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सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंचा रोमियो-जूलियट कानून का मामला

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नई दिल्ली। देश में सहमति से किशोरों के यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। दरअसल, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
इस याचिका में तर्क दिया गया है कि अगर कोई नाबालिग लडक़ा-लडक़ी आपसी सहमति से संबंध बनाते हैं और ऐसी परिस्थिति में अगर लडक़ी गर्भवती हो जाती है, तो ऐसे में लडक़े को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है। जबकि इस मामले में लडक़ों को हर बार दोषी ठहराना गलत होता है।
वर्तमान में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे की सहमति महत्वहीन है और ऐसे में यदि कोई भी व्यक्ति कम उम्र के व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाता है, तो उसे यौन उत्पीडऩ का दोषी माना जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत, 16 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म है, चाहे वह आपसी सहमति से ही क्यों न बना हो।
कई विदेशी देशों में पहले से ही रोमियो-जूलियट कानून लागू है। इसके तहत वैधानिक दुष्कर्म के आरोप किशोर यौन संबंध के मामलों में सिर्फ तभी लागू हो सकते हैं, जब लडक़ी नाबालिग हो और लडक़ा वयस्क हो।
साल 2007 के बाद से, कई देशों ने रोमियो-जूलियट कानून को अपनाया है, जो लडक़ों को गिरफ्तारी से बचाता है। सरल शब्दों में कहें तो, यदि किसी लडक़े की आयु नाबालिग लडक़ी से चार साल से अधिक नहीं है, तो वह आपसी सहमति से बनाए गए संबंधों में दोषी नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में याचिकाकर्ता-अधिवक्ता हर्ष विभोर सिंघल ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से गुहार लगाई कि 16-18 आयु वर्ग की लड़कियों के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने के लिए गिरफ्तार किए जाने पर कई लडक़े, जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक थी, वह गलत है।
उन्होंने कहा, कानून के इस अस्पष्ट क्षेत्र, एक विधायी रिक्तता को दिशा-निर्देशों द्वारा भरने की जरूरत है कि सहमति देने वाले वयस्कों को दोषी ठहराने से पहले 16+ से 18 वर्ष के बच्चों की सहमति का आकलन करके वैधानिक दुष्कर्म कानून कैसे संचालित होंगे।
याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए किए गए एक अध्ययन का हवाला दिया, जिसके अनुसार 25-49 वर्ष की आयु वर्ग की 10 प्रतिशत महिलाओं ने अपना पहला शारीरिक संबंध 15 वर्ष की आयु से पहले किया था और 39 प्रतिशत ने 18 वर्ष की आयु से पहले किया था।

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