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लखनऊ। साहित्य समाज का दर्पण है, समाज का प्रतिबिम्ब है, समाज का मार्ग दर्शक है और लोकजीवन का अभिन्न अंग है। यह बातें यू.पी.प्रेस क्लब में साहित्यगन्धा प्रकाशन से प्रकाशित रज्जन लाल की प्रकाशित कृति काव्य सुगंध के लोकार्पण अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि हिन्दी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ उदय प्रताप सिंह ने कहीं। उन्होने कहा कि रज्जन लाल ने अपनी कृति काव्य सुगंध में जीवन के सभी पहलुओं को उकेरा है, इसके साथ ही सामाजिक यथार्थ को एक दिशा देने का सार्थक प्रयास किया है। इनकी पुस्तक में काव्य के प्रत्येक विधा मुखर हुई है। विशिष्ट अतिथि पृथ्वी राज चौहान पूर्व निदेशक आकाशवाणी ने कहा की रज्जन लाल की कृति में गीतों की भाषा सरल और सहज है, जिसे आसानी से गाया जा सकता है। इस पुस्तक में निहित भजन भक्ति भाव के वाहक हैं और काव्य सुगंध के माध्यम से रज्जन लाल कवि के रूप में प्रकट हुए हैं। सर्वेश अस्थान ने कहा कि कृति काव्य सुगंध एक प्रकार से गागर में सागर है। रज्जन लाल ने अपनी कृति काव्य सुगंध में जीवन के सभी पहलुओं का संस्पर्श किया है। इनकी प्रत्येक रचना सामाजिक समता की वकालत करती है, सामाजिक सदभाव का समर्थन करती है। वही राजेश अरोरा शलभ ने कहा कि काव्य सुगंध एक ऐसा दस्तावेज है जिसमे काव्य और भाव पक्ष दोनों निहित हैं। इनके कृतित्व मे सजग व्यक्ति की संवेदना परिलक्षित होती है। मुकुल महान ने कहा कि रज्जन लाल की कृति काव्य सुगंध में साहित्यिक संवेदना के साथ जीवन का यथार्थ उजागर होता है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रज्जन ने अपनी कृति के माध्यम से हर वर्ग को प्रेरणा देने की कोशिश की है जो उनकी अदुतिय रचनाधर्मिता को प्रदर्शित करता है। कार्यक्रम का संचालन मुकुल महान और धन्यवाद ज्ञापन रज्जन लाल ने दिया। इस अवसर पर मयंक रंजन, बाल कृष्ण शर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के आलावा तमाम साहित्यसुधी उपस्थित थे।