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पटना। पिछले दो बार सहयोगी दलों को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को समर्थन के नाम पर छकाने वाले सीएम नीतीश तीसरी दफे ऐसा करने से परहेज कर गए। बड़ी खबर यही है कि जेडीयू ने मोदी यानि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मूर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया है। इस बारे में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बकायदा ट्वीट करके जानकारी दे दी है। इसी के साथ ये तय हो गया कि तीसरी बार नीतीश सहयोगी दलों के उलट एजेंडे पर नहीं जा रहे।
राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने बुधवार को दोपहर 12:44 मिनट पर एक के बाद एक दो ट्वीट करते हुए इस बात का ऐलान कर दिया कि राष्ट्रपति पद के लिए जो पीएम नरेंद्र मोदी यानि बीजेपी की पसंद हैं, उससे इस दफे सीएम नीतीश कुमार को कोई गुरेज नहीं है। द्रौपदी मूर्मू की तस्वीर के साथ ललन सिंह ने पहले ट्वीट में लिखा कि राष्ट्रपति के चुनाव में गरीब परिवार में जन्मी एक आदिवासी महिला श्रीमती द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं। बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी सिद्धांतत: महिला सशक्तिरण एवं समाज के शोषित वर्गों के प्रति समर्पित रहे हैं।
इसके ठीक बाद ललन सिंह ने दूसरा ट्वीट किया कि जनता दल (यू) श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी का स्वागत एवं समर्थन करती है। राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाये जाने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। इस तरह से नीतीश ने द्रौपदी मूर्मू की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के समर्थन पर अपनी मुहर लगा दी।
इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एक फेसबुक पोस्ट के जरिए इस बात का खुलासा किया कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके बारे में पहले ही जानकारी दे दी थी। नीतीश ने लिखा है कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना खुशी की बात है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी एक आदिवासी महिला हैं। एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाना अत्यंत प्रसन्नता की बात है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा सरकार में मंत्री तथा इसके पश्चात् झारखण्ड की राज्यपाल भी रह चुकीं हैं। कल प्रधानमंत्री जी ने बात कर इसकी जानकारी दी थी कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी को भी इसके लिए हृदय से धन्यवाद।
ये तब की बात है जब नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा हुआ करते थे। साल 2012 में तब केंद्र में विपक्ष में रही पीए संगमा को अपना उम्मीदवार बनाया। लेकिन तब नीतीश ने गठबंधन के उलट कांग्रेस उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी को समर्थन दे दिया। इसके बाद से ही रिश्तों खटास बढ़ गई। आखिर में नीतीश ने अलग होकर लालू के साथ महागठबंधन बना लिया।
साल 2017, उस वक्त नीतीश लालू के साथ महागठबंधन में थे। कांग्रेस ने लालू की राय लेते हुए मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। सबके मन में यही सवाल था कि बाबू जगजीवन राम की बेटी और दलितों के लिए एक बड़े चेहरे मीरा कुमार के खिलाफ किसे उतारेगी। तब बीजेपी ने बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। तब भी कांग्रेस इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि नीतीश मीरा कुमार को ही समर्थन देंगे। लेकिन नीतीश ने दूसरी बार सियासी गलियारे को चौंकाते हुए एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दे दिया। लेकिन इस बार तीसरी दफे बीजेपी ने यशवंत सिन्हा के खिलाफ एक आदिवासी चेहरे को मैदान में उतार कर नीतीश को ऐसा मौका ही नहीं दिया।