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लखनऊ। प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के तत्वावधन में आशियाना क्षेत्र के कांशीराम स्मृति उपवन में अचल रहे भारत हस्तशिल्प महोत्सव में सांस्कृतिक संध्या में गायिका प्रिया पाल के भोजपुरी गीतों व राजस्थानी नृत्य ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। गीतों और नृत्य की इस महफिल में दर्शकांे ने भी अपनी तालियों से बराबर का साथ दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि एडीसीपी पूर्वी सैय्यद अली अब्बास ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। समारोह में प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह और उपाध्यक्ष नरेंद्र बहादुर सिंह ने मुख्य अतिथि सैय्यद अली अब्बास को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर भारत हस्तशिल्प गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।
भारत हस्तशिल्प महोत्सव की पांचवी सांस्कृतिक सन्ध्या का शुभारम्भ प्रिया पाल ने देवी गीत निमिया के डार मईया डारेला झूलनवा से कर श्रोताओं को देवी दुर्गा की भक्ति के सागर में आकन्ठ डुबोया। भक्ति भावना से ओतप्रोत इस प्रस्तुति के उपरान्त प्रिया पाल ने अपनी खनकती हुई आवाज में कहवा जन्मे हो राम जी कहवा कन्हैया, हरी हरी निमिया की और फेक देहलो थरिया बलम गईले झरिया भोजपुरी गीत को सुनकर श्रोताओं का मन मोहा। संगीत से सजे कार्यक्रम के अगले सोपान में महिमा सोनी, दीपाली श्रीवास्तव, सुरभि सिंह, अंजलि साहू, दिव्यांशी चौबे, सरिका भारतीय ने धोलिड़ा धोलिड़ा धोलिड़ा पर आकर्षक राजस्थानी नृत्य की मनोरम छटा बिखेरी। इसी क्रम में कोमल, डॉली, रिया, खुशबू, स्नेहा, प्राची, मुस्कान, आस्था, आशा, आकांक्षा, वर्षा और प्रीती ने रश्मि शर्मा व लक्ष्मी सोनकर के निर्देशन में महाराष्ट्र के लावणी नृत्य को प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया। मन को मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के उपरान्त यशप्रीत, ऋषि, दर्श, काव्या, सक्षम, अर्णव, पियूषा, आरव, आव्या, आवना, सार्थक ने मां मेरी मां गीत पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। इसी क्रम में नक्षत्र फाऊंडेशन के बच्चों ने अनुराधा यादव व ऋचा तिवारी ने बॉलीवुड डांस पेश किया। कार्यक्रम का संचालन सम्पूर्ण शुक्ला और अरविन्द सक्सेना ने किया। वहीं वीकएंड के कारण महोत्सव में सुबह से ही लोगो का तातां लगा रहा, जो शाम होते होते एक हुजूम में बदल गया। इस अवसर पर लोगोें ने भारत हस्तशिल्प महोत्सव में घूमकर खुब लुत्फ उठाया। भारत हस्तशिल्प महोत्सव में लोगों ने सहारनपुर के फर्नीचर, भदोही के कालीन, स्वयं सहायता समूहों के घरेलू उत्पाद जैसे पापड़, अचार, मसाले, कश्मीरी ड्राई फ्रूट्स, हस्तनिर्मित बटुए, चादर, सलवार सूट और साड़ी की खरीदारी की, तो वहीं बच्चों सहित बड़ों ने झूलो का आनन्द उठाया तो वहीं दूसरी ओर राजस्थानी, गुजराती, साउथ इन्डियन और अवधी व्यंजनों का लुत्फ भी लिया।