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नए साल में आम लोगों के लिए अच्छी खबर नहीं आने वाली. देश के लोगों का बजट जनवरी के महीने में बिगड़ सकता है. इसका कारण है गेहूं के दाम , जो जनवरी के महीने में 2 हजार रुपए प्रति टन बढ़ सकते हैं. रॉयटर की रिपोर्ट के अनुसार भारत का गेहूं भंडार दिसंबर के महीने में 6 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है और आने वाले दिनों में कोई नई सप्लाई होने की संभावना नहीं है. जिसकी वजह से गेहूं की कीमतों में और उछाल देखने को मिल सकता है.
दिसंबर के लिए सरकारी गोदामों में रखा गया भारतीय गेहूं भंडार छह साल में सबसे कम हो गया है. इसका कारण बढ़ती मांग और कम होते स्टॉक की वजह से कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं. इस महीने की शुरुआत में भंडार में गेहूं का स्टॉक कुल 19 मिलियन टन था, जो 1 दिसंबर, 2021 को 37.85 मिलियन टन था. दिसंबर के लिए मौजूदा स्टॉक 2016 के बाद से सबसे कम है, जब 2014 और 2015 में बैक-टू-बैक सूखे के कारण जिससे गेहूं का उत्पादन कम हो गया था और इन्वेंट्री गिरकर 16.5 मिलियन टन हो गई थी.
मुंबई स्थित एक डीलर ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि नई फसल की सप्लार्अ चार महीने बाद ही शुरू होगी. कीमतों को स्थिर रखने का सरकार का काम हर महीने कठिन होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि कीमतों को कम करने के लिए सरकार एक महीने में 2 मिलियन टन से अधिक जारी नहीं कर सकती है. बाजार को और अधिक की जरूरत है क्योंकि किसानों की सप्लाई लगभग बंद हो गई है और व्यापारी धीरे-धीरे स्टॉक जारी कर रहे हैं.
भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में सरकारी भंडार लगभग 2 मिलियन टन कम हो गया. दुनिया के दूसरे सबसे बड़े अनाज उत्पादक देश भारत में मई में निर्यात पर प्रतिबंध लागू करने के बावजूद भारत में गेहूं की कीमतों में तेजी आई है क्योंकि फसल की पैदावार में अचानक गिरावट आई थी. मई में निर्यात पर प्रतिबंध के बाद से स्थानीय गेहूं की कीमतें लगभग 28 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. मंगलवार को गेहूं के दाम 26,785 रुपये प्रति टन पर थे. नई दिल्ली के एक व्यापारी ने कहा कि नए सीजन में गेहूं का उत्पादन सामान्य स्तर तक बढ़ जाएगा, लेकिन अप्रैल से नए सीजन की आपूर्ति में तेजी आने तक कीमतें ऊंची रहेंगी.
कमोडिटी के जानकार अनुज गुप्ता का कहना है कि इस बार पीछे से सप्लाई काफी कम हुई है और सरकार की फ्री राशन योजना भी जारी है, जिसकी वजह से भंडार में काफी गिरावट आई है और कीमतों में तेजी बनी हुई है. उन्होंने कहा कि जनवरी के महीने में गेहूं की कीमतों में 2,000 रुपये प्रति टन का इजाफा हो सकता है. इसका मतलब है कि गेहूं के दाम 29 हजार टन के आसपास पहुंच जाएंगे.
भारतीय किसानों ने 1 अक्टूबर से 25.6 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है, जब मौजूदा बुवाई का मौसम शुरू हुआ था, जो एक साल पहले की तुलना में 25.4 फीसदी अधिक है. अनुज गुप्ता के अनुसान मार्च के बाद रिकॉर्ड सप्लाई आने की संभावना है. इसका कारण रिकॉर्ड प्रोडक्शन को माना जा रहा है. जिसकी वजह से कीमतें 25 हजार प्रति टन तक गिर सकती हैं.