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 नाम पर संग्राम? अब बॉलीवुड सेलिब्रिटी और पॉलिटिशियन के बीच बयानबाजी शुरू

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लखनऊ, (माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः बीते दिनों मुजफ्फरनगर प्रशासन ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे दुकान और फलों ठेले लगाने वाले दुकानदारों को अपना नाम लिखने के आदेश के बाद यूपी की राजनीति से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफार्म तक वाकयुद्ध छिड़ गया है, कोई इस आदेश को सही ठहरा रहा, तो कईयों ने इस आदेश की आड़ में प्रदेश सरकार के राजनीति एजेण्डे को साधने की बात कह रहे हैं। फिलहाल कांवड़ यात्रा से पहले नाम बदलने के आदेश पर चर्चाओं और बहसबाजी का एक नया संघर्ष इन दिनों छिड़ा हुआ है। कांवड़ यात्रा मार्ग पर रेहड़ी और दुकान लगाने वालों को नाम लिखने का आदेश दिया है। प्रशासन के इस आदेश का देश के कई राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं। पटकथा लेखक जावेद अख्तर सहित कई अन्य बाॅलीबुड सैलिब्रिटी इस मुद्दे पर अपनी अपनी राय सोशल मीडिया प्लेटफार्म जरिए व्यक्त कर रहे हैं तो वहीं विपक्षी राजनीति दलों ने प्रशासन के इस निर्णय का विरोध जता रहें हैं।
कांवड़ यात्रा मार्ग में दुकान का नाम दुर्गा का मिष्ठान भंडार, लेकिन मालिक दानिश, इसी तरह कृष्णा टी स्टॉल लेकिन उसे चलाने वाले का नाम कामरान.. यह सिर्फ उदाहरण हैं। जो मुजफ्फरनगर प्रशासन के उस आदेश से जोड़कर देखे जा रहे हैं, जिसमें कांवड़ यात्रा में रेहड़ी या दुकान लगाने वालों को नाम लिखने का आदेश दिया गया है।

प्रशासन के इस आदेश के बाद से देश भर में एक अलग ही बहस छिड़ गई है। कोई इसे सही बता रहा है तो कोई फैसले पर सवाल उठा रहा है। उत्तर प्रदेश में दुकान और दुकान मालिक के नाम बताने वाले आदेश पर विवाद छिड़ गया है। सावन का पवित्र महीना शुरू हो रहा है। हरिद्वार से गंगा जल भरने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में कांवड़िये जाते हैं। इस क्रम में उत्तर प्रदेश के बड़े इलाके से शिवभक्त कांवड़ यात्री गुजरते हैं, जिसमें मुजफ्फरनगर एक बड़ा केंद्र है। इसी को देखते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस ने खाने-पीने की दुकानों के लिए एक आदेश जारी किया है, जिसमें दुकान के बाहर मालिक और कर्मचारी का नाम लिखने को कहा गया है। आदेश के मुताबिक फल की रेहड़ी लगाने वालों को अपना नाम रेहड़ी पर लिखना होगा। वो गलत नाम नहीं लिख सकते हैं, गलत नाम पर फल बेचने वालों पर कार्रवाई होगी। इसी तरह होटल मालिक को अपना और अपने कर्मचारी का नाम होटल के बोर्ड पर लिखना होगा, जिससे कांवड़ यात्रियों को ये जानकारी मिल पाए कि वो जिस होटल से खाना ले रहे हैं या फिर जिस दुकान से फल खरीद रहे हैं वो किसका है, उनका नाम क्या है। मुजफ्फरनगर प्रशासन के इस आदेश का असर भी दिखने लगा है। कई जगहों पर फलों का ठेला लगाने वाले अब अपने ठेलों पर अपने अपने नाम के पोस्टर भी लगाए हुए दिखाई दे रहे है। वहीं कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन मुजफ्फरनगर प्रशासन के इस आदेश का विरोध कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस फैसले का विरोध करते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा-जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? उन्होंने आगे लिखा कि कोर्ट को इस फैसले पर खुद संज्ञान लेना चाहिए। असदुद्दीन ओवैसी भी इस आदेश के खिलाफ खड़े हुए और उन्होंने इसकी तुलना हिटलर के फैसले से की है। उन्होंने लिखा कि अब हर ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। मशहूर लेखकर जावेद अख्तर ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए और इसकी तुलना जर्मनी के नाजी काल से की, जबकि कांग्रेस पूछ रही है ये मुसलमानों के आर्थिक बॉयकॉट की दिशा में उठाया गया कदम है या दलितों के आर्थिक बॉयकॉट का ? वहीं इस मुद्दे के तूल पकड़ते ही मुजफ्फरनगर पुलिस ने सफाई भी दी है। नाम बताने वाले आदेश पर नॉनस्टॉप राजनीति के बीच मुफ्फरनगर पुलिस प्रशासन की तरफ से बयान आया है। डीएम और एसपी दोनों ने कहा है कि नाम लिखने वाला आदेश सिर्फ कांवड़ यात्रा मार्ग में सावन महीने के लिए ही है। कांवड़ियों और स्थानीय दुकानदारों में किसी तरह का विवाद ना हो, इसलिए ऐसा किया गया है। हालांकि स्थानीय दुकानदार और ठेले वाले नाम लिखने वाले आदेश को सही बता रहे हैं उनका तर्क है कि कांवड़ यात्रा के दौरान किसी तरह की समस्या ना हो, इसके लिए जरूरी है कि पहले से उपाय किए जाएं, जो हो भी रहे हैं। वहीं कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों के सामने नेम प्लेट लगाने के आदेश पर बवाल छिड़ा हुआ है। इस पर अभी तक तो नेताओं के बयान आ रहे थे, लेकिन अब बॉलीवुड सेलिब्रिटी और सेलिब्रिटी पॉलिटिशियन के बीच भी इस मुद्दे को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई। योगी सरकार के आदेश वाले विवाद में अब अभिनेता सोनू सूद ने एंट्री ली है और उनको जवाब देने की जिम्मेदारी अभिनेत्री से सांसद बनी कंगना रनौत ने संभाल ली है। अभिनेता सोनू सूद और मंडी लोकसभा क्षेत्र से जीतीं नेता कंगना रनौत सोशल मीडिया पर आमने-सामने आ गए। बता दें, कि चल रहे विवाद पर सोनू सूद ने कहा कि हर दुकान पर केवल एक नेम प्लेट होनी चाहिए और वो है मानवता।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद कंगना रनौत ने जवाब दिया कि अब हलाल को भी मानवता से रिप्लेस किया जाना चाहिए। दोनों के इस संवाद के बीच एक यूजर ने सोनू सूद को टैग करते हुए लिखा कि थूक लगी रोटी सोनू सूद को पार्सल की जाए, ताकि भाईचारा बना रहे! इस पर सोनू सूद ने रिप्लाई किया। उन्होंने लिखा कि हमारे श्री राम जी ने शबरी के जूठे बेर खाए थे तो मैं क्यों नहीं खा सकता, हिंसा को अहिंसा से पराजित किया जा सकता है मेरे भाई। बस मानवता बरकरार रहनी चाहिए। इस पर सांसद कंगना रनौत ने सोनू सूद के इस पोस्ट पर भी प्रतिक्रिया दी और लिखा, अब सोनू जी भगवान और धर्म के बारे में अपने निजी निष्कर्षों पर आधारित रामायण का निर्देशन करेंगे। वाह क्या बात है बॉलीवुड से एक और रामायण। इस तू-तू मैं-मैं के बीच सोनू सूद को शायद ये बात समझ आ गई कि थूक वाले खाने को सही ठहराने से विवाद और बढ़ सकता है। ऐसे में उन्होंने फिर से एक पोस्ट किया। अपने पोस्ट में सोनू सूद ने लिखा कि मैंने खाने में थूकने वालों को कभी सही नहीं बताया। वो उनका चरित्र है जो कभी नहीं बदलेगा। इसके लिए उन्हें कड़ी सजा भी दें, लेकिन इंसानियत को इंसानियत ही रहने दें दोस्त। यूपी सरकार के काम का मैं सबसे बड़ा प्रशंसक हूं। यूपी, बिहार का हर घर मेरा परिवार है। हंगामा सिर्फ नेताओं और अभिनेताओं ने ही नहीं खड़ा किया है बल्कि धर्मगुरु भी अपने बयानों से इस विवाद में कूद पड़े। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कांवड़ यात्रा के रास्ते में दुकानदारों के नेम प्लेट लगाने वाले आदेश की आलोचना की है। जमीयत उलमा-ए-हिंद अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा है कि धर्म की आड़ में राजनीति के नए खेल खेले जा रहे हैं, ये एक भेदभावपूर्ण और साम्प्रदायिक फैसला है, जिससे देश को नुकसान होगा। जबकि हिंदू धर्मगुरु कह रहे हैं कि नेम प्लेट लगाने में समस्या क्या है, वो भी तब जब ये सिर्फ सावन के महीने के लिए है। वहीं इस बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन ने इस आदेश का समर्थन किया है। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि प्रशासन के इस आदेश में कुछ भी गलत नहीं है। शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों को सभी को समर्थन करन चाहिए और प्रशासन का सहयोग करना चाहिए। मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि सरकार व पुलिस प्रशासन का यह कदम बिल्कुल सही है। इस तरह के फैसले से किसी भी प्रकार का उपद्रव भी नहीं होगा और पहले से सब जानकारी होने के कारण कोई विवाद भी खड़ा नहीं होगा। सरकार के फैसले से किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
वहीं लखनऊ यूपी में कांवड़ रूट पर मौजूद दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश को लेकर योगी सरकार अपने सहयोगी दलों के निशाने पर है। एनडीए में शामिल रालोद के अध्यक्ष जयंत चैधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसले का विरोध जताया है। जयंत ने कहा- कांवड़ यात्री जाति और धर्म की पहचान कर किसी दुकान पर सेवा नहीं लेता है। इस मुद्दे को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। ज्यादा समझकर फैसला नहीं लिया। अब फैसला ले लिया तो उसके ऊपर टिकी हुई है सरकार। कभी कभी ऐसा हो जाता है सरकार में। अभी भी समय है सरकार को फैसला वापस ले लेना चाहिए। मीडिया से वार्ता में जयंत चैधरी ने कहा- सब प्रतिष्ठान अपना नाम लिखे, यह सही नहीं है। अब मैकडॉनल्ड क्या लिखेगा। खतौली में बर्गर किंग की दुकान वाला क्या लिखेगा। सरकार या तो फैसला वापस ले ले या प्रशासन इस पर कोई जोर न दे। जो दुकानदार स्वेच्छा से नेमप्लेट लगाना चाहें, वहीं लगाएं। वैसे मैं देख रहा हूं कि कहीं प्रशासन दुकानदारों पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा है। जहां तक वेज और नॉनवेज की बात है, उसमें सेंस है। अगर कोई वेजेटेरियन है तो उसके सामने यह प्रमाणित होना चाहिए कि जो पदार्थ वह खा रहा है वह वेज है। पर क्या इस पर पाबंदी लगा सकते हैं कि नॉनवेज खाने वाला आदमी वेज चीज न बनाए या न परोसे? मुसलमान वेजिटेरियन हैं और हिंदू मीट खाने वाले भी हैं।
मुजफ्फरनगर प्रशासन ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे दुकान और फलों के ठेले लगाने वाले दुकानदारों को अपना नाम लिखने के आदेश के बाद यूपी की राजनीति विपक्ष हमलावर हो गया, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने कुछ इस तरह अपना विरोध जताया।

अखिलेश यादव ने कहा – आदेश सामाजिक अपराध

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भी इस मामले पर ट्वीट कर कहा कि ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जिनके नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में स्वतरू संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे।

कांग्रेस ने कहा – ये भारतीय तहजीब पर हमला

कांग्रेस ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर पुलिस का आदेश भारतीय तहजीब पर हमला और ‘मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का सामान्यीकरण करने’ का प्रयास है। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि इस कदम के पीछे का मकसद मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार करने का सामान्यीकरण करना है।

ओवैसी ने कहा – हिटलर की आत्मा

असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस संबंध में लिखित आदेश जारी करने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि लगता है सीएम योगी में हिटलर की आत्मा समा गई है। उन्होंने इसे स्पष्ट रूप से ‘भेदभावपूर्ण’ आदेश करार दिया और आरोप लगाया कि यह दर्शाता है कि सरकार उत्तर प्रदेश और पूरे देश में मुसलमानों को ‘दूसरे दर्जे’ का नागरिक बनाना चाहती है।

मायावती ने कहा – आदेश एक गलत परंपरा

इस घटना पर बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने ‘एक्स’ पर कहा, पश्चिमी उप्र व मुजफ्फरनगर जिला के कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले सभी होटल, ढाबा, ठेला आदि के दुकानदारों को मालिक का पूरा नाम प्रमुखता से प्रदर्शित करने का नया सरकारी आदेश एक गलत परम्परा है जो सौहार्दपूर्ण वातावरण को बिगाड़ सकता है। जनहित में सरकार इसे तुरंत वापस ले।

केसी त्यागी का बयान

जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम प्रदर्शित करने के मुजफ्फरनगर पुलिस के आदेश को वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है। त्यागी ने कहा कि धर्म और जाति के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा

इसे लेकर भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि एक सीमित प्रशासनिक दिशानिर्देश के कारण इस तरह का असमंजस हुआ था, मुझे खुशी है कि राज्य सरकार ने जो भी सांप्रदायिक भ्रम पैदा हुआ था उसे दूर किया है। जहां तक नाम का सवाल है तो योगी सरकार ने किसी धर्म के लोगों को यह निर्देश नहीं दिया है। ये आदेश सभी दुकानदारों के लिए है। कांवड़ यात्रा के समय श्रद्धालु खाने पीने की कई चीजों से परहेज करते हैं। इसलिए उनकी श्रद्धा का सम्मान होना चाहिए। इस पर किसी तरह का सांप्रदायिक भ्रम पैदा नहीं करना चाहिए। यह किसी के भले के लिए नहीं है।

 मुजफ्फरनगर पुलिस का बयान

आदेश पर बवाल के बाद पुलिस ने कहा कि सभी दुकानदारों से निवेदन किया गया है कि वे अपनी इच्छा से अपनी दुकानों के बाहर अपना और काम करने वाले लोगों का नाम डिस्पले करें। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि कांवड़िये सावन में कुछ तरह के खाने का परहेज करते हैं। ऐसा आदेश पारित किया गया ताकि कांवड़ियों में किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन न हो और धार्मिक तनाव से बचा जा सके। पुलिस ने अपने बयान में कहा कि पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिनसे कांवड़ियों में कन्फ्यूजन फैलने से कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी।

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