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पीजीआई के डाॅक्टर कर रहे प्रशासनिक कार्य, मरीज हो रहे बेहाल

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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)।  राजधानी के सुपरस्पेशलिटी अस्पताल पीजीआई में प्रशासनिक अफसरों का इस कदर टोटा है कि इन प्रशासनिक अफसरों का काम अस्पताल के बड़े डाॅक्टरों के हवाले है। इन डाॅक्टरों के प्रशासनिक कार्यो में उलझे रहने से मरीजों का हित प्रभावित हो रहा है, जूनियर डाॅक्टरों के भरोसे ओपीडी चल रही है, हालात तो यह है कि आॅपरेशन की आस लिए मरीजों को एक-एक साल बीत जा रहा है, पर आॅपरेशन की तारीख नहीं मिल पा रही, वहीं ओपीडी में भी मरीजों की लाइनें बढ़ती जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सीनियर डाॅक्टर अपना ज्यादातर समय प्रशासनिक कार्यों में लगा देगें तो मरीजों को अच्छा इलाज कैसे मिल पायेगा। बावजूद इसके अस्पताल के निदेशक आर के धीमान की नजर में सब कुछ आॅल इस वेल है। उनका साफ कहना है कि मरीजों का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है, जे.डी. प्रशासन का कार्य देख रहे डा. रजनीश कुमार सिंह की जगह, नई तैनाती जल्द ही की जायेगी।
विभागीय सूत्रों की बात पर यकीन करें तो पीजीआई अस्पताल में अपने चहेते डाॅक्टरों को प्रभार देने का खेल चल रहा है, वजह बताई जा रही है कि अस्पताल में प्रशासनिक अफसरों की कमी के चलते कुछ डाॅक्टरों को दोहरी जिम्मेदारी दी गयी है। इनमें गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के एचओडी डा. रजनीश कुमार सिंह संयुक्त निदेशक प्रशासन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, इनके पास अस्पताल का अधिष्ठान, सामान्य प्रशासन, लीगल जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्यो को देख रहे हैं, वहीं यह आॅनलाइन एक्जाम के नोडल अफसर भी हैं। इनका अधिकतर समय प्रशासनिक कार्यो में ही चला जाता है। वहीं इनके विभाग की ओपीडी जूनियर डाॅक्टरों के भरोसे हैं, गैस्ट्रोसर्जरी विभाग में आॅपरेशन की तारीख न मिलने के कारण मरीजों का बुरा हाल है। वहीं अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. विमल कुमार पाॅलीवाल न्यूरोलाॅजिस्ट हैं इनके भरोसे भी अस्पताल की सारी सर्विसेज, वार्ड मैनेजमेंट सहित अन्य जिम्मेदारी है। इनके विभाग में भी मरीजो भारी भीड़ जमा रहती है। जानकार बताते हैं कि संयुक्त निदेशक और चिकित्सा अधीक्षक की जिम्मेदारी अस्पताल में काफी अहम होती है। दोनों ही पदों पर फुुलटाइम पोस्ंिटग होनी चाहिए, जिससे काम पूरी तरह से सुचारू रूप से चल सके, नही ंतो दोनो ही पदों का काम बस जैसे तैसे चलता रहता है। जिसके कारण मरीजों को की लाइनें और आॅपरेशन की तारीख पर तारीख मिलती रहती है। इसके अलावा इंडोक्राइन सर्जरी के एचओडी डा. गौरव अग्रवाल कान्ट्रैक्ट सेल के फैकल्टी इंजार्ज का काम देख रहे हैं तो वहीं डा. सुजीत (एनेस्थीसिया) अपने पद के साथ कैफेटेरिया सर्विसेज की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। अस्पताल के जाने माने नेफ्रोलाॅजी विभाग के एचओडी डा. नारायण प्रसाद अपने डाॅक्टरी के अलावा फैकल्टी इंचार्ज इंजीनियर का भी काम देख रहे हैं। वहीं ट्रांसप्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर प्रशान्त अग्रवाल भी अस्पताल की सफाई व्यवस्था और बायोमेडिकल वेस्ट सेल का भी काम देख रहे हैं। इसके साथ ही काॅर्डियोलाॅजी विभाग के हेड डा. आदित्य कपूर अस्पताल के एचआरएफ का भी पूरा काम देख रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अस्पताल के सीनियर डाॅक्टरों को दूसरे अन्य कामों में लगाया जायेगा तो मरीजों के अच्छे इलाज का सपना कैसे पूरा हो पायेगा।

क्या कहते हैं निदेशक

निदेशक आर के धीमान

निदेशक आर के धीमान कहना है कि मरीजों का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है, जे.डी. प्रशासन का कार्य देख रहे डा. रजनीश कुमार सिंह की जगह, नई तैनाती जल्द ही की जायेगी।

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