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इस मंदिर में चलता है सोलह दिनों तक नवरात्र का त्यौहार

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नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र शुरू हो चुके हैं, पूरा भारत वर्ष के सनातन धर्मी मां अम्बे की भक्ति में लीन है। हमारे देश में कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन इस शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर हम आपको झारखंड के अति प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर की पूजा और परंपरा से परिचित करा रहे हैं। इस मंदिर से जुड़ी पूजा की परंपरा और इससे जुड़ी रोचक कहानियां देश के बाकी मंदिरों से बिल्कुल अलग हैं।
जिस देश में 9 दिनों तक नवरात्रि की पूजा की जाती है, वहां नक्सल प्रभावित जिले लातेहार के प्रखंड मुख्यालय चंदवा से दस किलोमीटर दूर स्थित सैकड़ों साल पुराना एक प्राचीन मंदिर है. जिसे मां उग्रतारा नगर मंदिर के नाम से जाना जाता है। बरसों पुराने इस प्राचीन महान मंदिर से जुड़ी कई कहानियां हैं। जो इसे अन्य मंदिरों से खास बनाता है। यह मंदिर मंदारगिरी पहाड़ी पर स्थित है। इसे भक्त शक्तिपीठ भी कहा जाता है। सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में 16 दिनों तक नवरात्रि मनाने की परंपरा है।

मां उग्रतारा नगर मंदिर से जुड़ी एक कहानी काफी प्रचलित है, कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले एक राजा जिसका नाम पीतांबर शाही था। वह एक बार लातेहार जिले के मनकेरी जंगल में शिकार के लिए गए थे। शिकार के दौरान राजा को बहुत प्यास लगी। राजा ने अपने कारवां को एक तालाब के पास रोक दिया। तालाब में पानी पीते समय देवी की मूर्ति राजा के हाथ में आ गई। राजा को कुछ समझ नहीं आया और उन्होंने देवी की मूर्ति को वापस उसी तालाब में रख दिया। तब राजा अपने कारवां के साथ शिकार करने के लिए आगे बढ़ा।
उसी रात राजा ने स्वप्न में देखा कि वही देवी माँ उन्हें अपनी मूर्ति को महल में ले जाने के लिए कह रही है। सुबह जब राजा उठे और उसी तालाब की ओर चले गए। जहां उन्हें पानी पीते हुए देवी की मूर्ति मिली। राजा ने देवी की वही मूर्ति लाकर अपने महल में स्थापित कर ली। महल में ही राजा ने देवी का मंदिर भी बनवाया, कहा जाता है कि उन दिनों राजा ने एक कर्मचारी को मंदिर का काम करने के लिए नियुक्त किया था।
लातेहार जिले में स्थित मां उग्रतारा नगर मंदिर में 16 दिवसीय विशेष नवरात्रि पूजा की जाती है। अश्विन कृष्ण पक्ष की नवमी यानी जितिया पर्व के दूसरे दिन कलश स्थापना से मां दुर्गा की पूजा शुरू हो जाती है. इसके बाद नवरात्र के पहले दिन कलश की स्थापना कर पुन: अष्टभुजी माता की पूजा की जाती है। यही पूजा अश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को पूरी होती है। ऐसा माना जाता है कि मां उग्रतारा नगर मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। यहां मां को लाल फूल चढ़ाने की परंपरा है। विशेष रूप से नवरात्रि पूजा के दौरान देश के कई राज्यों से भक्त इस मंदिर में आते हैं।

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