प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कतिपय वकीलों द्वारा विवादित जमीनों के मामलों में मौके पर यूनिफॉर्म में जाकर हस्तक्षेप करने व भू माफियाओं का सहयोग करने की घटनाओं को गंभीरता से लिया है।
कोर्ट ने यूपी बार काउंसिल को आदेश दिया है कि वह इस आशय का दिशा-निर्देश जारी करे कि अधिवक्ता कोर्ट परिसर के बाहर यूनिफार्म न पहनें। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता शुभांशु सिंह की याचिका पर दिया।
याची का कहना है कि वह सिविल कोर्ट, लखनऊ में प्रैक्टिस करता है। 21 सितंबर 2023 को वहीं के कुछ अधिवक्ताओं ने उसके साथ मारपीट व लूट की, जिसकी उसने एफआईआर भी दर्ज कराई। याचिका में मामले की विवेचना सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है। याची का यह भी कहना है कि उसने घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने की प्रार्थना जनपद न्यायाधीश से भी की है।
न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए, संबंधित एडीसीपी से विवेचना की स्थिति तलब की है, साथ ही जनपद न्यायाधीश, लखनऊ से भी पूछा है कि उन्होंने याची के अनुरोध पर क्या कदम उठाया। मामले की अगली सुनवाई 28 नवम्बर को होगी।
सुनवाई के दौरान ही कोर्ट के समक्ष यह तथ्य भी आया कि जमीनों आदि के विवाद कुछ अधिवक्ता यूनिफार्म पहनकर पहुंचते हैं और प्रभाव डालने की कोशिश करते हैं। इस पर कोर्ट ने बार काउंसिल को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद अब वकीलों की मनमानी पर रोक लगेगी। फिल्मी स्टाइल में काले कोट की रोबदारी भी नहीं देखने को मिलेगी। माना जा रहा है कि लखनऊ बेंच का यह फैसला ऐतिहासिक है।
Check Also
अवैध खनन पर शासन सख्त, बनाया यह मास्टर प्लान
लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार तृतीय ने प्रदेश …