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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ःलखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग और हेड डिजिटल वर्क्स के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुए ‘मोबाइल गेमिंग डीएडिक्शन अभियान के अंतर्गत “खेलो! मगर ध्यान से” कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के उप-मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि . “शराब के नशे जैसी घातक है ऑनलाइन गेमिंग की लत. आप सब विद्यार्थियों के मातापिता विद्यालय, विश्वविद्यालय आपको पढने के लिए भेजते हैं यहाँ से निकलकर आप आईएस, आईपीएस, जन नेता बने तो ठीक हैं वरना जीवन बर्बाद करने से अधिक कुछ नहीं होगा. आप विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी बन सकते हैं लेकिन इन सबको पाने के लिए आपको मोबाइल की लत छोडनी ही होगी. मोबाइल हमारी जरूरत का एक संसाधन है जो हमारी आदत न बने तो ज्यादा बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी मोबाइल गेमिंग की लत को बच्चों से दूर करने की नीतियां बना रहे है और जल्दी ही ऐसी कई नीतियां हमारे सामने होंगी. उन्होंने हेड डिजिटल वर्क्स और समाज कार्य विभाग को अपना धन्यवाद भी दिया कि उन्होंने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया.
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि सहभाग कर रहे प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि यदि भारत को पुनः विश्व गुरु बनना है तो आप सभी युवाओं को मोबाइल की लत छोडनी होगी. आपके ऊपर देश का उत्तरदायित्व है और यदि जिम्मेदारी उठाने वाले कंधे मोबाइल की लत से कमजोर पड़ जायेंगे तो देश का विकास ही धीमा पड़ जायेगा. और देश का धीमा विकास हमारी पीढ़ियों के लिए खतरनाक होगा. इसलिए बहुत जरूरी है कि मोबाइल को जरूरत बनाया जाए न कि लत. उन्होंने बताया कि बेटिंग से दूर रहकर आप अपना समाजीकरण में ध्यान लगायें.
इसके पहले समाज कार्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय ने सबका स्वागत करते हुए कार्यक्रम के बारे बताया और हेड डिजिटल वर्क्स की सराहना करते हुए उन्हें धन्यवाद भी दिया विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर अरविन्द अवस्थी ने ऑनलाइन गेमिंग का पूरा अर्थशास्त्रीय पक्ष सबके सामने रखा और हेड डिजिटल वर्क्स को धन्यवाद् देते हुए कहा कि आप विश्वविद्यालय में ऐसे जागरूकता कार्यक्रम के लिए हमेशा आमंत्रित है.
भारत की अग्रणी मोबाइल गेमिंग कंपनी हेड डिजिटल वर्क्स के उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि आज मोबाइल के माध्यम से बहुत सारे प्रलोभन दिए जा रहे है. लेकिन आपको किसी भी लालच में नहीं फंसना है. ऑनलाइन गेमिंग में लोग इनाम के चक्कर में गेम खेलने लगते है फिर उनको इसकी लत लग जाती है. एक बात हमेशा ध्यान रखिये कि यह एक रोग की तरह और यह रोग लालच में बढ़ता चला जाता है. कंपनी के एक्सपर्ट रोहित सिंह ने एक प्रस्तुतिकरण के माध्यम से बताया कि मोबाइल गेमिंग में हमें किस तरह अन्दर जाना है. किन बातों को चेक करना है और कितना समय गेमिंग में देना है. उन्होंने कहा कि आप कुछ बातें ध्यान में रखें जैसे- समय सीमा, बजट, सेट डेली लीमिट और सेल्फ एक्सक्लूशन. इस दौरान बच्चों ने उनसे कई सवाल भी किये. जिनका समाधान भी तत्समय ही किया गया.
कार्यक्रम में लखनऊ पश्चिम के एडिशनल पुलिस कमिश्नर एवं साइबर एक्सपर्ट चिरंजीव नाथ सिन्हा ने अपने व्याख्यान में कहा कि ऑनलाइन खेलना ही क्यों, जब आपके पास मनोरंजन के लिए किताब, गायन और मैदानी खेल पहले से ही हैं. जिनसे आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहेगा. यदि खेल ही रहे हैं तो बिना सोचे समझे किसी नोटिफिकेशन का जवाब न दें. साथ ही उन्होंने साइबर ट्रैप से बचने के लिए भी बच्चों को प्रशिक्षित किया.
बतौर साइबर एक्सपर्ट और मनोवैज्ञानिक कार्यक्रम में आमंत्रित प्रोफेसर प्रदीप कुमार खत्री ने बताया कि अगर हम मोबाइल प्रबंधन नहीं करते हैं तो हमें मनो-चिकित्सक के पास जाने से कोई नहीं रोक सकता है. उन्होंने अपने अनुभवों को बच्चों के साथ साझा भी किया. हमें मोबाइल के उपयोग को रोकने के लिए अलार्म कि जरूरत है. कुप्रबंधन की वजह से भारत में मोबाइल डीएडिक्शन केंद्र खुलते चले जा रहे हैं.
कार्यक्रम के समापन में उम्मीद संस्था के बलबीर सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया. कार्यकम में विभाग वरिष्ठतम प्रोफेसर डॉ. राज कुमार सिंह, कुलानुशासक प्रोफेसर राकेश द्विवेदी, डॉ. रजनीश कुमार यादव, डॉ. ओमेन्द्र कुमार यादव, डॉ. गरिमा सिंह, डॉ. शिखा सिंह, डॉ. रमेश कुमार त्रिपाठी, डॉ. अन्विता वर्मा, डॉ. रोहित मिश्र सहित कई अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे.