़ पत्थरों एवं लाखौरी ईंट का प्रयोग हुआ है। श्री सिंह ने बताया कि बीरबल के महल के रूप में विख्यात इस भवन को संरक्षित करके इसके गौरवशाली इतिहास को भावी पीढ़ी को परिचित कराने के लिए पुरातत्व विभाग इसे राजकीय संरक्षण में लिये जाने का प्रस्ताव किया है।