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लखनऊ। विश्व शेर दिवस के अवसर पर प्राणि उद्यान में आज मानसिक एवं शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। बच्चों ने जहां चिड़िया घर की सैर की तो वहीं बच्चों को शेर के जीवन और उसके व्यवहार के बारे में रोचक जानकारी भी दी गयी। इस अवसर पर राजकीय अक्षम विद्यालय, मोहान रोड, लखनऊ, राजकीय संकेत विद्यालय, मोहान रोड, लखनऊ,एमिकस एकेडमी लखनऊ के लगभग 60 बच्चों ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम में प्राणि उद्यान की एजुकेशन अफसर नीना कुमार की महती भूमिका थी।
नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ में विश्व शेर दिवस के अवसर पर शेरों के प्रति जागरूकता के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस अवसर पर निदेशक प्राणि उद्यान वीके मिश्र के नेतृत्व मे प्रातः 08 बजे से 09 बजे तक लॉयन वॉक का आयोजन किया गया जिसमें प्राणि उद्यान के अधिकारियों एंव कर्मचारियों ने ंभाग लिया। इस अवसर पर शेरांे पर आधारित एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें डा0 उत्कर्ष शुक्ला, उप निदेशक, प्राणि उद्यान लखनऊ, डा0 अशोक कश्यप, पशु चिकित्सक, प्राणि उद्यान लखनऊ, डा0 बृजेन्द्र मणि यादव, पशु चिकित्सक, प्राणि उद्यान लखनऊ,श्रीमती नीना कुमार, शिक्षाधिकारी, प्राणि उद्यान लखनऊ एवं प्राणि उद्यान के कर्मचारी तथा विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्रायें उपस्थित थे। प्राणि उद्यान के उप निदेशक डा0 उत्कर्ष शुक्ला ने कहा कि आज से लगभग 30000 वर्ष पूर्व शेरों के शरीर पर तंेदंुए के जैसे हल्के धब्बे होते थे जो कि समय के साथ विलुप्त हो गये। शेर घास के मैदानों में रहना पसंद करते हैं। डा0 शुक्ला ने शेरनियों के विषय में एक रोचक तथ्य बताया कि शेरनियों का गर्भाशय 4 पर्तों का होता है जिसमें फ्लूड भरा होता है जिस कारण उसके गर्भ में बच्चा सुरक्षित रहता है तथा गर्भवती शेरनी को शिकार करने में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है। प्राणि उद्यान के पशु चिकित्सक डा0 अशोक कश्यप द्वारा प्राणि उद्यान के बब्बर शेर पृथ्वी एवं शेरनी वसुंधरा के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि इन्हें वर्ष 2015 में प्राणि उद्यान लाया गया था जिनके मिलन से प्राणि उद्यान में प्रथम बार 4 मादा शावकांे का जन्म हुआ जिनका नाम चिंकी, पिंकी, नाज, शीना है। शेर के नवजात शावकों की ऑख 15 दिन में खुलती है। डा0 बृजेन्द्र मणि यादव, पशु चिकित्सक, प्राणि उद्यान लखनऊ ने शेरों के आहार एवं व्यवहार के विशय में जानकारी दी। उन्होेने बताया कि इन्हें भोजन देने से पूर्व पोटेशियम परमैगनेट से धोया जाता है जिससे भोजन कीटाणु रहित रहे उन्होंने बताया कि एशियाटिक लॉयन केवल भारत में पाये जाते है। शेरों की संख्या में कमी आने का मूल कारण जलवायु परिवर्तन है। प्राणि उद्यान में रहने वाले शेरों को उनके शारीरिक भार का 5 से 6 प्रतिशत भोजन दिया जाता है। प्राणि उद्यान की शिक्षाधिकारी नीना कुमार ने बताया कि शेर की विशेषता है कि यह समूह में रहते है शेर एक बिल्ली प्रजाति का जीव है शेर अधिक दूरी तक नहीं दौड सकता है तथा कई फीट की छलांग लगाकर अपने शिकार को दबोच लेता है।