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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सीतापुर में कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही को अपने ही जिले के अधिकारियों की मनमानी के चलते धरने पर बैठना पड़ा. डीएम कार्यालय के सामने ही अपने ही कार्यकर्ताओं के साथ राज्यमंत्री धरने पर बैठ गए. राज्यमंत्री के धरने पर बैठने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के हाथ पांव फूल गए. आनन-फानन में डीएम-एसपी ने मौके पर पहुंचकर राज्यमंत्री को उठाया और अपने साथ डीएम के केबिन में लेकर चले गए. राज्यमंत्री ने पुलिस-प्रशासन पर मनमानी करने आरोप लगाया है.
बता दें, हरगांव सुरक्षित सीट से बीजेपी के सुरेश राही विधायक हैं और योगी 2.0 की सरकार में कारागार राज्यमंत्री हैं. सुरेश राही का आरोप है कि पिपराभीरी गांव में मौजूदा प्रधान पति एक हिस्ट्रीशीटर है, लेकिन पुलिस ने उसे सुरक्षा दे रखी है. राज्यमंत्री सुरेश राही का कहना है कि वह दबंग है और गांव में बनी गौशाला से रात में पशुओं को निकाल देता है.
ग्रामीण जब इसका विरोध करते हैं तो मारपीट करता है. ग्रामीणों ने मुकदमा लिखवाया तो बदले में प्रधान पति ने पुलिस के साथ मिलकर क्रॉस मुकदमा दर्ज करा दिया. राज्यमंत्री ने बताया कि उसके बाद उस प्रधान पति ने अंबेडकर की मूर्ति भी तुड़वा दी तो स्वयं उन्होंने पुलिस अधीक्षक से जांच कराकर प्रधान पति के खिलाफ कार्रवाई की बात कही.
सुरेश राही का आरोप है कि मेरे कहने के बाद भी एसपी ने हीलाहवाली की और उसके बाद प्रधान पति के इशारे पर 170 ग्रामीणों के खिलाफ एसडीएम सदर ने ग्राम समाज की जमीन पर कब्जे का आरोप लगाकर 107/16 की नोटिस भिजवा दिया. राज्यमंत्री ने जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
डीएम-एसपी से केबिन में वार्ता के बाद राज्यमंत्री ने बताया कि वह प्रशासन से नाराज नहीं थे और वह सिर्फ अपनी जनता को न्याय दिलाने के लिए जमीन से जुड़ी जनता के साथ बैठे थे. इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया कि सीतापुर का जिला प्रशासन का रवैया कैसा है? जब राज्यमंत्री को अपनी बात सुनवाने के लिए धरने पर बैठना पड़ा तो आम जनता का क्या हाल होगा.