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डीजीपी पद के लिए लड़ रहे पंजाब के दो सीनियर ब्यूरोक्रेट्स, आज ट्रिब्यूनल में सुनवाई

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नई दिल्ली। पंजाब के डीजीपी के पद पर नियुक्ति के लिए दो आईपीएस अधिकारी आपस में विवादों में पड़ गए हैं. एक तरफ आईपीएस वीके भावरा हैं, जिनका 35 सालों का बेदाग सर्विस रिकॉर्ड है और वह अपने डेडिकेशन और प्रोफेशनलिज्म के लिए जाने जाते हैं. दूसरी तरफ आईपीएस गौरव यादव हैं, जो अभी पंजाब पुलिस के डीजीपी हैं. भावरा ने पंजाब पुलिस के महानिदेशक के रूप में गौरव यादव की नियुक्ति को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है, जिसपर आज, 30 अक्टूबर को सुनवाई होगी.
विवाद उस कथित अवैध तरीके को लेकर है जिसमें गौरव यादव को पंजाब पुलिस के डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया था. भावरा का तर्क है कि यादव की नियुक्ति पंजाब पुलिस अधिनियम 2007 के प्रावधानों और प्रकाश सिंह और अन्य के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन है. भावरा का दावा है कि यूपीएससी द्वारा सिफारिश किए जाने और पहले की गई नियुक्ति की तरह पंजाब पुलिस के डीजीपी के पद पर उन्हें बहाल किया जाना चाहिए.
कौन हैं आईपीएस वीके भावरा?
वीके भावरा 1987 बैच के बेहद कुशल आईपीएस अधिकारी हैं. पंजाब पुलिस के चीफ के तौर पर नियुक्ति के लिए यूपीएससी ने 2020 और 2022 में उनकी सिफारिश की थी. उन्होंने अपने 35 साल के लंबे करियर में विभिन्न बड़े पदों पर काम किया है. फिलहाल वह पंजाब में डीजीपी होम गार्ड के पद पर हैं. भावरा ने इंटेलिजेंस, प्रोविजनिंग एंड मॉर्डनाइजेशन, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड टेलीकम्युनिकेशन और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में काम किया है.
भावरा को उनकी सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक और विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उन्होंने असम और भारत सरकार के इंटेलिजेंस ब्यूरो में भी प्रमुख पदों पर काम किया है. पंजाब में, उन्होंने कानून और व्यवस्था बनाए रखने में अपनी विशेषज्ञता का लोहा मनवाया और मनसा के एसएसपी, पटियाला रेंज के डीआइजी और बठिंडा में आईजी के पद पर काम किया है.
भावरा के परिवार का पत्रकारिता से भी जुड़ा है. उनके पिता, गोपालराम, जिनका नौ महीने पहले 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया, एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उनके भाई, योगेश भावरा और उनकी पत्नी वरिष्ठ पत्रकार हैं. इनके अलावा भावरा की पत्नी एक प्रतिष्ठित आईएएस अधिकारी हैं. 20 फरवरी के विधानसभा चुनावों के लिए आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले 8 जनवरी को भावरा को पंजाब के डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन आम आदमी पार्टी इससे नाखुश थी. पता चला कि आप सरकार भावरा के कानून-व्यवस्था संकट से निपटने के तरीके से संतुष्ट नहीं थी. इस बीच वह छुट्टियों पर भेज दिए गए. भावरा 31 मई 2024 को वह रिटायर होने वाले हैं.
कौन हैं आईपीएस गौरव यादव?
गौरव यादव वर्तमान में पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के रूप में नियुक्त हैं. उन्हें पिछले साल जुलाई में कार्यवाहक डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया था और अब आठ महीने से अधिक समय से वह इस पद पर हैं. उनकी नियुक्ति वीरेश कुमार भावरा को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद हुई.
1992 बैच के आईपीएस यादव को 1987 बैच और अब विशेष डीजीपी (इंटेलिजेंस) प्रबोध कुमार, विशेष डीजीपी रेलवे संजीव कालरा (1989 बैच) और उनके अपने बैचमेट शरद सत्य चौहान और हरप्रीत सिंह सिद्धू की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए इस पद के लिए चुना गया था. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक, वे सभी डीजीपी पद के योग्य हैं.
गौरव यादव, पहले से ही मुख्यमंत्री भगवंत मान के विशेष प्रधान सचिव के रूप में काम कर रहे हैं और उन्हें आप राष्ट्रीय आलाकमान का करीबी माना जाता है. राज्य सरकार ने डीजीपी के अधीन काम करने वाले यादव से वरिष्ठ अधिकारियों को नियमित पोस्टिंग से हटाकर उन स्वतंत्र पोस्टिंग पर भेजने का भी आदेश जारी किया है, लेकिन ये आदेश वापस ले लिए गए और इस संबंध में नए आदेश जारी होने की संभावना है.

 

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