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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय द्वारा आयोजित चैथी राष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता में सेमी-फाइनल, फाइनल और समापन समारोह निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित किए गए। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से 35 टीमों ने भाग लिया। प्रारंभिक दौर के 2 चरणों में कठोर मूल्यांकन के बाद, क्वार्टर-फाइनल के लिए 8 टीमों का चयन किया गया। इसके बाद 4 टीमों ने सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई किया। ये टीमें एनएलयू (सोनीपत), गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली कलिंगा विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ और क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बंगलुरू थीं। अंत में फाइनल राउंड का मुकाबला कलिंगा यूनिवर्सिटी और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी की टीमों के बीच हुआ। प्रतियोगिता में गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की टीम विजयी रही। गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की विजेता टीम की सदस्य नियति पांडे, मान्या अरोड़ा और माधवी तिवारी थीं। कलिंगा यूनिवर्सिटी की उपविजेता टीम की सदस्य कोमल पांडे, मिताली ठाकुर और प्रेरणा बोरकर थीं। सर्वश्रेष्ठ वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के निखिल गोयल रहे। बेस्ट रिसर्चर अचल नितेंद्र वी. एम. सालगांवकर कॉलेज ऑफ लॉ, गोवा रहे। बेस्ट मेमोरियल का पुरस्कार शासकीय न्यू लॉ कॉलेज, इंदौर की टीम को दिया गया, जिसमें नियति रविकर, मोहित चैहान, वंश चैहान शामिल थे। अंतिम दौर का निर्णय न्यायमूर्ती राजेश सिंह चैहान, उच्च न्यायालय, इलाहाबाद, लखनऊ पीठ व डॉ. न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार अरोड़ा (सेवानिवृत्त), अध्यक्ष, उ.प्र. रियल एस्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण और प्रोफेसर प्रीति मिश्रा, डीन, विधि संकाय, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा किया गया। समापन समारोह में डा. राधेश्याम प्रसाद, शिक्षक समन्यवक, लखनऊ विश्वविद्यालय मूट कोर्ट एसोसिएशन ने सभी आगंतुकों, शिक्षकों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए धन्यवाद और आभार व्यक्त किया। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति राजेश सिंह चैहान ने उद्घोषणा की कि कानून के छात्र जीवन भर सदैव विद्यार्थी ही रहते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि कानून समाज की बदलती जरूरतों के अनुरूप ढल जाता है। विशिष्ट अतिथि माननीय डॉ. न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार अरोड़ा ने अपनी कुशाग्र बुद्धि से विद्यार्थियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि कानून का पेशा काफी हद तक छात्र जीवन से ही मानदंडों के पालन पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि मूट कोर्ट प्रतियोगिताएं छात्र के ज्ञान के अलावा आत्मविश्वास और तत्परता की भी परीक्षा लेती हैं। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डॉ. प्रीति मिश्रा, डीन, बाबा भीमराव अंबेडकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने छात्रों से वंचितों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील रहने का आग्रह किया, क्योंकि कानून का पेशा जरूरतमंदों की मदद करना है। अंत में, प्रोफेसर डॉ. बंशी धर सिंह, प्रमुख और डीन, विधि संकाय, लखनऊ विश्वविद्यालय अतिथियों का अभार प्रकट किया। धन्यवाद ज्ञापन हेमंत पांडे ,छात्र संयोजक, लखनऊ विश्वविद्यालय मूट कोर्ट एसोसिएशन ने दिया।