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केरल हाईकोर्ट का सजा पर रोक लगाने से इंकार

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कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया जाने की कोशिश करने के दोषी तीन लोगों की सजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि आतंकवाद लोगों के जीवन और स्वतंत्रता और देश के विकास को प्रभावित करने वाली एक बुराई है। कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म आतंकवाद नहीं फैलाता लेकिन कुछ कट्टरपंथियों या धार्मिक कट्टरपंथियों ने आतंकवाद और नफरत के संदेश फैलाने के लिए धर्म के विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
न्यायमूर्ति अलेक्जेंडर थॉमस और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने सजा को निलंबित करने और तीनों – मिडलाज, अब्दुल रजाक और हम्सा को जमानत देने से इनकार कर दिया। अपराध की गंभीरता को देखते हुए प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ साबित हुआ, भले ही वे एक बड़े हिस्से से गुजरे हों।
अदालत ने कहा कि आतंकवाद लोगों के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाली एक बुराई है। यह सभी प्रकार से राष्ट्र के विकास को प्रभावित करता है। वास्तव में, कोई भी धर्म आतंकवाद या घृणा का प्रचार नहीं करता है। लेकिन, दुर्भाग्य से, कुछ कट्टरपंथियों या धार्मिक कट्टरपंथियों ने आतंकवाद और घृणा के संदेशों को फैलाने के लिए धर्म के विचारों को विकृत कर दिया है, बिना यह जाने कि यह समाज के साथ-साथ पूरे देश को कितना नुकसान पहुंचा रहा है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आतंकी संगठनों के आह्वान से आकर्षित निर्दोष युवा हिंसा और देश विरोधी गतिविधियों का शिकार हो जाते हैं, समाज में शांति को नष्ट कर देते हैं, अपने साथी प्राणियों की स्वतंत्रता, स्वतंत्रता और सुरक्षा और देश की अखंडता से बेपरवाह हो जाते हैं।

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