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सस्ते इलाज के मामले में हिज़ा अस्पताल….दे रहा है लखनऊ सुपरस्पेशलिटी अस्पताल को टक्कर

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लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में एक ऐसा अस्पताल है जो समाज के हर वर्ग के लोगों की सेवा बेहद निस्वार्थ भाव से कर रहा है। इस अस्पताल का नाम है हज़रत इमाम जैऩुल आबेदीन (अ.स.) चौरिटेबल अस्पताल। ये अस्पताल पिछले तीन दशक से भी कुछ ज्यादा अरसे से लोगों की सेवा में लगा हुआ है। इस अस्पताल की शुरूआत नब्बे के दशक में शिया धर्म गुरू पद्म भूषण सैय्यद कल्बे सादिक ने एक चौरिटबल ट्रस्ट बनाकर लखनऊ में की थी। तब से लेकर आज तक यह अस्पताल समाज के हर वर्ग जाति और धर्म के गरीब लोगों की निस्वार्थ भाव से चिकित्सीय सेवा कार्य करने में जुटा हुआ है। कभी दो कमरों से शुरू हुआ ये अस्पताल आज तीन मंजिल की इमारत में चल रहा है। मौजूदा दौर में इस अस्पताल में विभिन्न रोगों के एक दर्जन से भी ज्यादा योग्य एवं अनुभवी चिकित्सक अपनी सेवाएं समाज को दे रहे हैं। इतना ही नहीं यह अस्पताल अत्याधुनिक मशीनों से लैस है जहां पर इलाज कराने के लिए जाने वाले मरीजों को विभिन्न प्रकार की जांच कराने के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ता है। राजधानी के पुराने शहर के काजमैन मोहल्ले की तंग गलियों के बीच हिज़ा अस्पताल संचालित होता है, यह इस अस्पताल की सफलता और योग्य डॉक्टरों की मेहनत का ही परिणाम है,कि अस्पताल खुलते ही मरीजों की लाइन लगना शुरू हो जाती है। राजधानी के दूसरे हिस्सों से भी इस अस्पताल की बेहतर चिकित्सा सुविधा को सुन कर लोग पूछते हुये इस अस्पताल तक पहुंच पाते हैं। अस्पताल में विभिन्न रोगों से संबधित डॉक्टरों की एक टीम है जो, हर पेशेंन्ट को आत्मीय भाव के साथ देखते हैं। यह इस अस्पताल और डाक्टरों की उपलब्धि का ही नतीजा है कि गरीब और बेसहारा लोगों के लिए बने इस अस्पताल में अब संपन्न घर के मरीज भी आने लगे हैं। मंहगाई के इस दौर में जब चिकित्सा एक व्यवसाय बन कर रह गया है, ऐसे समय में बेहद सस्ता और बढ़िया इलाज यहां के मरीजों को मिल रहा है, इलाज से संतुष्ठ मरीज खुद भी इस अस्पताल की तारीफ करते नहीं थकते। यहां आने वाले मरीज को किसी भी डाक्टर को दिखाने के लिए सिर्फ 2 रूपये का पर्चा बनता है जो कि 15 दिनों के लिए मान्य होता है, डाक्टर को दिखाने के बाद मात्र 10 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से दवा अस्पताल से ही दी जाती है।

हिजा अस्पताल के मैनेजर बशारत हुसैन खुद भी अस्पताल की बारीक से बारीक चीजों पर नजर रखते हैं। वह खुद भी मरीजों से अस्पताल की चिकित्सीय सेवाओं का फीडबैक लेते रहते हैं। बशारत हुसैन कहते हैं कि एक डॉक्टर के लिए यह मायने नही रखता कि आप किस जाति अथवा धर्म से है वो सभी को समान नजर से देखता है। श्री हुसैन कहते हैं कि डॉक्टर एक ऐसा पेशा हैं, जिसमें वह लाखों लोगों की भलाई के लिए काम करता है।

अनुभवी डॉक्टरो की यह टीम करती है बेहतरीन इलाज

हज़रत इमाम जैऩुल आबेदीन (अ.स.) चौरिटेबल अस्पताल में एक से बढ़कर एक योग्य व अनुभवी डॉक्टरों की टीम है। इनमें से कुछ विदेश से लौटने के बाद सेवाएं दे रहे तो कुछ बलरामपुर, मेडिकल कॉलेज जैसे नामचीन सरकारी अस्पतालों से सेवानिवृत्त हो चुके डॉक्टर सिर्फ मानवता के कल्याण व गरीबों की मदद के लिए पार्ट टाइम सेवाएं दे रहे हैं। इन डॉक्टरों में डा.एमएम.एस.ए खान हैं जो वरिष्ठ सर्जन तो हैं ही, साथ ही बेहद योग्य, व अनुभवी डॉक्टरों में गिने जाते हैं। वह अस्पताल के चीफ मेडिकल अफसर भी हैं। वहीं डा. एल सलाम जो कि एमडी मेडिसिन हैं, डा. रहबर अंसारी जो कि एबीबीएस एम.एस ईएनटी हैं। डा. मो. कायम रिज़वी एमबीबीएस पीडियाट्रिक हैं, इसके साथ ही डा. सामना रज़ा जो कि एबीबीएस है, वह अस्पताल में जनरल फीजिशियन व स्किन केयर की सेवाएं दे रही हैं। डा. सुफीया तालिब एमबीबीएस जनरल फीजिशियन, डा. मोहम्मद एम हसन जो कि डेन्टिस्ट हैं, वह केजीएमयू से बीडीएस,सीडीसी किये हुये हैं। वह करीब चार साल मरीजों की सेवाएं दे रहे हैं। इसके साथ ही डा. जरताज और डा. फौजिया रिज़वी नेत्र रोग विशेषज्ञ के पद पर तैनात हैं। वहीं डा. बाकर इब्राहीम, डा. एम काउनैन भी अस्पताल में जनरल फीजिशन के पद पर सेवांए दे रहे हैं। डा. आमना खातून जो कि अस्पताल की बेहतरीन महिला रोग विशेषज्ञो में शामिल हैं। इसके साथ ही डा.उजमा आब्दी स्त्री रोग विशेषज्ञ है जो कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति से इलाज करती हैं, इनके पास भी मरीजों की अच्छी खासी लाइन लगती है।

क्या कहते हैं डाक्टर

डा. मोहम्मद एम हसन

जो कि डेन्टिस्ट हैं, वह केजीएमयू से बीडीएस,सीडीसी की डिग्री लिये हुये हैं। वह करीब चार साल मरीजों की सेवाएं दे रहे हैं। वह कहते हैं कि किसी गरीब या असहाय मरीजों की सेवा करके दिल को बहुत सुकून मिलता है, यूं भी दांत के इलाज का खर्च प्राइवेट अस्पतालों में बहुत ज्यादा है, वहीं हिजा अस्पताल में दांतों का इलाज जैसे पायरिया, रूट कैनाल ट्रीटमेंट, दांतों में फीलिंग करना, किसी कारणवश दांतों में पीलापन आ जाना, टेढ़े-मेढ़े दांत को ठीक करना बेहद सस्ता और गुणवत्ता पूर्वक इलाज किया जाता है।

इसके साथ ही दांतों की नियमित सफाई के लिए आने वाले मरीजों को जागरूक भी किया जाता है। डा.हसन कहते हैं कि गलत खान-पान की वजह से हर बड़ी बीमारी मुंह से शुरू होने का अंदेशा बना रहता है, ऐसे में यह जरूरी है कि लोगों को ओरल हाइजीन के बारे जानकारी हो, जो कि हिजा अस्पताल में दी जाती है। डा.हसन का मानना है कि दंत चिकित्सा मंहगी है, ऐसे में हर गरीब मरीज को सस्ता और अच्छा इलाज मिल सके, इसके लिए लगातार कोशिशें जारी रहती हैं।

 डा. फौजिया रिज़वी

नेत्र रोग विशेषज्ञ के पद पर अस्पताल में करीब 2 साल से अधिक समय से सेवाएं दे रहीं हैं।

वह बताती हैं कि किसी भी चैरिटेबल अस्पताल में इतनी सारी सुविधाएं नही मिलती, जितनी की हिजा अस्पताल में मरीजों को दी जा रही है। डा. फौजिया कहती है कि चैरिटेबल अस्पताल में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की तरह सुविधाएं दी जा रही हैं। आधुनिक मशीनों द्वारा मरीजों की जांच के साथ ही उनका इलाज किया जा रहा है।

डा. उजमा आब्दी

अस्पताल में होम्योपैथ चिकित्सा पद्धति से मरीजों का इलाज करती हैं, वह एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं, वह बताती हैं कि गरीब मरीजों के वरदान यह अस्पताल, विभिन्न रोगों से ग्रसित महिलाएं आती है, उन्हें सस्ती और गुणवत्तापूर्वक उनका इलाज हो यही कोशिश रहती है। मरीज शीघ्र स्वस्थ्य हो जाता है तो डाक्टर को भी दिली सुकून मिलता है।

डा. समाना रिज़वी

स्किन केयर और जनरल फीजिशियन हैं। उन्होंने ऐरा मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की हैं। इसके बाद कई सालों तक हिन्द मेडिकल कॉलेज में बतौर डॉक्टर मरीजों की सेवा की है। डा. सामना रिज़वी बताती हैं कि बदलते मौसम के साथ ही स्किन और खांसी, बुखार के मरीज भी काफी बढ़ जाते हैं। हिजा अस्पताल में सस्ते दाम पर अच्छा इलाज गरीब मरीजों को मिलता है, जिससे अस्पताल में मरीजों की संख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। सभी तरह की जांचों में अस्पताल प्रशासन की ओर 50 प्रतिशत की छूट भी मरीजों को काफी राहत प्रदान करती है।

डा. राहिल हुसैन रिज़वी

हिजा अस्पताल में फीजियोथेरेपिस्ट के चैम्बर में भी मरीजों की अच्छी खासी लाइन लगती है, डा. राहिल बताते हैं कि किसी भी प्राइवेट फीजियोथेरेपिस्ट संेटर पर एक साधारण हीट थेरेपी के ही 200 से 300 रूपये मरीजों से लिये जाते हैं, पर इस अस्पताल में सिर्फ मरीज को 40 रूपये की रसीद कटाने के बाद यहां की सेवाएं ले सकता है। डा. रिजवी बताते है कि उनके पास सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, आर्थराइटिस, बैकपेन के मरीज आते हैं, जिनको वह एक्सरसाइज, ट्रेक्शन, हीट थेरेपी आदि उपचार देकर ठीक करते हैं। मौजूदा समय 30 से 35 मरीज प्रतिदिन उनके पास इलाज के लिए आ रहे हैं।

डा. आमना खातून

जो कि अस्पताल की बेहतरीन महिला रोग विशेषज्ञों में शुमार हैं।

वह कहती हैं कि हिज़ा अस्तपताल निःसन्देह गरीब, बेसहारा मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अस्पताल में डॉक्टरों की टीम मरीजों का गुणवत्तापूर्वक इलाज करती है। अस्पताल में डा. आमना खातून से इलाज कराने आयी कई महिलाओं ने डा. आमना की तारीफ की।

क्या कहते हैं ट्रस्ट के सचिव

हज़रत इमाम जैऩुल आबेदीन (अ.स.) चौरिटेबल के सचिव नजमुल हसन रिज़वी ने कहा कि इलाज सभी को मिले यह बुनियादी हक है। किसी भी गरीब को इलाज के लिए भटकना न पड़े। यह अस्पताल मूल रूप से गरीब लोगों के ही है, तकरीबन 96 प्रतिशत गरीब लोग ही इलाज के लिए यहां आते हैं। बाकी 4 प्रतिशत संपन्न परिवारों से भी लोग इलाज के लिए आते हैं, उनसे अपील यही है कि वह भी पे बैक सोशाइटी के तहत कार्य कर मानवता की मिशाल बने। अपने आस-पास, गली-मोहल्लों में जहां भी जरूरतमंद लोग दिखे उनकी हर संभव मदद करें। श्री रिज़वी ने कहा कि एक चिकित्सक के लिए मरीजों की सेवा ही फर्ज और धर्म है। इस सेवा में किसी तरह की कोई कमी नहीं रहने दी जाती है। कोशिश होती है कि अपनी चिकित्सकीय सेवा के जरिये हिजा अस्पताल के डॉक्टर मरीजों को संतुष्ट करने का प्रयास करें। श्री रिज़्ावी ने कहा कि अस्पताल प्रशासन की कोशिश यही रहती है कि सभी को गुणवत्ता पूर्वक इलाज मिले। आने वाले समय में गरीब बस्तियों में इलाज के लिए मोबाइल यूनिट भी संचालित की जायेगी।

 

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