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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ की 5वीं स्थापना दिवस का आयोजन किया गया। आयोजन का शुभारम्भ कुलपति प्रो0 पूनम टण्डन के द्वारा गुरु गोरक्षनाथ के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम में शोधपीठ की ई-पत्रिका “गोरख पथ“ का विमोचन कुलपति एवं मुख्य अतिथि के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता कला संकाय, प्रो0 आद्या प्रसाद द्विवेदी रहे। इस कार्यक्रम में शोधपीठ के उप निदेशक डा0 कुशलनाथ मिश्र ने शोधपीठ कंे विगत 5 वर्षों की कार्य प्रगति एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो0 आद्या प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि गोरखनाथ का संदेश महलों से लेकर आम लोगों तक लोकप्रिय हुआ है। गोरखनाथ का आम जनमानस पर प्रभाव महात्मा बुद्ध के बाद सबसे अधिक व्यापक रुप से पड़ा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने गोरखनाथ को विस्मृत कर दिया था। इस शोधपीठ की स्थापना से गोरखपुर विश्वविद्यालय ने इस विस्मरण को दूर कर दिया है। इस शोधपीठ के माध्यम से गोरखनाथ के विभिन्न भाषाओं में बिखरे संदेशों का अध्ययन किया जा सकेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो0 पूनम टण्डन द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक शोधपीठ के उन्नयन में अपनी सहभागिता प्रदान करें। यह शोधपीठ भारत का एक उत्कृष्ठ शोध संस्थान के रुप में उभर रहा है। कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ की सहायक निदेशक डा0 सोनल सिंह के द्वारा किया गया। शोधपीठ के सहायक ग्रन्थालयी डा0 मनोज कुमार द्विवेदी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डा0 सुनील कुमार, शोध अध्येता हर्षवर्धन सिंह, हर्षिता कौशिक, रणंजय सिंह, प्रिया सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल एवं शोध छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।