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प्रयागराज। सपा के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक मामले में बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मौर्य के खिलाफ दर्ज मामले में आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने की कोशिश खारिज कर दी है।
आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले को लेकर सपा नेता की तरफ से कार्रवाई रद्द करने की याचिका दायर की थी। जिसको कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि स्वस्थ आलोचना का मतलब यह नहीं है कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाए जो लोगों को अपराध करने के लिए प्रेरित करें। अदालत में कहा गया कि मौर्य ने कथित तौर पर रामचरितमानस की दो चौपाइयों को दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लोगों के खिलाफ बताते हुए आपत्ति जताई थी।
आपको बता दें कि रामचरितमानस के बारे में मौर्य ने कथित तौर पर कहा था कि इसे तुलसीदास ने आत्म-प्रशंसा और अपनी खुशी के लिए लिखा था। लेकिन धर्म के नाम पर दुव्र्यवहार क्यों? दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों को गालियां, उनकी जातियों का नामकरण करके उन्हें शूद्र बताया। क्या गाली देना धार्मिक है।
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि बयान के कारण, देश में कुछ अन्य नेता सर्वसम्मति से रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के लिए सहमत हुए और उन्होंने हिंदू समाज के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। जिसके कारण जनता के मन में अशांति पैदा हुई और एक हिंदू धर्म के विभिन्न वर्गों में शत्रुता और वैमनस्य की भावना पैदा हो गई।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मौर्य के कथित कृत्य ने लोगों को दंगा भडक़ाने के लिए उकसाया। इन कृत्यों के कारण श्रीरामचरितमानस, जिसे एक बड़े वर्ग द्वारा पवित्र पुस्तक माना जाता है, इसकी प्रतियां जलाकर क्षतिग्रस्त की गई।