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लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने दो महिला नेताओं ऋचा सिंह और रोली तिवारी मिश्रा को स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस मामले के सामने आने के बाद से दोनों लगातार पार्टी की नीतियों पर हमलावर हैं। एक टीवी चैनल के लाइव शो के दौरान दोनों ही नेताओं ने जमकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को खरी-खोटी सुनाई। बिना पक्ष जाने और समझे कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिया। रोली मिश्रा तो अपनी बात कहते हुए भावुक हो गईं। फूट-फूटकर रोने लगी। वहीं, ऋचा सिंह ने सधे अंदाज में पार्टी को निशाने पर लिया। दोनों नेताओं ने लगातार स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर आए विवाद के बाद हमलावर रुख अपनाया था। वे स्वामी प्रसाद मौर्य को रामचरितमानस की जगह अन्य मुद्दों की बात करने की सलाह दे रही थीं। इसी क्रम में दोनों को पार्टी से निकालने का आदेश जारी हो गया।
समाजवादी पार्टी की ओर से फैसले पर बात करते हुए ऋचा सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी में समाजवादी शब्द का कोई अर्थ नहीं रह गया है। ऋचा सिंह ने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस समय लंदन में हैं। वहीं से ट्वीट करवा कर हमारे खिलाफ निष्कासन का आदेश जारी करवा दिया गया है। निष्कासन आदेश पर रोली तिवारी मिश्रा ने कहा कि मैं अखिलेश यादव का हमेशा हौसला बनकर खड़ी रही। मुलायम सिंह यादव मेरे पिता की तरह थे। मुझे बिना कारण बताए निकाल दिया गया। भावुक रोली मिश्रा ने कहा कि परिवार को छोडऩे पर रोना आता है। इसके बाद वह फूट-फूटकर रोने लगी। उन्होंने कहा कि मैंने अपने शब्दों से कभी किसी का अपमान नहीं किया। मैंने श्रीराम का नाम लिया तो पार्टी से मुझे निकाल दिया गया।
स्वामी प्रसाद मौर्य की रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी के विरोध में रिचा सिंह और रोली मिश्रा लगातार हमलावर थी। पार्टी से निष्कासन पर रोली मिश्रा ने कहा कि प्रभु श्रीराम के जीवन चरित रामचरितमानस का अपमान किया गया। पवित्र ग्रंथ की प्रतियां जलाई गईं। अपने जूतों के नीचे उन्होंने इसे रखा। पार्टी के स्तर पर भी मैंने इस बात का काफी विरोध किया। यह सब ठीक नहीं हो रहा है, कहा। मैं एक सनातन ब्राह्मण हूं। मैं यह स्वीकार नहीं कर सकती। हमारा संविधान एक पंथ निरपेक्ष राष्ट्र की बात करता है। हमें सभी प्रकार के धर्मों को मानने का अधिकार है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने बहुत सारी बातें कहीं हैं। हम वह भी मानते हैं।
रोली मिश्रा ने कहा कि प्रभु श्रीराम इस देश की आत्मा हैं। यह आस्थाओं का देश है। यहां हमारी आस्थाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। यह बात मैं पार्टी पटल पर लगातार रख रही थी। इसकी प्रतिक्रिया यह हुई कि उन्होंने श्रीरामचरितमानस को जलाया। स्वामी प्रसाद मौर्य के लोगों ने इस प्रकार के कृत्य को अंजाम दिया। इसके बाद मैं मुखर होकर सोशल मीडिया पर उनका विरोध करने लगी। यह सब नहीं होना चाहिए था। पार्टी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को महासचिव बना दिया। हमने तब भी मुखर होकर इसका विरोध किया।
रोली मिश्रा ने कहा कि इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान आता है, जब सपा की सरकार बनेगी तो हम रामचरितमानस की चौपाइयों को बैन कर देंगे। इस पर मैंने उनसे सवाल पूछा था कि 2012 में जब हम सरकार में आए थे, उस समाज स्वामी प्रसाद मौर्य सबसे बड़े विरोधी हुआ करते थे। जनता दल, बसपा, भाजपा से होते हुए अब सपा में आए हैं। पूर्व के दलों में रहते हुए वे सत्ता में थे, तब क्यों नहीं रामचरितमानस को बैन किया? हमारी इन्हीं बातों पर कार्रवाई की गई है। 16 वर्षों तक पार्टी की निष्ठापूर्वक सेवा की। इसका यही परिणाम मिला। यह कहते-कहते रोली मिश्रा की आंखों से आंसू छलक गई।
सपा से निष्कासित ऋचा सिंह ने कहा कि मैंने कोई अनुशासनहीनता नहीं की। हमने रामचरितमानस पर टिप्पणी करने वाले नेता का विरोध किया था। इस कारण मुझे निकाल दिया गया। अगर भगवान श्रीराम और रामचरितमानस के लिए यह सजा मिली है तो यह कुबूल है। हमने पार्टी की 10 वर्षों तक सेवा की। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए लगातार कार्य किया। लेकिन, पार्टी ने बिना कारण बताओ नोटिस के अंसवैधानिक रूप से हम पर कार्रवाई की। इस पर कार्रवाई की गई है।