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लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यह समय भारतीय संस्कृति, सभ्यता तथा सनातन धर्म का है। संस्कृत को भारतीय संस्कृति का वाहक बनाने के लिए तैयार करना होगा। संस्कृत का संरक्षण करना शासन का दायित्व होना चाहिये। प्रदेश सरकार इस दायित्व का सतत् निर्वहन कर रही है। संस्कृत भाषा तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए गुरुकुल परम्परा हमारी वास्तविक ताकत है। इस परम्परा के कारण ही विपरीत परिस्थितियों में अनेक झंझावातों का मुकाबला करते हुए हमारी सनातन संस्कृति सुरक्षित है तथा प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में दुनिया का मार्गदर्शन कर रही है। प्रदेश भर में युद्ध स्तर पर इस प्रकार के विद्यालय खोले जाने चाहिए जो गुरुकुल की परम्परा को पुनर्जीवित कर सकें।
मुख्यमंत्री आज सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में प्रदेश के समस्त संस्कृत विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने डिजिटल माध्यम से 69,195 विद्यार्थियों के खाते में 586 लाख रुपये छात्रवृत्ति की धनराशि हस्तान्तरित की। उन्होंने 12 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति की धनराशि के प्रतीकात्मक चेक प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 बिहारी लाल शर्मा को विश्वविद्यालय में समारोह के आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह समारोह संस्कृत तथा भारतीय संस्कृति के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जब यहां पर सामूहिकता की भावना के साथ वैदिक मंगलाचरण आदि कार्यक्रम सम्पन्न हो रहे थे, तो भारतीय सनातन धर्म की ऊर्जा के आध्यात्मिक स्वर गुंजायमान हो रहे थे। संस्कृत को समझने के लिए इन स्वरों को अंतःकरण में समाहित करना पड़ता है। श्रद्धाभाव के साथ इन स्वरों के साथ तारतम्य बनाते हुए संस्कृत की ऊर्जा तथा महत्ता की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इस ऊर्जा से सम्पूर्ण प्रदेश को ओतप्रोत करने, युवाओं को इससे युक्त करने तथा प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी को इससे आप्लावित करने के लिए दीपावली पर्व से ठीक पूर्व देश के सबसे प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय में इस समारोह का आयोजन किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गरीब तथा वंचित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने का अभिनन्दनीय प्रयास तो किया गया, लेकिन संस्कृत शिक्षा से जुड़े विद्यार्थियों को उपेक्षित रखा गया। अभी तक संस्कृत के केवल 300 बच्चों के लिए ही स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी। इसमें आय सीमा की बाध्यता भी सम्मिलित कर दी गई थी। इस छात्रवृत्ति के विषय में विद्यार्थियों में जानकारी का अभाव था। प्रदेश सरकार ने संस्कृत के साथ जुड़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी के लिए इस स्कॉलरशिप की व्यवस्था की है। आज इस व्यवस्था का शुभारंभ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से किया जा रहा है। कल तक 69,195 विद्यार्थियों के खाते में छात्रवृत्ति की धनराशि पहुंच जाएगी। जिन बच्चों का किसी बैंक में खाता नहीं है, वह भी अपना खाता तत्काल खुलवायें। प्रदेश सरकार के माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा विभाग इस सम्बन्ध में प्रत्येक विद्यार्थी का खाता खुलवाना सुनिश्चित करें। उनके खाते में वर्ष में दो बार स्कॉलरशिप भेजी जानी चाहिए ताकि उन्हें इस कार्य के लिए कहीं और न भटकना पड़े। प्रदेश में प्रथमा से लेकर आचार्य तक के सभी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति उपलब्ध कराने तथा इसके सम्बन्ध में आवेदन कराने के लिए संस्कृत शिक्षा से जुड़े प्रत्येक संस्थान को प्रयास करना पड़ेगा। अभी तक प्रथमा के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप नहीं मिलती थी। प्रदेश सरकार द्वारा इन विद्यार्थियों को भी स्कॉलरशिप प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में डबल इंजन सरकार द्वारा संस्कृत के सम्बन्ध में आपके योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है। संस्कृत के संरक्षण तथा संवर्धन के लिए आप सभी के स्तर पर प्रयास किया गया है। आज की इस चकाचौंध से भरी दुनिया में हर व्यक्ति भौतिकता के पीछे भाग रहा है। ऐसे वातावरण में भी प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख बच्चे संस्कृत के प्रति अपना जीवन समर्पित करते हुए भारतीय संस्कृति के लिए अपना योगदान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत केवल देववाणी तथा इहलोक व परलोक में संवाद का माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह भौतिक जगत की अनेक समस्याओं का वैज्ञानिक पद्धति से समाधान का माध्यम भी बने, इस सम्बन्ध में विशिष्ट शोध कार्य को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। भारत की प्राचीन संस्कृति पर विशिष्ट शोध को आगे बढ़ाने के लिए ही प्रदेश सरकार ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक विज्ञान का एक केंद्र बनाया है। इसे स्वयं को संस्कृत के शोध का केंद्र बनाना पड़ेगा। संस्कृत में अच्छा शोध कार्य करने तथा थीसिस लिखने वाले शोधकर्ताओं के लिए प्रदेश सरकार स्कॉलरशिप की घोषणा करने जा रही है। जिससे वह अपनी वृत्ति की चिंता किए बिना शोध कार्य कर सकें तथा भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों को दुनिया के सामने रख सकें। यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले दिनों विश्वविद्यालय में संरक्षित पांडुलिपियों का अवलोकन किया। यहां लगभग 75 हजार से अधिक प्राचीन पांडुलिपियां संरक्षित हैं। यहां अलग-अलग विषयों पर विशिष्ट शोधकार्य किए गए हैं। इसके सम्बन्ध में हमें और भी अच्छे ढंग से कार्यों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति के संरक्षण का दायित्व संस्कृत और इसके प्रति अनुराग रखने वाले व्यक्ति ही उठा सकते हैं। इस कार्य में प्रदेश सरकार भरपूर सहयोग प्रदान करेगी।