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एक सपना पलक पर सजा तो सही….वकील से पर्यावरण प्रेमी तक के सफर में छिपे है कई संदेश

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लखनऊ। जिन्दगी को कभी आजमा तो सही, एक सपना पलक पर सजा तो सही, पाँव ऊँचाइयों के शिखर छू सके, सोच को पंख अपने लगा तो सही… यह चन्द लाइनें एडवोकेट बी.के. सिंह के लिए एक दम फिट बैठती हैं। यह उनकी इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि जो उन्हें अन्य वकीलों से अलग हट कर पहचान देता है, वकालत के पेशे में जाना पहचाना नाम अब समाजसेवी और पर्यावरणप्रेमी के रूप में भी एडवोकेट बी.के. सिंह का नाम सुर्खियों में है। पर्यावरण के प्रति पैदा हुये जुनून ने उनकों आम वकीलों से हट के एक नयी पहचान दी है। पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए किये गये जा रहे इनके अभिनव प्रयास ने पर्यावरण के प्रति लोगों की सोच बदल कर रख दी।

पर्यावरण के प्रति लगाव के कारण उन्होंने सबसे पहले अपने घर के सामने विराट खंड के गुलाब पार्क को संवारने का बीड़ा उठाया। गुलाब पार्क जैसा पार्क लखनऊ क्या आसपास के जिलों में भी मिलना मुश्किल होगा। इस पार्क को अकेले दम पर हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सिंह ने संवारने का बीड़ा उठाया था। इसके बाद मोहल्ले के लोग भी जुड़ गए। पिछले करीब 20 साल से इस पार्क को शहर के नंबर वन पार्क का खिताब मिल रहा है। कंक्रीट का जंगल बन चुके लखनऊ शहर में एक शख़्स ऐसा भी है जो हरियाली फैलाकर इस शहर की रौनक लौटाने के जुनून में अकेले ही निकल पड़ा है। यह जुनूनी कोई पर्यावरणविद नहीं बल्कि एक वकील है। एडवोकेट बृजेश कुमार सिंह ने अपनी कॉलोनी के लोगों को प्रेरित कर गोमती नगर के विराट खण्ड में कूड़े का ढेर बन चुके पार्क को एक हरे-भरे पार्क में तब्दील कर दिया है। आज इस पार्क के हरे-भरे पेड़ों पर पंछियों ने फिर से बसेरा बना लिया है। बी.के.सिंह से प्रेरित होकर न केवल विराट खण्ड के सदभावना और शीतल वाटिका का सुधार हुआ है, बल्कि विनय खण्ड, विजंयत खण्ड, विनीत खण्ड, विपुल खण्ड के भी पार्कों में सुधार आया है। इन पार्काे में न केवल हरियाली और लाइट की व्यवस्था दुरूस्त की गई है, बल्कि बच्चों के झूले भी लगाए गए हैं।

1991 से अकेले शुरू किये गये सफर में बने कई हमसफर

यह सिलसिला 1991 से शुरू हुआ जब बीके सिंह गोमती नगर के विनय खण्ड में रहने आए। वहां के पार्कों की दुर्दशा देख कर वह काफी निराश हुए। आखिर उन्होंने सबसे पहले पार्कों की सफाई की मुहिम शुरू की। उन्होंने मोहल्ले वालों को न केवल पार्क में गंदगी डालने से रोका गया, बल्कि उसे साफ रखने के लिए भी प्रेरित किया गया। 2000 में वह विराट खण्ड दो में अपने निवास 150 में आ गए। उस पार्क में पहले शादी-ब्याह आदि के समारोह हुआ करते थे। इसलिए वह पार्क उजाड़ और गन्दा पड़ा रहता था। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले मोहल्ले के सीनियर सिटीजन्स का समर्थन हासिल कर पार्क को हरा भरा करने का प्रयास शुरू किया। इसके लिए उन्होंने एलडीए, नगर निगम, वन विभाग, बागवान विभाग, वैज्ञानिकों से सलाह मशविरा किया। आखिरकार उन्होंने पार्क के बीचों बीच क्यारियां तैयार की। पार्क की रेलिंग के पास बड़े पेड़ और अंदर की तरफ छोटे पेड़ लगवाए। जिसके घर के सामने पार्क में जो जगह थी उसमें उनकी पसंद के पेड़ लगाए गए। आज उस पार्क में चंदन, गिलोय, आम, अमरूद, बेल, नीम, लीची, मौलीश्री, फालसा, अंजीर, गूलर, इलायची के पेड़ ही नहीं बलिक सैकड़ों तरह के गुलाब भी लगे हैं। इस पार्क के लिए रसायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बी.के.सिंह खुद इसके लिए गौ मूत्र, गोबर और नीम की पत्ती से खाद और कीटनाशक तैयार करते हैं। इस पार्क से अब लोगों को इतना अधिक स्नेह हो गया है कि कोई भी इस पार्क में सिगरेट या पान मसाला नहीं खाता। पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले को खुद ही मोहल्ले वाले सावधान कर देते हैं। नहीं मानने पर उस व्यक्ति पर 200 रुपये का फाइन लगा दिया जाता है।

आखिर गुलाब पार्क क्यों बना खास

गुलाब पार्क में 20 प्रकार के आमों के पेड़ हैं। जिसमें फल भी खूब आते हैं। अरूणिका, अंबिका, मलिका, हुसैनआरा, चौसा, लंगड़ा, गुलाब खास, सफेदा, दशहरी सहित तमाम प्रकार के आम के पेड़ इस पार्क में लगे हैं। इस पार्क में 40 प्रकार के गुलाब के फूल लगे हुए हैं। इसीलिए इसका नाम गुलाब पार्क रखा गया है। भले सभी जगह गुलाब सूख जाएं लेकिन यहां हमेशा फूल रहता है। गुलाब के अलावा चंपा, चमेली, कचनार, कनेर, गुड़हल सहित कई तरह के फूल हैं। वहीं पार्क में औषधीय पौधे भी लगे हुए हैं। सहजन का पेड़ बारहमासी है। भले ही यहां अभी भी आंवला लगा है। पार्क में अश्वगंधा, तुलसी, कई प्रकार के जराकुश, ब्रह्मा आंवला, हल्दी, अदरक, एलोवेरा, हर्र, बहेर, महुआ, लौंग सहित तमाम औषधीय पौधे लगे हैं।

दर्जनों  प्रजाति की चिड़ियों का पार्क में बसेरा

पार्क में 40 प्रकार की चिड़ियों का बसेरा है। पार्क विकसित करने वाले एडवोकेट वीके सिंह कहते हैं कि यहां कोई ऐसी चिड़िया नहीं जो न आती हो। बाज, चील, कोयल, कौवा, ऊल्लू, कबूतर, तोता, मैना, गौरैया, कठफोड़वा, बगुला सहित 40 प्रकार के पक्षी आते हैं।

 मोहल्ले के घरों के कचरे से बनाते हैं खाद

पार्क में खाद के लिए पूरा मोहल्ला घर के कचरे से वर्मी कंपोस्ट बनाता है। इसका इस्तेमाल पार्क में किया जाता है। इस पार्क को संवारने का काम हमने शुरू कराया था। बाद में पूरा विराट खंड रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन इससे जुड़ गया। सबकी मदद से यह शहर का सबसे सुंदर पार्क बना। पिछले 20 वर्षों से लगातार इसको गवर्नर से सबसे सुंदर पार्क का खिताब मिल रहा है।

क्या कहते हैं एडवोकेट वीके सिंह

एडवोकेट वीके सिंह, कहते है कि मनुष्य चाहे तो क्या नहीं कर सकता है, खाली भाषणों देकर ही पर्यावरण सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। शहर का हर आदमी हरियाली बढ़ाने की दिशा में पौधों को रोपित करे तो पूरा शहर हरियाली से भर जायेगा। श्री सिंह ने कहा कि कल्पना करिये अगर हर जिम्मेदार नागरिक ऐसा बीड़ा उठाये तो अपना शहर लखनऊ कैसा होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

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