Getting your Trinity Audio player ready... |
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) और असदुद्दीन ओवैसी की अगुआई वाली ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने गुजरात विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोट में सेंध लगाते हुए राज्य की विभिन्न सीट पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के मतों के अंतर को काफी कम कर दिया. अल्पसंख्यक, मुख्य रूप से मुस्लिम पिछले कई दशकों से खासकर 2002 के गोधरा दंगों के बाद से कांग्रेस के वफादार मतदाता रहे हैं.
बता दें कि राज्य में विधानसभा चुनाव एक और पांच दिसंबर को हुए थे और मतगणना आठ दिसंबर को हुई. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2002 के दंगों के बाद ज्यादातर मौकों पर जातियों से परे हिंदुओं के एकजुट वोट पर ध्यान केंद्रित कर चुनावी गणना की है. उन्होंने कहा कि इससे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कभी राज्य में जीत का फॉर्मूला रही सोशल इंजीनियरिंग की अपनी पुरानी रणनीति केएचएएम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) के घटकों में अपने अल्पसंख्यक वोट को सुरक्षित करने में जुटी रही.
हालांकि, आप और एआईएमआईएम के प्रवेश ने न केवल कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट बैंक को मुश्किल में डाल दिया, बल्कि सत्तारूढ़ बीजेपी को भी मदद पहुंचाई, जिसने चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था. वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने गुजरात विधानसभा चुनाव में पांच सीट पर जीत हासिल की और 13 फीसदी मत हासिल किये.
उसका यह प्रदर्शन उसके द्वारा किये गये जोरदार चुनाव प्रचार और उसके दावों के बिल्कुल अनुकूल नहीं है, लेकिन उसके लिए राष्ट्रीय पार्टी बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया. अभियान के दौरान आप ने अपने और पार्टी संयोजक केजरीवाल को क्रमश: बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एकमात्र चुनौती देने वाले के रूप मे पेश किया था.
गुरुवार को मतगणनना में सामने आया कि पार्टी विपक्षी मतों को बांटने और बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में ही कामयाब रही. वह राज्य में कांग्रेस को मुख्य विपक्षी दल की भूमिका से हटाने में भी विफल रही. हालांकि, पार्टी की गुजरात इकाई के अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने अपनी पार्टी के प्रदर्शन को बीजेपी के गुजरात गढ़ में शानदार प्रवेश बताया.