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बिहार में फर्जी डॉक्टरों और फर्जी फार्मासिस्टों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे फार्मासिस्ट और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर सरकार को फटकारते हुए कहा है कि अदालत उसे लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दे सकती. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट में बिहार में फर्जी फार्मासिस्ट और फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग वाली अर्जी पर दोबारा सुनवाई करने केलिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में काम कर रहे फर्जी फार्मासिस्ट के खिलाफ कार्रवाई की मांग के साथ पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर मुकेश कुमार कीअपील पर अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फार्मेसी काउंसिल और बिहार सरकार को यह तय करने को कहा है कि वो यह सुनिश्चितकरें कि राज्य में अस्पताल और मेडिकल स्टोर फर्जी डॉक्टरों और फर्जी फार्मासिस्टों की ओर से ना चलाया जाए. ये अस्पताल और मेडिकल स्टोर सिर्फपंजीकृत फार्मासिस्ट की ओर से ही चलाई जाएं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने यह सुनवाई की. उन्होंने अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया कि फर्जीफार्मासिस्ट की ओर से अस्पताल और डिस्पेंसरी चलाया जाना और फर्जी फार्मासिस्ट या बिना फार्मासिस्ट के मेडिकल स्टोर चलाया जाना लोगों के स्वास्थ्यपर खराब प्रभाव डालता है. याचिकाकर्ता मुकेश कुमार ने पटना हाईकोर्ट में दाखिल की गई अपनी जनहित याचिका में आरोप लगाया था कि राज्य में कईऐसे सरकारी अस्पताल चल रहे हैं, जिनमें ऐसे व्यक्ति को फार्मासिस्ट का काम करने की मंजूरी दी जाती है, जो फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकृत ही नहीं होतेहैं. कुछ जगहों पर तो क्लर्क और स्टाफ नर्स भी फार्मासिस्ट का काम कर रहे हैं.
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने इस याचिका का निस्तारण कर दिया था. उसने इस बात का जिक्र किया था कि बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल की ओर से यहकहा गया है कि वो एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करेगी. साथ ही यह रिपोर्ट पहले ही राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है. कोर्ट ने यह भी कहा थाकि बिहार स्टेट फार्मेसी काउंसिल में भी ऐसे लोगों का रजिस्ट्रेशन होना चाहिए जो अहर्ताएं पूरी करते हों और इस काम के योग्य हों.