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परमार्थ निकेतन के पंडाल में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन का होगा आगाज़

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लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। भारतीय जीवन मूल्यों, सांस्कृतिक पहचान तथा दर्शन को वैश्विक मंच तक प्रभावी तौर पर संप्रेषित करने, ष् वसुधैव कुटुंबकम ष् और सर्वे जनः सुखिनः भवन्तु की उदात्त भावना को संचारित कर विश्व शान्ति व सौहार्द को फलीभूत करने की व्यापक संकल्पना हेतु कार्यरत अंतरराष्ट्रीय संस्थाष् हिन्दी साहित्य भारतीष् का चौथा अधिवेशन प्रयाग राज महाकुंभ के विराट पावन परिसर स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम, त्रिवेणी पुष्प, अरैल में आयोजित किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण तीन दिवसीय आयोजन की औपचारिक शुरुआत दिनांक 14 फरवरी को पूर्वान्ह 11बजे होगी,जबकि समापन सत्र 16 फरवरी को मध्यान्ह सम्पन्न होगा।
उल्लेखनीय है किष् मानव बन जाए जग सारा, यह पावन संकल्प हमारा की मूल अवधारणा हेतु केन्द्रित हिन्दी साहित्य भारती(अंतर्राष्ट्रीय) ने वर्ष 2020 में अपने औपचारिक गठन/ पंजीकरण के बाद चार सालों के अल्प समयान्तराल पर ही अभूतपूर्व सफलता हासिल करते हुवे जहां सम्पूर्ण देश में हर राज्य और सभी केंद्र शासित प्रदेशों में अपने प्रभावी संगठनात्मक ढांचे का काम सम्पन्न कर विभिन्न रचनात्मक आयोजनों का कीर्तिमान स्थापित किया है, वहीं दूसरी ओर 37 विभिन्न देशों में भी अपना संगठन स्थापित कर आयोजनों के माध्यम से भारतीयता, भारतीय भाषा, साहित्य व सामाजिक सरोकार तथा सांस्कृतिक थाती को विस्तारित व प्रसारित करने का मौलिक सद्कार्य शुरू किया है। इससे पूर्व हुवे अधिवेशनों की बात की जाए तो पहला व तीसरा अधिवेशन दिल्ली विश्वविद्यालय के सुप्रतिष्ठित हंसराज कालेज परिसर में आयोजित हुआ था जबकि दूसरा संस्था के मुख्यालय झांसी में हुआ था। चौथा अधिवेशन महाकुंभ परिसर में आयोजित करने के मूल उद्देश्य को व्याख्यायित करते हुवे संस्था के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर रवींद्र शुक्ल ( सुप्रतिष्ठित साहित्यकार, पत्रकार और पूर्व शिक्षा व कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार) ने बताया कि 144 वर्षों के दीर्घकालिक समयान्तराल के बाद प्रयाग राज के पावन भूमि पर संगमतट पर हो रहे महाकुंभ की अभूतपूर्व महत्ता व पुण्य प्रताप! को संस्था के देश-विदेश से शामिल होने वाले समर्पित सदस्यों के माध्यम से प्रसारित कर इस पौराणिक प्रसाद के पीछे निहित मानवीय संवेदना व आपसी सौहार्द को विस्तारित करना भी प्रयोजन रहा है। संस्था के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक , जनसंचार प्रकोष्ठ आनन्द उपाध्याय (सुविख्यात साहित्यकार व स्वतंत्र पत्रकार- स्तंभकार) ने जानकारी दी कि संस्था को अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते विगत 14 सितंबर 2024 को म्यांमार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में न सिर्फ औपचारिक आमंत्रण मिला, वरन संस्था की ओर से डॉक्टर रवींद्र शुक्ल ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर अनेक रचनात्मक सुझाव भी दर्ज करवाए। बीते दिनों संस्था की महाराष्ट्र राज्य इकाई के तत्वावधान में मुम्बई में आयोजित भव्य समारोह में ष्सबके राम, शाश्वत श्रीराम!ष् विचार श्रँखला की108 विचार माला कड़ियों की शुरुआत के समय नाम लेखन परिज्ञान प्रदर्शन हेतु गिनीज बुक में नामांकित होने का भी गर्व हासिल हुआ। संस्था के नियमित आयोजनों की जानकारी देते हुवे डॉक्टर शुक्ल ने बताया किष् राष्ट्र वन्दन, अतीत का अभिनन्दन ष् श्रृखंला के तहत जहां देश के ऐसे महानतम साहित्यकारों का भावपूर्ण स्मरण किया जाता है, जिनके प्रेरक व्यक्तित्व व कृतित्व के बारे में उतना प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया, जिसके वे हकदार थे।

अन्य श्रंखला राष्ट्र वंदन, वर्तमान का अभिनन्दन के अधीन वर्तमान समय में समाज व राष्ट्र हित में साहित्य सृजना से जुड़े रचनाकारों के व्यक्तित्व और कृतित्व का स्मरण किया जाता है। प्रत्येक मंगलवार को तरंग माध्यम (ऑनलाइन) से देश-विदेश के सदस्यों व आम जन को भी सहभागी बनाकर मूर्धन्य विद्वान के माध्यम से ष् सबके राम , शाश्वत श्रीराम ष् विचार माला में एक घंटे का प्रबोधन प्रसारित होता है।मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन का लाभ प्राप्त होता है। राष्ट्र वंदन कवि अभिनन्दन कार्यक्रम के जरिए देश के प्रतिभाशाली कवियों को राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करना मूल उद्देश्य रहता है। जनसंचार प्रकोष्ठ के संयोजक आनन्द उपाध्याय के अनुसार संस्था के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौलिक पहल पर देश का नाम भारत संबोधित किए जाने और संविधान के मूल आलेख पत्र में इंडिया शब्द को विलोपित करने का पुरजोर आग्रह किए जाने सहित हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा के स्वरूप में संवैधानिक तौर पर अंगीकार करने की मांग के सापेक्ष पूरे देश की इकाईयों के माध्यम से संकल्प पत्र हस्ताक्षरित करवाए गये हैं। अब तक हजारों पत्र प्राप्त हो चुके हैं, जिन्हें संकलित कर देश की महामहिम राष्ट्रपति जी को सौंपा जाना प्रस्तावित है। हिन्दी सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्य का स्तरीय अनुवाद करवाकर देश-विदेश को रचनात्मक जुड़ाव महसूस करवाने का भी प्रकल्प विचारणीय है।संस्था की अपनी उत्कृष्ट पत्रिका और मासिक समाचार दर्शिका भी प्रकाशित की जानी है।देश के विभिन्न स्थानों सहित 37 विविध देशों में नियमित आयोजन के समस्त कार्यक्रमों में भारतवर्ष के सभी स्वनामधन्य मूर्धन्य साहित्यकारों के नाम स्मरण से परिपूर्ण संस्था का सुमधुर ष्ध्येय गीतष् अपरिहार्य रूप से मुखरित होता है। आयोजन के समापन पर भारतवर्ष ही नहीं अपितु वैश्विक बिरादरी और निखिल सृष्टि के कल्याण हेतु कल्याण मंत्र का वाचन किया जाना भी संस्था का ध्येय रहा है।विदेश से आने वाले खासकर विदेशीमूल के हिन्दी पठन-पाठन से जुड़ाव रखने वाली सख्शियतों को प्रोत्साहित करने के लिए हिन्दी साहित्य भारती उनका विशेष तौर पर अभिनन्दन और सम्मान करती आयी है। संस्था का अपना अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय वीरसु धरा वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जी की कर्म स्थली झांसी में बनाया जाना प्रस्तावित है। महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित हो रहे इस चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में देश-विदेश से भारतीय जीवन दर्शन और भाषाओं के विशिष्ट अनुरागीजन के साथ ही भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री गण, पूर्व राज्यपाल,, सेवानिवृत्त आईएएस सहित मौजूदा प्रशानिक अधिकारी, मूर्धन्य विद्वान, साहित्यकार, वरिष्ठ पत्रकार और संस्कृतिकर्मियों की प्रमुखता से सहभागिता रहेगी। आयोजन में हुवे विमर्श और पारित रचनात्मक सुझावों / प्रस्तावों को लिपिबद्ध भी किया जाएगा।

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