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बिहार में निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है. राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव का शेड्यूल जारी कर दिया है. इसके बाद पहले चरण के लिए 18 दिसंबर जबकि दूसरे चरण के लिए 28 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. वोटों की गिनती 20 और 30 दिसबंर को होगी. चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद इसपर फिर सियासत चालू है. बीजेपी ने कहा है कि बिहार में होने वाले निकाय चुनाव पर फिर ग्रहण लग सकता है. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 28 नवंबर के आदेश की अवमानना कर जबरदस्ती और जल्दबाजी में नगर निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है.
बीजेपी नेता और पू्र्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने 28 नवंबर को निर्देश जारी किया था कि बिहार सरकार ने जो आयोग गठित किया था उस पर रोक लगाई जाए. उसके बावजूद नीतीश सरकार चुनाव करा रही है. यह कोर्ट के अवमानना का मामला है.
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा- अगर इस तरह से चुनाव कराया जाता है तो यह भविष्य के लिए संकट का कारण बन सकता है और इसपर कभी भी रोक लगाया जा सकता है. नीतीश कुमार अपनी ज़िद की वजह से अतिपिछड़ों को अपमानित कर रहे हैं. बिहार सरकार नगर निकाय चुनाव की किरकिरी करा रही है. जल्दबाजी में चुनाव की घोषणा कर जनता के साथ धोखा किया जा रहा है. उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट कर सवाल उठाया.
सुशील मोदी ने ट्वीट किया- सुप्रीम कोर्ट की अवमानना कर जल्दबाजी में निकाय चुनाव घोषित कर दिया गया है. रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया. इसके बाद उन्होंने लिखा- तथाकथित बिहार के अति पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया ? क्या लोगों को जानने का अधिकार नहीं है की किन- किन जातियों को इसमें रखा गया है ?. फिर उन्होंने सवाल उठाया-28 Nov के सुप्रीम कॉर्ट के आदेश की अवमानना कर बिहार सरकार ने EBC आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कैसे किया ?
इससे पहले चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले सुशील मोदी ने एक ट्वीट किया था ‘सुप्रीम कोर्ट ने अति पिछड़ा आयोग को डेडिकेटेड कमीशन नहीं माना है. बीजेपी पहले से कह रही थी नया कमीशन बनाइए लेकिन नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे. फिर एक बार नीतीश कुमार का अति पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया.