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लखनऊ। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (यूएनडब्ल्यूएफपी) द्वारा राजधानी में फोर्टिफाइड चावल की उपयोगिता व इसकी जागरूकता को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अपर आयुक्त अरुण कुमार ने आयोजित कार्यशाला में इसकी विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि खाद्य सुरक्षा नेट योजनाओं जैसे एवाईवाई (अंत्योदय अन्न योजना), लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (लक्षित जनसंख्या वितरण प्रणाली), पीएम-पोषण और आईसीडीएस के माध्यम से कुपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को कम करने के भारत सरकार की महत्वकांक्षा के रूप में राज्य में फोर्टिफाइड चावल को शुरू किया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए खाद्य फोर्टिफिकेशन व्यापक रूप से स्वीकृत खाद्य -आधारित रणनीतियों में से एक है। कार्यशाला में बताया गया कि अगर राज्य में फोर्टिफाइड चावल खाद्य सुरक्षा नेट योजनाओं के माध्यम से प्रदान किया जाता है, तो यह एनीमिया की स्थिति में सुधार करने की एक बड़ी क्षमता प्रदान करता है। 2003 में प्रकाशित एक पेपर (खाद्य नीति) के अनुसार, भारत को लोहे की कमी वाले एनीमिया के कारण अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.9प्रतिशत नुकसान होता है। फोर्टिफाइड चावल में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी -12 होता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फोर्टिफाइड चावल का उत्पादन मिलिंग प्रक्रिया के दौरान चावल मिलों में 99प्रतिशत आमतौर पर खपत वाले मिल्ड चावल में 1 प्रतिशत फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) जोड़कर किया जाता है। आपूर्ति विभाग के अपर आयुक्त अरुण कुमार ने बताया कि फोर्टिफाइड चावल वितरण के सफल कार्यान्वयन के लिए सामुदायिक जागरूकता और संवेदनशीलता एक महत्वपूर्ण कारक हैं । यूएनडब्ल्यूएफपी ने हाल ही में सामुदायिक संवेदनशीलता के लिए समुदाय, फ्रंटलाइन वर्कर्स, मिड-डे मील रसोइयों, माता-पिता, शिक्षकों और ग्राम प्रधानों जैसे सामुदायिक इन्फ्लूएनसरों के लिए तीन महीने का अभियान पूरा किया है ताकि फोर्टिफाइड चावल पर जागरूकता पैदा की जा सके और इसको ले कर प्रचलित प्लास्टिक चावल जैसी गलत धारणाओं को दूर किया जा सके। इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि स्वाद, उपस्थिति, रंग और खाना पकाने की विधि के मामले में फोर्टिफाइड चावल बिल्कुल सामान्य चावल की तरह है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फोर्टिफाइड चावल की खपत के लिए समुदाय की ओर से किसी भी तरह के व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है। यह कार्यशाला के द्वारा बल्कि देश भर में एनीमिया और कुपोषण से निपटने के महत्व पर मीडिया के साथ इस पूरे अभियान के अनुभवों को साझा करने और जागरूकता लाने का प्रयास किया गया । यूएनडब्ल्यूएफपी के पोषण और स्कूल फीडिंग यूनिट के उप प्रमुख डॉ सिद्धार्थ वाघुलकर ने चावल की फोर्टिफिकेशन प्रक्रिया और यह कुपोषण में किस प्रकार कमी ला सकते हैं इससे संभावित बिन्दुओं पर चर्चा की। वहीं यूएनडब्ल्यूएफपी में कार्यक्रम नीति अधिकारी (पोषण) निरंजन बरियार ने फोर्टिफाइड चावल के आसपास समुदाय में प्रचलित बुनियादी मिथकों और गलत धारणाओं के बारे में बात की और बताया कि इस अभियान ने इन मिथकों को कैसे तोड़ा। मयंक भूषण, वरिष्ठ कार्यक्रम एसोसिएट, खाध फोर्टिफिकेशन, यूएनडब्ल्यूएफपी ने फोर्टिफाइड चावल से संबंधित वीडियो का प्रदर्शन किया।