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वहीं दूसरी ओर अपनी दूसरी पारी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत सख्त नजर आ रहे हैं। योगी सरकार ने लखनऊ के छह ऐसे अधिशासी अभियंताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का फैसला किया है, जिन्होंने बिजली कनेक्शन देने में बड़े स्तर पर गड़बड़ी की है। इस कार्रवाई में कई जेई और सहायक अभियंता भी जद में आएंगे।
मकान बनवाने के लिए पहले अस्थायी कनेक्शन महीनों व सालों तक चलाना और फिर उसे मिलीभगत करके खत्म कर देना। इस खेल में कई अधिशासी अभियंताओं की भूमिका संदिग्ध पायी गई है। ऐसे अधिशासी अभियंताओं को चिन्हित करके कार्रवाई की तैयारी है। यह कार्रवाई अप्रैल माह में की जा सकती है। इनमें कुछ अधिशासी अभियंता से पदोन्नति पाकर अधीक्षण अभियंता भी हो गए हैं। राजधानी के सभी 26 खंडों में अस्थायी कनेक्शन से स्थायी कनेक्शन को लेकर खूब खेल हुआ। इनमें से कुछ को बर्खास्त तक किया जा सकता है। इसकी जांच रिपोर्ट चंद सप्ताह पहले ही शक्ति भवन को तीन सदस्यीय टीम द्वारा सौंपी जा चुकी है। पावर कारपोरेशन के चेयरमैन द्वारा यह कार्रवाई की जा सकती है।
जांच टीम ने पाया कि अस्थायी कनेक्शन का जो राजस्व जमा होना चाहिए था वह जमा नहीं किया गया और उपभोक्ता से मिलीभगत करके स्थायी कनेक्शन दे दिया गया। इससे करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान बिजली महकमे को हुआ। वहीं उपभोक्ता व अभियंता ने बिजली विभाग को आर्थिक चोट पहुंचायी है। यह खेल सबसे अधिक वृंदावन खंड, बीकेटी, चौक, चिनहट के साथ दो अन्य खंडों में हुआ। यहां तैनात रहे अधिशासी अभियंता की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों की माने तो इन पर कार्रवाई के लिए शक्ति भवन से मसौदा तैयार कर लिया गया है। इनमें जेई व सहायक अभियंता की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।
अधिशासी अभियंताओं के वेतन, फंड से इसकी रिकवरी करने की तैयारी है। उदाहरण के तौर पर अभियंताओं ने उपभोक्ता के लाखों रुपये के अस्थायी कनेक्शन के बिल को चंद लाख में करके स्थायी कर दिया और नया कनेक्शन विद्युत सुरक्षा निदेशालय की एनओसी देकर जारी कर दिया। यह खेल खूब कई खंडों में हुआ। जांच टीम ने पाया कि एक एक साल में दर्जनों अस्थायी से स्थायी कनेक्शन का खेल किया गया। इस खेल में अवर अभियंता से लेकर सहायक अभियंता व अधिशासी अभियंता की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है।