Getting your Trinity Audio player ready... |
लखनऊ। बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं के कार्य बहिष्कार से उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए विद्युत वितरण निगमों ने अब कड़ी कार्रवाई शुरू की है। पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के साथ-साथ और केस्को ने आंदोलन में शामिल कर्मचारियों व अभियंताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए निष्कासन के साथ ही सैकड़ों अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए। काम नहीं तो वेतन नहीं के सिद्धांत पर वेतन रोकने के भी आदेश जारी किए गए।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने आंदोलनरत 25 संविदाकर्मियों को निष्कासित किया और तीन मुख्य अभियंता, 21 अधीक्षण अभियंता सहित 43 अधिशासी अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। वहीं, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने भी दो अधीक्षण अभियंता और 16 अधिशासी अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए। निगम ने बड़ी कार्यवाही करते हुए 1067 अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित करते हुए काम नहीं, तो वेतन नहीं के सिद्धांत पर वेतन रोकने का आदेश निर्गत किया।
पश्चिमांचल ने भी अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड, प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ का वेतन काटने का आदेश जारी किया। वहीं, सहारनपुर के दो अवर अभियंताओं दीपक कुमार और राज कुमार को निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं निगम ने मुख्यालय स्तर से 10 संगठनों के पदाधिकारियों को कार्य बहिष्कार आंदोलन बंद करने और काम नहीं तो वेतन नहीं के आधार पर नोटिस जारी किए। केस्को कानपुर ने भी आंदोलन में शामिल कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए एक दिसंबर का वेतन काटने का निर्देश दिया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर बिजली कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार शुक्रवार को पांचवें दिन भी जारी है। बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने काम बंद कर विरोध विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिससे कई जिलों में विद्युत व्यवस्था भी प्रभावित हुई। हालांकि, संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि कार्य बहिष्कार का बिजली उपभोक्ताओं पर असर न हो इसलिए सभी बिजली उत्पादन घरों और वितरण उपकेंद्रों में कार्यरत बिजलीकर्मियों को कार्य बहिष्कार से अलग रखा गया है। जहां आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हैं वहां भी कर्मचारियों को आंदोलन से अलग रखा गया है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कार्य बहिष्कार के दौरान जनता को हो रही परेशानी के लिए ऊर्जा निगम के शीर्ष प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। कहा है कि प्रबंधन सरकार को गुमराह कर जनता के बीच सरकार व बिजलीकर्मियों की छवि खराब कर रहा है।
ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबंधन, ऊर्जा मंत्री के निर्देशों के अनुरूप कार्य करने को तैयार नहीं है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के राजीव सिंह, जीतेंद्र सिंह गुर्जर, जीवी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पांडेय ने जारी बयान में कहा है कि ऊर्जा निगमों के चेयरमैन के रवैये से बिजलीकर्मियों में गुस्सा है और वे तनावपूर्ण एवं नकारात्मक माहौल में कार्य नहीं कर सकते।
पदाधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी बिजलीकर्मी पर कोई कार्यवाही होगी तो इसकी इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी। इधर, बिजली कर्मचारियों के आंदोलन में विद्युत मजदूर संगठन भी संघर्ष समिति में शामिल हुआ।
विद्युत मजदूर संगठन के अध्यक्ष आरवाइ शुक्ला, महामंत्री श्रीचंद्र, पूर्व अध्यक्ष शमीम अहमद, पूर्व महामंत्री आलोक सिन्हा, पूर्व महामंत्री आरसी पाल सहित अन्य ने संयुक्त संघर्ष समिति में शामिल होने की घोषणा की।
उत्तर प्रदेश पावर आफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि कुछ जिलों में जबरदस्ती कार्यालय बंद कराए जा रहे हैं, जो पूर्णतया गलत है। उन्होंने कहा कि जिसे काम नहीं करना है न करें, लेकिन व्यवधान उत्पन्न न करे। एसोसिएशन ने अपने सदस्यों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वह अपने जिलों में उपभोक्ताओं से फीडबैक भी लेते रहें कि उन्हें कोई समस्या तो नहीं है और ब्रेकडाउन जैसी समस्या का समय रहते निदान कराएं। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एसपी सिंह, पीएम प्रभाकर, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन ने अपने सदस्यों से कहा है कि विद्युत आपूर्ति बनाए रखने में अपना योगदान दें।