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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार, सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएआरआई) और पीपल फॉर एनिमल्स पब्लिक पॉलिसी फाउंडेशन (पीएफए पीपीएफ) के मध्य उत्तर प्रदेश में भारत का पहला मॉडल केज-फ्री अंडा उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए। इस पहल का उद्देश्य किसानों को बैटरी केज प्रणाली के विकल्प के रूप में पारंपरिक, मानवीय और लाभकारी मुर्गी पालन पद्धतियों से अवगत कराना है।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि यह साझेदारी भारत की पशु कल्याण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और उत्तर प्रदेश की किसानों के आर्थिक कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि इस कदम के माध्यम से, उत्तर प्रदेश पूरे देश के लिए एक मिसाल पेश कर रहा है। यह सहयोग किसानों को आधुनिक पोल्ट्री प्रणाली अपनाने के लिए आवश्यक जानकारी और संसाधन प्रदान करेगा, जिससे उनकी आर्थिक उन्नति के साथ-साथ वैश्विक प्रवृत्तियों के साथ तालमेल बना रहेगा। पीएफए पीपीएफ की ट्रस्टी श्रीमती गौरी मौलेखी ने कहा कि प्रशिक्षण केंद्र के द्वारा किसानों, उत्पादकों और अन्य हितधारकों को केज-फ्री अंडा उत्पादन की सर्वोतम प्रथाओं से अवगत कराया जायेगा। साथ ही, यह किसानों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश करने में मदद करेगा, जिससे वे इन स्थायी पद्धतियों के लाभों को अधिकतम कर सकें। भारत, जो दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक देश है, लंबे समय से पोल्ट्री फार्मिंग का केंद्र रहा है। बैटरी केज प्रणाली में मुर्गियों को छोटे-छोटे पिंजरों में बंद रखा जाता है, जहां वे अपनी प्राकृतिक गतिविधियों को करने में असमर्थ रहती हैं। वैश्विक जागरूकता बढ़ने के साथ, भारत में काम कर रही कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने केवल केज-फ्री अंडों का उपयोग करने का संकल्प लिया है, जिसमें से अधिकांश प्रतिबद्धताएं 2025 के अंत तक पूरी की जानी हैं। उत्तर प्रदेश, जो एक प्रमुख कृषि प्रधान राज्य है, अब भारत में इस बदलाव का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। यह नया प्रशिक्षण केंद्र स्थानीय किसानों को केज फ्री पोल्ट्री फार्मिंग पद्धतियों को अपनाने और उसमें सफल होने के लिए सक्षम बनाएगा। केज-फ्री प्रणाली न केवल पशु कल्याण को प्राथमिकता देती है, बल्कि बेहतर बाजार अवसर भी प्रदान करती है। ऐसे अंडे प्रीमियम कीमतों पर बिकते हैं और किसानों को बेहतर अवसर दिलाने के लिए इस अनुबंध में प्रतिबद्धता प्रकट की गई है।