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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। हमें अपनी पिछली गलतियों से सीखने और गलत संचार को सुधारने के लिए एसबीसी संचार का उपयोग करना चाहिए। हमारा मुख्य उद्देश्य असमानता की खाई को पाटना होना चाहिए, जिसमें सबका साथ, सबका विकास का सम्यक दृष्टिकोण शामिल हो। यह बातें प्रदेश सरकार में अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग द्वारा एवं यूनिसेफ और शरणम् सेवा समिति के सहयोग से “सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन के लिए संचार” (सीएसबीसी) के विषय पर आयोजित राष्ट्रिय संगोष्ठी में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का समाज कल्याण मंत्रालय समाज कार्य विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ ऐसी तमाम कार्यशालाएं आयोजित करने को तैयार है क्योंकि इसका सीधा लाभ आमजन को मिलेगा। उन्होंने सरकार के साथ मिलकर काम करने के महत्व को समझाते हुए बताया कि सरकार कल्याण मित्र के पदों को सृजन करने जा रही है जिससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के सीएसबीसी कार्यक्रम अधिकारी दया शंकर सिंह ने एक वीडियो के माध्यम से एसबीसी के महत्व को समझाते हुए बताया कि यह किस प्रकार वंचित समुदायों को सशक्त बनाने की उल्लेखनीय क्षमता रखता है, इसके माध्यम से उनमे एक सकारात्मक बदलाव आता है जो समाज के विभिन्न वर्गों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है और समाज आगे बढ़ता है. दया शंकर ने इसके लिए जिसमें पोलियो का उदहारण लिया और बताया कि किस प्रकार हमने एसबीसी का प्रयोग करते हुए पोलियो को भारत से खत्म कर दिया और ऐसे ही कोशिशें अन्य विकासशील देशों में जारी हैं। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के प्रमुख डॉ. जकारी एडम ने सीएसबीसी के बारे में लखनऊ विश्वविद्यालय की गहन समझ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विश्विद्यालय की इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में सीएसबीसी की महत्वपूर्ण भूमिका वह कोविड-19 महामारी के दौरान टीकाकरण अभियान में रही। उन्होंने कहा कि वे यूनिसेफ के प्रतिनिधि होने के रूप में इस साझेदारी को बनाए रखने का वचन देते हैं, और इस बात का भरोसा देते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश राज्य और समग्र रूप से भारत को इस विकासात्मक कार्यक्रम का लाभ मिलेगा। कला संकाय के अध्यक्ष प्रो. अरविन्द अवस्थी ने कहा कि सामाजिक चुनौतियों से निपटने की क्षमता पर जोर देते हुए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम अपनाने के समाज कार्य विभाग के निर्णय के लिए विभाग को शुभकामनायें दी साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह पहल बेहद फायदेमंद होने वाली है, जो न केवल छात्रों के व्यक्तिगत विकास में बल्कि राष्ट्र के समग्र विकास में भी योगदान देगी। उन्होंने सक्रिय रूप से सुनने और चर्चा करने के महत्व पर जोर दिया। शरणम सेवा समिति के सचिव शरफ अब्बास खान ने समाज कल्याण विभाग और समाज कार्य विभाग के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए बताया कि हम एक संस्था होने के नाते समाज के विकास को लेकर अत्यंत गंभीर हैं और इस उद्देश्य के प्रति लोगों को सीएसबीसी के विषय में जागरूक करना ही हमारा लक्ष्य है। कार्यशाला में विभिन्न विश्वविद्यालयों, सेना के अधिकारीयों एवं संस्थाओं के साथ बड़ी संख्या में आये हुए छात्रों का धन्यवाद देते हुए समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार भारतीय ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जिसने अपने पाठ्यक्रम में सीएसबीसी को शामिल किया है। हम समाज के वंचित वर्गों के कल्याण के लिए सरकार के साथ हैं।