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नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 को लेकर विपक्ष के विरोध के बाद केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपनी बात रखी। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक, 2023 संसद में लाया गया है।
अर्जुन मेघवाल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में फैसला दिया था, इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक कानून लेकर आए। नए बिल में हम एक सर्च कमेटी बना रहे हैं, जिसका नेतृत्व कैबिनेट सचिव करेंगे। इसके बाद वहां एक चयन समिति होगी, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री करेंगे। इसमें गलत क्या है?
इससे पहले 10 अगस्त को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल को विनियमित करने के लिए एक विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था, विपक्षी दलों ने इसे पेश करने का कड़ा विरोध किया था। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023, विधेयक चुनाव आयोग द्वारा व्यवसाय के लेन-देन की प्रक्रिया से भी संबंधित है।
विधेयक में प्रस्ताव है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिश पर की जाएगी। प्रधानमंत्री इस पैनल की अध्यक्षता करेंगे। यदि यह विधेयक लागू होता है, तो यह सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले को खारिज कर देगा, जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश के पैनल की सलाह पर की जाएगी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि उसके द्वारा रेखांकित प्रक्रिया संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक लागू रहेगी।
प्रस्तावित विधेयक पर विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाना है। उन्होंने कहा, चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का एक जबरदस्त प्रयास है।