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लखनऊ। किसानों की आय दोगुनी करने में गन्ना विभाग का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को लगभग 1.8 करोड़ मूल्य का गन्ना भुगतान किया गया है। 03 निगम व 24 सहकारी कुल 27 चीनी मिलें हैं। जिनमें 66 हजार टन गन्ना पेराई की जाती है। सहकारी चीनी मिल में चीनी की क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पहले से थोक में बिक रही है अब रिटेल में भी उपलब्ध करायी जा रही है। सम्पूर्ण भारत देश में खुले बाजार में तथा बड़े औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा इस चीनी का प्रयोग किया जाता है। इन मिलों से उत्पादित चीनी का विभिन्न देशों में निर्यात भी होता रहा है। यह बात प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने आज गन्ना संस्थान परिसर में चीनी के रिटेल काउन्टर की स्थापना के उद्घाटन के अवसर पर कही हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम तथा उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ की 27 चीनी मिलों में उत्तम गुणवत्ता की सल्फरलेस चीनी तथा सफेद प्लांटेशन शुगर का उत्पादन किया जाता है। इन मिलों में प्रति वर्ष लगभग 95 लाख कुं० चीनी का उत्पादन होता है। श्री चौधरी ने कहा कि गन्ना विभाग ने उन्नतशील बीजों की शोध करके पैदावार बढ़ाने का काम किया, इसके साथ ही गन्ने में रोग न लगे इस पर भी विशेष ध्यान दिया गया। उत्तर प्रदेश में किसान पारंपरिक खेती करते हैं जिसमें गन्ने की खेती लाभप्रद है। उत्तर प्रदेश सरकार ने बंद शुगर मिलों को चलाने का काम किया है और उनकी क्षमता भी बढ़ाई है। नई फैक्ट्री के रूप में निजामाबाद गजरौला और छाता में बंद चीनी मिल को चलाने के लिए कार्य प्रगति पर है इसके साथ ही अलीगढ़ के साथ फैक्ट्री की मरम्मत करके अच्छी पेराई पर ले जाने का काम भी किया जा रहा है। वहीं अपर मुख्य सचिव श्री संजय आर. भूसरेडृडी द्वारा बताया गया कि सहकारी चीनी मिलों में उत्पादित चीनी की विशिष्ट पहचान स्थापित किये जाने के उद्देश्य से यू.पी. सहकारी शर्करा के नाम से ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड कराया गया है। वहीं प्रबन्ध निदेशक रमाकान्त पाण्डेय ने बताया कि निगम की पिपराइच एवं मुण्डेरवा चीनी मिलों में उत्पादित सल्फरलेस शुगर की बाजार में अत्यधिक मांग है। अभी तक इन मिलों द्वारा उत्पादित चीनी केवल 50 किलो की पैकिंग में उपलब्ध थी।