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बेंगलुरू। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने गुरुवार को कहा कि कुछ एजेंसियों और संगठनों की ‘त्रुटिपूर्ण रिपोर्टों से चुनाव प्रबंधन निकायों की विश्वसनीयता को अधिक नुकसान होता हैं। उन्होंने कहा कि उन अग्रणी निकायों द्वारा किए गए कार्यों को इस तरह के सर्वेक्षणों में कोई जगह नहीं दी जाती हैं।
कुमार ने ऐसे निकायों से आवश्यक मानदंडों और स्तर के साथ आने का आग्रह किया जो इस तरह के सर्वेक्षणों और रैंकिंग का मार्गदर्शन करें। वह ‘समावेशी चुनाव और चुनाव की समग्रता’ विषय पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कम समावेशिता वाले देशों को उच्च स्थान दिया गया है। उन्होंने कहा कि त्रुटिपूर्ण रिपोर्ट ईएमबी की विश्वसनीयता को और अधिक नुकसान पहुंचाती है।
साथी चुनाव आयुक्तों के साथ सीईसी बेंगलुरु में थे, जहां उन्होंने कर्नाटक की चुनाव तैयारियों का भी आकलन किया। सीईसी ने बताया कि भारत में 46 करोड़ महिला मतदाता हैं, जो पुरुष मतदाताओं की संख्या के लगभग बराबर है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया। उन्होंने कहा कि यह समावेश का वह स्तर है जिसे भारत हासिल करने में सक्षम रहा है। अपने संबोधन में चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने कहा कि भारत का चुनाव आयोग ‘कोई मतदाता न छूटे’ के आधार पर काम कर रहा है। चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने कहा कि समावेशी चुनाव ‘चुनाव की अखंडता’ का एक महत्वपूर्ण खंड है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रमुख मतदाता शिक्षा कार्यक्रम स्वीप देश भर में दस लाख से अधिक मतदान केंद्रों में फैले 950 मिलियन से अधिक मतदाताओं से जुड़ता है।
बता दें कि अंगोला, आर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चिली कोस्टा रिका, क्रोएशिया, डेनमार्क, डोमिनिका, जॉर्जिया, गुयाना, केन्या, कोरिया गणराज्य, मॉरीशस, मोल्दोवा, नॉर्वे, फिलीपींस, पुर्तगाल सहित 31 देशों/ईएमबी से कुल 59 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सम्मेलन में रोमानिया, सेंट लूसिया, सूरीनाम, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और जाम्बिया के साथ-साथ दो अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया।