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लखनऊ। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर बाल निकुंज इंटर कॉलेज में आज विभिन्न प्रकार के सांस्कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों विद्यालय के छात्र और छात्राओं ने हिस्सा लिया। प्रस्तुत किए कार्यक्रमों ने वहां पर मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को अपने सम्मोहन में बांध लिया। छोटे-छोटे बच्चे जब राधा और कृष्ण के रूप में सजेधजे बच्चे विद्यालय के स्टेज पर दिखाई दिए तो उन पर से किसी भी व्यक्ति की आंखें हटाने का मन नहीं हो रहा था। इस अवसर पर विद्यालय के एमडी एचएन जायसवाल, कोआर्डिनेटर सुधीर मिश्रा, गल्र्स विंग की प्रधानाचार्या श्रीमती भगवती भंडारी एवं स्कूल की कई ब्रांचों के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं मौजूद रहे। बाल निकुंज इंटर कॉलेज में आज जन्माष्टमी का पर्व अत्यंत धूमधाम और उल्लास पूर्ण माहौल में मना गया। इस अवसर पर कृष्ण एवं राधा के परिधानों में सजे बच्चों ने वहां पर उपस्थित सभी का मन मोह लिया। इसके साथ ही नन्हें-मुन्ने बच्चों ने कई भक्ति गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस कार्यक्रम के लिए विद्यालय भवन अति सुंदर ढंग से सुसज्जित किया गया था। इस अवसर पर श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित झांकी भी सजाई गई। श्री कृष्ण के जीवन एवं कार्यों पर आधारित एक कहानी भी बच्चों को दिखाई गई। कृष्ण एवं राधा के परिधानों में सजे बच्चे एक सम्मोहन की सृष्टि कर रहे थे। इस अवसर विद्यालय के बच्चों ने श्री कृष्ण के चित्र को आकर्षित ढंग से सुसज्ति किया। इस मौके पर श्री कृष्ण के रूप में बच्चों ने अपनी प्यारी वाणी से कहे गए शब्दों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर बाल निकुंज स्कूल के एमडी एचएन जायसवाल ने बच्चों की वेशभूषा तथा उनके गीतों पर नृत्य और चित्रकारी की प्रशंसा की। श्री जायसवाल ने कहा कि बच्चों को श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर कर्म में विश्वास करना चाहिए। श्री कृष्ण का संपूर्ण जीवन प्रत्येक प्राणी को यही शिक्षा देता है कि व्यक्ति को सदैव हर प्रकार की भावना से ऊपर उठकर अपने कार्मों को लगातार करते रहना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जन्माष्टïमी के विषय में बच्चों को जानकारी बेहद रोचक ढंग से और सरल शब्दों में दी। उन्होंने बच्चों को श्रीकृष्ण के जीवन एवं कृतित्व को समझाया। उन्होंने बच्चों को श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेकर मानव की सेवा के लिए प्रेरित किया। श्री जायसवाल ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को भगवान श्री कृष्ण के जीवन से प्रेरित होकर नि:स्वार्थ रूप से अपने हित से ऊपर उठकर समाज और राष्टï्र के लिए सोचना चाहिए। उनके दिखाए मार्ग पर चलना और उनकी दी गई शिक्षिओं को अंगीकार करना ही भगवान श्री कृष्ण की भक्ति है।