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नर्सिंग के छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के जरिये बचायी फाइलेरिया के मरीज की जान

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लखनऊ। केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा देश और प्रदेश को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए हर स्तर पर गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। सार्वजनिक जगहों पर रैली, गोष्ठियों प्रतियोगिताओं व नुक्कड़ नाटक के जरिये इस गंभीर बीमारी से लोगों को बचाने के लिए जन जागरूकता फैलायी जा रही है। इसी क्रम में बीते दिनों एम.एस. इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग के छात्र-छात्राओं ने शहर के स्वास्थ्य केन्द्रों सीएचसी अलीगंज और सीएचसी इंदिरा नगर में नुक्कड़ नाटक के जरिये लोगों को जागरूक किया। नुक्कड़ नाटक के जरिये फाइलेरिया से बचाव का संदेश दिया गया, जिसमें छात्रों ने इस बीमारी से ग्रसित मरीज का रूप धारण करके बीमारी की भयावता के बारे में बताया, साथ ही यह संदेश भी दिया कि कैसे थोड़ी से सावधानी अपनाकर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। एम.एस. इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किये गये नुक्कड़ नाटक के सजीव मंचन को देख वहां उपस्थित लोगों ने काफी सराहना भी की। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सहित नर्सिंग कॉलेज के स्टाफ भी उपस्थित थे। वहीं नुक्कड़ नाटक में कॉलेज के बीएससी नर्सिंग (चतुर्थ वर्ष) के गौरव, दानिश, रितिक, आकाश, हर्षित, साक्षी, नैंसी,रूबी, दीपेन्द्र, प्रवीण, नम्रता, शिवानी, शिवांगी, सोनी, अनुष्का, संजना और आयुषी ने प्रतिभाग किया।

नाटक के जरिये बीमारी की भयावता व बचाव के लिए किया गया जागरूक

फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिसे हिन्दी में हाथी पांव कहते हैं। फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण आमतौर से बचपन में होता है, मगर इसके लक्षण 5 से 8 साल की उम्र में दिखाई देते हैं। अगर इस बीमारी की समय पर पहचान कर ली जाएं तो शरीर को खराब होने से बचाया जा सकता है। हाथी पांव होने पर इस परेशानी को प्राथमिक अवस्था में रोका जा सकता है लेकिन उसे जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता।

कैसे फैलता है फाइलेरिया

यह बीमारी फाइलेरिया संक्रमण मच्छरों के काटने से फैलती है। ये मच्छर क्यूलेक्स एवं मैनसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं। जिसमें मच्छर एक धागे समान परजीवी को छोड़ता है और ये परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस संक्रमण की शुरूआत बचपन में ही होती है लेकिन बॉडी में इसके लक्षण लम्बे समय बात दिखते हैं। जिस इंसान की बॉडी में ये प्रवेश करता है वो समान्य और स्वस्थ्य दिखता है लेकिन अचानक से कुछ सालों बाद उसकी टांगों, हाथों एवं शरीर के अन्य अंगों में सूजन आने लगती है।

 

यह लक्षण दिखे, तो हो जाये सावधान

फाइलेरिया मच्छरों के काटने से बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल में सूजन भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर मरीज में यह लक्ष्ण दिखाई दे तो बिना देर किये योग्य चिकित्सक से इलाज शुरू करवायें।

फाइलेरिया के मरीज इन बातों का रखे ध्यान

नर्सिंग के छात्र-छात्राओं ने नाटक के जरिये इस बीमारी की रोकथाम को लेकर संदेश दिया कि कुछ बातों को ध्यान में रखकर इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है। जैसे स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो दवा दी जाती है उसे समय पर जरूर ले। इसके साथ ही हाथ पैरों पर अगर कहीं कोई घाव है तो उसे अच्छे से साफ करें और सुखाकर उसपर दवाई लगाएं। फाइलेरिया के मरीज को अपने पैर बिस्तर से छह इंच ऊंचा रखना चाहिए। पैरों को बराबर रख कर रिलेक्स रखना चाहिए। पैरों में हमेशा पट्टे वाली ढीली चप्पल पहने। सूजन वाली जगह को हमेशा चोट से बचाएं। नुक्कड़ नाटक के जरिये बताया गया कि इस बीमारी के फैलने की मुख्य वजह मच्छर हैं इसलिए उनसे बचाव करना जरूरी है। घर के आस-पास सफाई रखें ताकि मच्छर अपना प्रभाव नहीं डालें। घर में कीटनाशक का छिड़काव करें और घर में कहीं भी पानी को जमा नहीं होने दें। सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाएं।

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