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सुप्रीम कोर्ट से जीत के बाद संघ 16 अप्रैल को तमिलनाडु में 45 जगहों पर करेगा मार्च

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चेन्नई। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समग्र तमिलनाडु में 16 अप्रैल को 45 स्थानों पर मार्च का आयोजन करेगा। गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार की अपील खारिज कर दी थी। तमिलनाडु सरकार ने यह अपील मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दाखिल की थी, जिसमें आरएसएस को रूट मार्च निकालने की अनुमति दी गई थी। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और पंकज मिथल की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के आरएसएस के रूट मार्च पर आदेश को बरकरार रखा था। मद्रास एचसी के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था, मुख्य रिट याचिकाओं या समीक्षा आवेदनों में न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश में गलती निकालना हमारे लिए संभव नहीं है। इसलिए सभी विशेष अनुमति याचिकाएं खारिज किए जाने योग्य हैं।
तमिलनाडु के आरएसएस अध्यक्ष आर वन्नियाराजन ने बयान में कहा, 1925 में अपने गठन के बाद से आरएसएस हर साल विजयादशमी पर पूरे देश में रूट मार्च आयोजित करती आ रही है। यह कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत के हर हिस्से में आयोजित होने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। हम उम्मीद करते हैं कि आम जनता और अन्य भाई हमारे साथ सार्वजनिक बैठक में शामिल होंगे और बड़ी संख्या में मार्च देखेंगे। हम मार्च आयोजित करने की अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और पुलिस को धन्यवाद देते हैं।’ आरएसएस द्वारा जारी बयान में भी कहा गया है, तमिलनाडु के डीजीपी ने पूरे तमिलनाडु में 45 स्थानों पर रूट मार्च करने के लिए आरएसएस को अनुमति दे दी है। ऐसे में जिला कैडरों संबंधित जिला पुलिस आयुक्तों और पुलिस अधीक्षकों से संपर्क कर 16 अप्रैल 2023 को मार्च निकालने के लिए मार्ग का चयन और अन्य औपचारिकताएं पूरी कर लें।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि उच्च न्यायालय के समक्ष राज्य द्वारा उठाई गई मुख्य आपत्ति यह थी कि किसी अन्य दूसरे संगठन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद कानून-व्यवस्था की समस्याएं कुछ स्थानों पर सामने आईं। इसके कारण कई मामले भी दर्ज किए गए। उन मामलों का विवरण वास्तव में विशेष अनुमति याचिका के आधार के ज्ञापन में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए चार्ट से पता चलता है कि प्रतिवादी संगठन के सदस्य उन कई मामलों में पीडि़त थे और वे अपराधी नहीं थे। इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वे पूरी तरह से आरएसएस के रूट मार्च के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन संवेदनशील स्थानों पर इसकी अनुमति नहीं दे सकते। सर्वोच्च अदालत मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें आरएसएस को राज्य में रूट मार्च करने की अनुमति दी गई थी। 10 फरवरी को मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को राज्य भर के विभिन्न जिलों में सार्वजनिक सडक़ों पर रूट मार्च करने की अनुमति देने का निर्देश दिया था।

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