Getting your Trinity Audio player ready... |
अभिषेक कुमार
लखनऊ, (माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। कर्नल वरुण बाजपेयी एक ऐसा नाम है, जिसने सेना में रहते हुये कई अभूतपूर्व कार्य किये, फिर चाहे वह पहाड़ों की ऊंची चोटियों पर सैनिक स्कूल की स्थापना हो या फिर कश्मीर घाटी में उग्रवादी गतिविधियों को रोकने का जिम्मेदारी, सेना में जब कभी भी चुनौतीपूर्वक कार्यो को सौंपा गया, उन्होंने सभी कार्यो को ईमानदारी और दिलेरी के साथ निभाया। सेना के वरिष्ठ कमांडरो द्वारा वीरता, अदम्य साहस के लिए उनकी समय समय पर सराहना की गई थी। तो वहीं उनको भारत के राष्ट्रपति द्वारा 26 जनवरी 2020 को “विशिष्ट सेवा पदक (वीएसएम) से नवाजा भी गया। सेना का यह जांबाज अफसर मौजूदा समय लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में बतौर रजिस्ट्रार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में उन्होंने संस्थान हित और मरीजों की सेवा के लिए कई अभूतपूर्व कार्य किये।
एसजीपीजीआई अस्पताल में कर्नल वरुण बाजपेयी ने बीते 3 मार्च 2022 को बतौर रजिस्ट्रार पदभार ग्रहण किया। वह सेना से प्रतिनियुक्ति पर अस्तापाल मे सेवाएं दे रहे हैं। रजिस्ट्रार पद पर तैनाती के समय उनके सामने अस्पताल में स्टाफ की कमी से लेकर अस्पताल परिसर में लगातार बढ़ रही चोरी की वारदातों सहित तमाम प्रकार की चुनौतियां उनके सामने खड़ी थी। अस्पताल में मरीजों के बढ़ते दबाव और डाॅक्टरों की कमी से हो रही मरीजों की परेशानी को सबसे पहले दूर करने की पहल की, इसके लिए संस्थान में डाक्टरों के रिक्त पदों के सापेक्ष नये डाॅक्टरों की भर्ती शुरू करवायी, जिससे देश के कोने कोने से आने वाले मरीजों को बिना इलाज न लौटना पड़े। इसके लिए उन्होंने संस्थान और उप्र शासन के बीच एक मजबूत सेतु की तरह काम किया और संस्थान में स्टाॅफ की कमी को दूर किया। उनकी कोशिश है कि अस्पताल में कभी भी स्टाफ और डाॅक्टरों की कमी न होने पाये, ऐसे में वह एक बफर सिस्टम तैयार करने का काम कर रहे हैं। उन्होंने काॅलेज आॅफ नर्सिग में कई सुधारात्मक कार्य किये। जिसके चलते काॅलेज आॅफ नर्सिंग को मेंटरशिप का दर्जा भी प्राप्त हुआ। श्री मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा मिशन निरामय का अस्पताल में शुभारम्भ किया गया है। उन्होंने बताया कि मिशन निरामय का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के केंद्र के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य के साथ छात्रों के लिए आकर्षक करियर विकल्प के रूप में नर्सिंग और पैरामेडिकल सहायता को बढ़ावा देना है। सेना में होने के नाते कर्नल वरुण बाजपेयी ने अस्पताल और आवासीय परिसर की सुरक्षा की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अस्पताल परिसर मंे बढ़ती हुयी चोरियों की रोकथाम के लिए उन्होंने सेना की कार्य्रणाली की तरह सर्च आॅपरेशन चलाया, जिसमें कई लोगों को चिन्हित कर कार्यवाही की, इसके साथ ही पूरे अस्पताल में परिसर को भूतपूर्व सैनिक निगम के पूर्व सैनिकों को सुरक्षा के लिए नियुक्त की गया। इसके साथ ही संस्थान की चारदीवारी पर अवैध कब्जा किये हुये लोगो को हटाया, और संस्थान की जमीन को कब्जामुक्त करायी। उन्होने बताया कि संस्थान में सुरक्षा गार्डो द्वारा रोको और टोको नीति पर काम किया जा रहा है।
कौन है कर्नल वरूण बाजपेयी
कर्नल वरुण बाजपेयी 03 मार्च 2022 से पीजीआई अस्पताल में रजिस्ट्रार पद की जिम्मेदारी का निर्वान कर रहे हैं। उन्हें जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से कमीशन मिला। उन्होंने कश्मीर घाटी और उत्तर पूर्वी सीमा पर उग्रवाद विरोधी कठिन कार्यकाल में काम किया है, जहां वरिष्ठ सेना कमांडरों द्वारा वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए उनकी सराहना की गई थी। अपनी बटालियन की सेवा के दौरान, कर्नल वरुण बाजपेयी, वीएसएम को तब प्रेरणा मिली जब उन्हें मिजोरम में नए सैनिक स्कूल की स्थापना और स्थापना की चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने अकेले दम पर मिजोरम के छिंगछिप में सैनिक स्कूल की स्थापना की और मई 2017 में मिजोरम के मुख्यमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किया। उनकी दक्षता और क्षमता को देखते हुए, उन्हें फिर से झुंझुनू में एक और सैनिक स्कूल स्थापित करने का काम सौंपा गया जो बहुत लंबे समय से अटका हुआ था। समय। उनके प्रयासों के कारण झुंझुनू में सैनिक स्कूल एक विशाल परिसर के साथ रिकॉर्ड समय में चालू किया गया था। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग में सैनिक स्कूल की स्थापना में भी सहायता की। मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने प्रशंसा पत्र के माध्यम से उनके प्रयास की सराहना की। उनकी अथक मेहनत, अनुकरणीय दूरदर्शिता, सावधानीपूर्वक योजना, नेतृत्व और कर्तव्य की पुकार से परे लचीली प्रतिबद्धता के लिए, भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें 26 जनवरी 2020 को “विशिष्ट सेवा पदक (वीएसएम)“ से सम्मानित किया। उन्होंने दो नए सैनिक स्कूलों के संस्थापक प्रधानाचार्य के रूप में उन्होंने शिक्षण और प्रशिक्षण पद्धतियों में अग्रणी सुधार और बदलाव किए और सैनिक स्कूलों में लड़कियों को कैडेट के रूप में शामिल करने की प्रक्रिया भी शुरू की। अकादमिक रूप से वह सोशल वर्क में मास्टर्स (एमएसडब्ल्यू-मानसिक स्वास्थ्य में विशेषज्ञता), एमबीए-ऑपरेशंस मैनेजमेंट, पीजीडीएचआरडी, आपदा राहत और पुनर्वास में पीजी डिप्लोमा और यूजीसी नेट उत्तीर्ण हैं। उन्हें मनोवैज्ञानिक और समूह परीक्षण तकनीकों और प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थान, मसूरी में एडवांस वर्क स्टडीज के लिए डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च, नई दिल्ली में भी प्रशिक्षित किया गया है। उन्हें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एनएचआईडीसीएल) में महाप्रबंधक के रूप में तैनात किया गया है, जहां उन्होंने उत्तराखंड राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों के फास्ट ट्रैक निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और वन मंजूरी में तेजी लाई। उनकी समर्पित सेवाओं के लिए उन्हें “इंडियन अचीवर्स अवार्ड“ से सम्मानित किया गया। संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में कार्यकारी रजिस्ट्रार के रूप में वर्तमान भूमिका में, उन्होंने नर्सिंग और कॉलेज ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी दोनों कॉलेजों के समग्र पुनर्गठन और शिक्षण और प्रशिक्षण की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रजिस्ट्रार के पद का दायित्व संभालते हुये सभी संकाय सदस्यों के समग्र कैडर प्रबंधन, एसजीपीजीआईएमएस में एमडी, एमएस, डीएम,एमसीएच, पोस्ट डॉक्टरल फेलो, पीडीसीसी, पीडीएएफ आदि जैसे विभिन्न शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश, आंतरिक और निकास परीक्षाओं का संचालन शामिल है। वह कॉलेज ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी और कॉलेज ऑफ नर्सिंग में संचालित विभिन्न अन्य स्नातक, स्नातकोत्तर और नर्सिंग पाठ्यक्रमों का सीधे पर्यवेक्षण भी करते हैं। वह कॉलेज ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी और कॉलेज ऑफ नर्सिंग में संचालित विभिन्न अन्य स्नातक, स्नातकोत्तर और नर्सिंग पाठ्यक्रमों का सीधे पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी भी संभालते हैं।
पीजीआई में बढ़ेंगे डाक्टर और रेजिडेंट के पद
पीजीआई रजिस्ट्रार कर्नल वरूण बाजपेयी ने बताया कि संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस) में डाक्टरों और रेजिडेंट की कमी को दूर किया जायेगा। पीजीआई प्रशासन अब जरूरत के आधार पर पदों का सृजन करेगा और इन पर भर्ती की जाएगी।
उन्होंने बताया कि एसजीपीजीआई एमएस में आयुष और एकीकृत चिकित्सा विभाग को शुरू करने के भी निर्देश दिए, जिससे संस्थान को उपचार के प्रति अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिलेगी। पीजीआई में शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के विस्तार और नए पाठ्यक्रमों को शुरू करने की भी मंजूरी दी गई। शोध कार्य के लिए (इंट्राम्यूरल) अनुदान को पांच लाख से बढ़ाकर 10 लाख कर दिया गया है। इससे संकाय सदस्यों के लिए शोध में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। पीजीआई में आयोजित होने वाले विभिन्न राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों और कार्यशालाओं के लिए सांकेतिक समर्थन को भी बढ़ा दिया जाएगा।
तो और बेहरत तरीके से होगा मरीजों का इलाज
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में तीन नये विभाग सिर और गर्दन की सर्जरी, बाल चिकित्सा एंडोक्राइनोलॉजी और संक्रामक रोग व वैक्सीन अनुसंधान विभाग खुलेंगे। सिर और गर्दन के कैंसर की सर्जरी विभाग खुलने से बड़ी संख्या में होने वाले सिर और गर्दन के कैंसर वाले मरीजों का बेहतर और संगठित तरीके से इलाज किया जा सकेगा। बाल चिकित्सा एंडोक्राइनोलॉजी विभाग खुलने के बाद बच्चों में मधुमेह, मोटापा, थायराइड और प्रचलित अन्य विकारों के मामलों का इलाज पूरे ध्यान और समर्पण के साथ किया जा सकेगा। गले के कैंसर, बाल चिकित्सा जटिलताओं और हाल ही में हुई कोविड महामारी को देखते हुए ये नए विभाग बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन नए विभागों में विशेष उपचार की उपलब्धता से उत्तर प्रदेश राज्य को दीर्घकालिक लाभ होगा। उन्होंने बताया कि जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश राज्य में किसी भी अस्पताल में एक समर्पित सिर और गर्दन की सर्जरी विभाग नहीं था। संजय गांधी पी जी आई में यह विभाग सिर और गर्दन के उन कैंसर के रोगियों के उपचार की आवश्यकता को पूरा करेगा, जो उत्तर प्रदेश राज्य में पाए गए कुल कैंसर के मामलों का 21 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार बाल एंडोक्राइनोलॉजी विभाग द्वारा बच्चों में शारीरिक विकास और किशोरावस्था से जुड़ी समस्याओं का उपचार किया जायेगा। ज्ञात हो संस्थान ने 2001 में बाल एंडोक्राइनोलॉजी में पहला औपचारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया था। अब विभाग बनने के बाद मधुमेह, मोटापा, थायराइड और बच्चों में प्रचलित अन्य विकारों के मामलों का इलाज पूरे ध्यान और समर्पण के साथ किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि संक्रामक रोगों की वैक्सीन पर एडवांस तरीके से कार्य किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में कोविड महामारी के बाद संक्रामक रोग और वैक्सीन विकास विभाग की बहुत जरूरत थी। यह नया विभाग विशेष रूप से स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफेलाइटिस, वायरल हेपेटाइटिस और कोरोना जैसे संक्रामक रोगों से निपटेगा।