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लखनऊ. वैसे तो श्रावण मास का हर दिन ही अपने आप में पावन है. लेकिन इस महीने में आने वाले सोमवार, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि की विशेष मान्यता है. इस दौरान शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. सावन के महीने में आज हम आपको बताएंगे परशुरामेश्वर पुरामहादेव मन्दिर के बारे में, जो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के पास स्थि?त है और लोगों की आस्था का केंद्र है. हर साल श्रावण मास की शिवरात्रि पर यहां चार दिवसीय मेले का आयोजन होता है. इसे कांवड़ मेला कहा जाता है. इस दौरान यहां लाखों की तादाद में कांवडि़ए हरिद्वार से नंगे पैर चलकर गंगा जल लेकर आते हैं और महादेव का जलाभिषेक करते हैं. महादेव की भक्ति के आगे इन कांवडय़िों को अपने कष्ट नजर नहीं आते. नंगे पैर यात्रा करते समय कांवडय़िों को न पैरों में छाले पडऩे की चिंता होती है और न ही मॉनसून में पडऩे वाली बारिश की. बस, पुरामहादेव की झलक पाने और उनका जलाभिषेक करने की धुन सवार रहती है. आइए जानते हैं पुरामहादेव मंदिर की महिमा.
महादेव का ये मंदिर बागपत जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर पुरा गांव में हिंडन नदी के किनारे बना बना है. कहा जाता है कि इसी स्थान पर ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नी रेणुका के साथ रहा करते थे. कहा जाता है कि इसी स्थान पर परशुराम ने अपने पिता जमदग्नि की आज्ञानुसार अपनी मां रे?णुका का सिर धड़ से अलग कर दिया था. इसके बाद पश्चाताप करने के लिए उन्होंने इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की और शिव जी की घोर तपस्या की थी. परशुराम जी के तप से प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और उनकी मां को पुन: जीवित कर दिया. साथ ही, भगवान शिव ने परशुराम को एक फरसा दिया, जिससे उन्होंने 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था. पुरा नामक स्थान पर होने और परशुराम द्वारा इस शिवलिंग की स्थापना करने के कारण इस मंदिर को परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
समय के साथ वो स्थान खंडहर में तब्दील हो गया और शिवलिंग भी कहीं मिट्टी में दब गया. कहा जाता है कि एक बार लणडोरा की रानी घूमने के लिए निकलीं, तो उनका हाथी उस स्थान पर रुक गया. लाख कोशिशों के बाद भी हाथी आगे बढऩे को तैयार नहीं हुआ. इस पर रानी को बड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने उस स्थान की खुदाई करने का आदेश दिया. टीले की खुदाई करते समय वहां से ?ये शिवलिंग प्राप्त हुआ. इसके बाद रानी ने वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया.
आज ये मंदिर भक्तों की विशेष आस्था का केंद्र बना हुआ है. हर साल सावन शिवरात्रि पर यहां चार दिवसीय कांवड़ मेले का आयोजन किया जाता है. इस साल का कांवड़ मेला आज 25 जुलाई सोमवार से शुरू हो चुका है और 28 जुलाई तक चलेगा. इस बीच यहां कांवडय़िों की भारी भीड़ जुटती है, जिनकी व्यवस्था के लिए प्रशासन को विशेष प्रबंन्ध करने पड़ते हैं. कोरोना के बाद पहली बार अब बागपत के पुरा मंदिर में मेला लग रहा है. ऐसे में करीब 30 लाख कांवडय़िों के मंदिर में आने और जलाभिषेक करने की उम्मीद है. इस बीच मंदिर परिसर में कांवडय़िों पर हेलीकॉप्टर से प्रशासन द्वारा पुष्पवर्षा की जाएगी और मन्दिर में सुरक्षा की दृष्टि से एटीएस के कमांडो भी तैनात किए गए हैं. इसके अलावा ड्रोन व हेलिकॉप्टर से यहां सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की जाएगी.
कहा जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. परशुरामेश्वर पुरा महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित जय भगवान बताते हैं कि मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए रोजाना कांवड़िए और श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. भीड़ को देखते हुए लग रहा है कि कांवडय़िों और श्रद्धालुओं की संख्या इस बार रिकॉर्ड तोड़ देगी. पुजारी जी के अनुसार 26 जुलाई को शाम 06:48 बजे पर यहां झंडारोहण किया जाएगा.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारितहैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)