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लखनऊ। कृषि कानून की समाप्ति के बाद निदेशक मंडी परिषद अंजनी कुमार सिंह ने एक बार फिर से मंडियों की आय बढ़ाने का बीड़ा उठा लिया है, उन्होंने इस बावत प्रदेश के सभी मंडी सचिवो को विस्तृत दिशा निर्देश भी दिए हैं, मंडी निदेशक के निर्देश पर मंडी सचिवों ने भी प्रवर्तन की कार्यवाही में तेजी दिखाना शुरू कर दिया है। ज्ञात हो कि, बीती 1 दिसंबर 2021 को कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के बाद प्रदेश की मंडियों में पुनः टैक्स वसूली की पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गयी है।
आपको बताते चले कि बीती 5 जून 2020 को कृषि कानून लागू कर दिया गया था, जिसके बाद प्रदेश की मंडी स्थलों के बाहर व्यापार कर मुक्त कर दिया गया था, जिससे मंडी स्थलो के बाहर व्यापार करने वाले व्यापारियो को किसी भी प्रकार का मंडी शुल्क या विकास सेस नहीं लिया जाता था। इसका सीधा खामियाजा मंडियों की आय पर पड़ा, विभाग का सालाना टर्न ओवर कम होता चला गया, जिसका असर विभाग के कामों में देखने को मिला, बजट के आभाव में उन्हीं कामों को तरजीह दी गयी, जिसकी बहुत सख्त जरूरत थी। मंडी की दोहरी नीति से व्यापारी भी परेशान थे। मंडी का लाइसेंस से लेकर व्यापार कर रहे आढ़तियों को टैक्स देना पड़ रहा था। जबकि मंडी के बाहर बगैर लाइसेंस फल सब्जी से लेकर अनाज तक का व्यापार बिना कोई टैक्स दिये व्यापार धड़ल्ले से चल रहा था। जिसका सीधा प्रभाव मंडी की आय पर पड़ा था। फल सब्जी के अधिकांश व्यापारियों ने मंडी के लाइसेंस भी सरेंडर कर दिये थे। बीती 1 दिसंबर 2021 को कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के बाद प्रदेश की मंडियों में पुनः टैक्स वसूली की पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गयी है। कृषि कानून की समाप्ति के बाद फिर से मंडी शुल्क लागू कर दिया है। ऐसा करने से घाटे में जा रही मंडियों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। नयी कृषि नीति लागू होने के बाद मंडी से बाहर व्यापार टैक्स फ्री कर दिया था। लेकिन अब व्यापारियों को मंडी गेट से भी अनाज, फल समेत अन्य सामान की खरीददारी करने पर डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क देना होगा। जो नहीं देगे उनके खिलाफ मंडी अफसर कार्रवाई करेंगे। कृषि बिल वापस होने के बाद विभाग के अधिकारी भी दबी जुबान से स्वीकारते हैं कि इससे अब मंडी समिति की आय में बढ़ोत्तरी होगी। डेढ़ साल में मंडी की आय आधे से भी कम रह गई थी। अब फिर से मंडी आर्थिक रूप से मजबूत हो जायेगी। उधर मंडी निदेशक अंजनी कुमार सिंह ने भी मंडी परिषद की आर्थिक स्थिति को सुधारने के दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है। शुल्क वसूली और राजस्व बढ़ाने को लेकर प्रदेश के मंडी सचिवों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये जा चुके हैं। मंडी सचिवों के स्तर प्रवर्तन की कार्यवाही तेज कर दी गयी है। प्रवर्तन टीमों द्वारा ऐसे वाहनों पर नजर रखी जा रही है, जो बिना मंडी शुल्क जमा किये कृषि उत्पादों को इधर से उधर ले जाकर व्यापार कर रहा है। इसके आलावा मंडी निदेशक की ओर से सभी व्यापारियों से यह अपील भी की है कि, व्यापारी अपने अपने लाइसेंसों का नवीनीकरण करवा लें, व जिन व्यापारियों ने लाइसंेस नहीं बनवाया है वह भी अपना नवीन लाइसेंस बनवा लें, जिससे भविष्य में व्यापारियों को व्यापार करने में किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।