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बाल गंगाधर तिलक व चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रान्तिकारियों का स्वतंत्रता आंदोलन में अतुलनीय योगदान- प्रो शमा महमूद

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लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में बीते दिनों मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग में देश के दो महान क्रान्तिकारियों लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक व चंन्द्रशेखर आजाद की जयंती बड़े उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभाग से संबधित शोध छात्र-छात्राओं के साथ ही अन्य लोग भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरूवात विभागाघ्यक्ष प्रो शमा महमूद ने मां भारती के वीर सपूतों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर के किया। इस अवसर इन वीर सपूतों के जीवन पर आधारित विभिन्न घटनाओं पर प्रकाश डाला गया। उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुये बताया गया कि स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने वर्ष 1916 में ये नारा दिया था। 23 जुलाई, 1856 को ब्रिटिश भारत में बॉम्बे प्रेसीडेंसी के रत्नागिरी जिले (वर्तमान में भारत का महाराष्ट्र) में हुआ था। बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है। लोकमान्य का शीर्षक भी इन्हीं को दिया गया था। लोकमान्य का अर्थ है लोगों द्वारा स्वीकृत किया गया नेता। लोकमान्य के अलावा इनको हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। एक भारतीय राष्ट्रवादी, पत्रकार, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लोकप्रिय नेता थे। भारत में नये सुधारों को निर्णायक दिशा देने से पहले ही 1 अगस्त 1920 ई. को मुंबई में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी मौत पर श्रद्धाञ्जलि देते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा तो वहीं जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रान्ति का जनक कहा था। वहीं विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं ने अटूट राष्ट्रभक्ति और सर्वाेच्च बलिदान से हर भारतवासी में स्वाधीनता की अलख जगाने वाले अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर नमन किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की आज 116वीं जयंती है। चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। वक्ताओं ने चंद्रशेखर आजाद के स्वतंत्रता आंदोलन में अतुलनीय योगदान की चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि आज एक ऐसे वीर क्रांतिकारी का जन्मदिवस है जिनका नाम बहादुरी, राष्ट्रभक्ति और बलिदान का पर्याय है। आज के युवा देश के प्रति समर्पण की सीख अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद से लें और उनके जीवन को जरूर पढ़ें। साथ ही उनकी छवि अपने में देखे और उनके जीवन के आदर्शो को आत्मसात करें।

 

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