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वो कोचिंग जो तैयार कर रही है ब्यरोक्रेट्स

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नई दिल्ली। यकीन करना मुश्किल होता है लेकिन यह सच है कि दिल्ली में एक ऐसी कोचिंग अकादमी ऐसी है जहां से बीते 11 वर्षो में आईएएस, आईपीएस समेत 270 सिविल सर्वेट बने हैं. एकेडमी के इन सभी 270 छात्रों ने यूपीएससी का एग्जाम पास किया है. इन 11 सालों के अंदर ही यहां से 403 छात्र राज्य लोक सेवा आयोगों के लिए भी चुने गए हैं. 670 से अधिक अफसर तैयार करने वाली जामिया स्थित इस रेजिडेंशियल कोचिंग अकादमी यानी आरसीए ने कभी अपने किसी भी छात्र से कोई फीस नहीं ली है. आरसीए की मदद से आईएएस, आईपीएस बने कई वरिष्ठ अधिकारियों ने यहां आरसीए को लेकर अपने अनुभव साझा किए हैं.
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक पंजाब पुलिस के काउंटर इंटेलिजेंस विभाग में कार्यरत वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हरीश ध्यामा बताते हैं कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा वर्ष 2010 में हैदराबाद, दिल्ली के जामिया और जम्मू कश्मीर में फंड दिया गया जिससे यह कोचिंग अकादमी शुरू हुई. शुरूआती दिनों में यहां छात्रों के रहने की स्थाई व्यवस्था तक नहीं थी. उन्हें किराए के कमरों में रहना पड़ता था और यह किराया अकादमी भर्ती थी. हरीश भी उन्हीं शुरूआती छात्रों में से एक हैं. गौरतलब है कि आरसीए के कुल 23 छात्र इस वर्ष यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने में कामयाब रहे हैं. यहां अल्पसंख्यक, पिछड़े, एससी, एसटी व सभी वर्गों की महिला उम्मीदवारों को दाखिला दिया जाता है। यह दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है.
हरीश बताते हैं कि उन्होंने 2011 में यह अकादमी ज्वाइन की और 2013 में आईपीएस के लिए चुने गए. आईपीएस अधिकारी हरीश बताते हैं कि यहां किसी भी छात्र से कोई फीस नहीं ली जाती बल्कि उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं निशुल्क प्रदान की जाती हैं. चाहे वह मॉक इंटरव्यू हो, लाइब्रेरी और किताबों की जरूरत अकादमी पूरी करती है. मॉक टेस्ट लिए जाते हैं. वर्किंग आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की सलाह यहां पढ़ रहे छात्रों को उपलब्ध होती है और इस सब से भी बढक़र अकादमी में एक ऐसा माहौल तैयार किया जाता है जिससे यहां पढऩे वाले छात्र सदैव प्रेरित रहते हैं.
वह बताते हैं कि अकादमी अपने छात्रों को कभी नहीं भूलती. कोचिंग अकादमी में बकायदा उन छात्रों के नाम रोल पर लिखे गए हैं जो यूपीएससी की विभिन्न परीक्षाओं में सफल हुए हैं. यह यहां पढऩे वाले छात्रों के लिए प्रेरणा का कार्य करता है. वहीं छात्र भी अपने इस संस्थान को सदैव याद रखते हैं. आईपीएस अधिकारी हरीश के मुताबिक जब भी दिल्ली में होते हैं तो अपने इस संस्थान में जरूर पहुंचते हैं. जामिया आरसीए से कोचिंग ले चुके आईएएस अधिकारी आरिफ एहसान जो कि फिलहाल पूर्णिया के म्युनिसिपल कमिश्नर हैं बताते हैं कि वह 2015 में जामिया, आरसीए में शामिल हुए और 2017 में उनका चयन यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 74 के साथ हुआ.
आरिफ एहसान का कहना है कि जामिया मिलिया इस्लामिया उनकी मातृ संस्था भी है, जहां से उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है. आरिफ कहते हैं, मैं जामिया आरसीए के अपने अनुभव साझा करना चाहता हूं. जब कोई उम्मीदवार आईएएस कोचिंग में नामांकित हो जाता है, तो वह कई उम्मीदवारों को एक ही लक्ष्य के लिए लड़ते हुए पाता है, तो आपको प्रतिस्पर्धा के स्तर का अंदाजा हो जाता है. प्रतियोगिता की यह भावना कोचिंग की हवा में प्रतिध्वनित होती है जो आपको हमेशा बेहतर करने के लिए प्रेरित करती है. उन्होंने बताया, इसलिए जब मैंने जामिया आरसीए में प्रवेश लिया तो मुझे बहुत सारे मेधावी छात्र मिले. मैं बहुत भाग्यशाली था कि मुझे इतने अच्छे दोस्त मिले जिन्होंने मेरी तैयारी के दौरान मेरी मदद की और मेरा साथ दिया.
2020 बैच के आईएएस फरमान अहमद खान जोकि एसपीएस नेल्लोर जिले, आंध्र प्रदेश में जिला प्रशिक्षण पूरा करने के बाद लबसना मसूरी में चरण-2 प्रशिक्षण ले रहे हैं. बताते हैं, मैं 2014 से चयन के समय तक यानी यूपीएससी 2019 परीक्षा के माध्यम से आरसीए जामिया का हिस्सा था. आरसीए जामिया ने मेरी सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि मैं वहां एक मासूम छात्र के रूप में आया और एक आईएएस अधिकारी के रूप में गया. यहां पुस्तकालय सुविधाओं ने मुझे अपने अध्ययन कार्यक्रम के अनुसार किसी भी समय अध्ययन करने का अवसर दिया साथ ही वरिष्ठों और सहकर्मियों से सीखने से मुझे अत्यधिक विश्वास और विश्वास मिला कि मैं असफलताओं के बाद भी परीक्षा पास कर सकता हूं. वहीं मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस अधिकारी प्रियंका शुक्ला मंहगी कोचिंग के बाद भी जब सफल नहीं हो सकी तो उन्होंने जामिया आरसीए का रुख किया. आरसीए में आने के बाद वर्ष 2018 में वह कामयाब हुईं और सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 109 रैंक हासिल किया.
इस वर्ष की यूपीएससी टॉपर श्रुति शर्मा भी जामिया आरसीए की ही छात्र हैं. यूपीएससी टॉपर ने बताया कि जामिया आरसीए से कुछ ही मिनटों की दूरी पर दक्षिण दिल्ली में ही उनका घर है. बावजूद इसके उन्होंने उन्होंने घर छोडक़र जामिया की कोचिंग सेंटर में 2 वर्ष तक एकाग्रता से पढ़ाई की. श्रुति अपनी इस कामयाबी के लिए आरसीए की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण मानती हैं. यहां उन्हें उन खामियों का पता लग सका जिसके कारण वह अपने पिछले प्रयास में यूपीएससी पास नहीं कर सकी.

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