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नफरत, नकारात्मकता और निराशा, से भरे भाषण दे रहे मोदी सरकार-कांग्रेस

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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय दुबे व प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के चेयरमैन पूर्व मंत्री डॉ0 सी0पी0 राय, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मीडिया कोऑर्डिनेटर श्रीमती गरिमा मेहरा दसौनी, एवं सुश्री चित्रा निषाद बाथम ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेसवार्ता को संयुक्त रूप से सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुये कहा कि देश की जनता बेरोजगारी-महंगाई फसलों के बढ़ते दाम इत्यादि की बलिवेदी पर मौत को गले लगा रही है। तो वहीं मोदी सरकार निरंतर सत्ता की भूखी है।
उन्हांेने कहा कि बीते नौ सालों में, अर्थात् 2014 से 2022 तक, मोदी सरकार की नाकाम नीतियों की वजह से 12,87,832 भारत के नागरिक आत्महत्या करने को मजबूर किए गए। तथा आज इन सब नाकामियों को छिपाने के लिए मोदी नफरत, नकारात्मकता और निराशा, से भरे भाषण दे रहे हैं। शमशान-कब्रिस्तान, दिवाली-रमजान, हिन्दू-मुसलमान, भारत-पाकिस्तान, मटन-मछली, मंगलसूत्र-भैंस से लेकर काले धन के टैंपों तक आ पहुंचा है। उन्होंने कहा कि मोदी और योगी सरकार के श्मशान और कब्रिस्तान का सच सुनकर आपके रोंगटे खडे हो जायेंगे।
उन्होेंने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में बेराजगारी, भूखमरी व लोगों के आत्महत्या के मामले काफी बढ़ गये हैं। बीते 9 सालों में मोदी सरकार की ‘‘पूंजीपतियों को नमन और किसानों का दमन’’ की नीति के चलते 100474 किसानों ने आत्महत्या की है, जिसमें से 46768 खेतिहर मजदूर हैं। मोदी सरकार ने किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। बीते सात सालों में खेती की लागत 25,000 रु. हेक्टेयर बढ़ा दी। हाल ही में सांख्यिकीय मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि देश के किसानों की औसत आय मात्र 26.67 रु. प्रतिदिन है और औसत कर्ज 74,000 रु. प्रति किसान हो गया है। खुद सरकार ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि समर्थन मूल्य पर किसान की फसलें पर्याप्त मात्रा में नहीं खरीदी जा रहीं और उन्हें बाजार में 40 प्रतिशत तक कम दाम मिल रहे हैं। इतना ही नहीं 2016 से लागू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी निजी कंपनियों को 40,000 करोड़ रु. का मुनाफा हुआ है। ऊपर से पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के तीन काले क्रूर कानूनों ने किसानों को तबाह कर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भारत के भविष्य में अंधकार परोसने का काम कर कर रही है। श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि मोदी सरकार ने 45 वर्षों की भीषणतम बेरोजगारी देश में परोस दी है। भारत का भविष्य छात्र और बेरोजगारों में भयानक निराशा व्याप्त है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि नोटबंदी और गलत जीएसटी से देश के छोटे और मंझोले कारोबार तबाह हो गए हैं, खासकर, असंगठित क्षेत्र के, जिसकी वजह से करोड़ों लोगों ने अपनी नौकरी से हाथ धोया है। उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ती महंगाई, नौकरियों के अवसर समाप्त होना, ये प्रमुख कारण हैं कि गृहणियों को गृह कलह का दंश झेलना पड़ता है और वो इसके समाधान के रूप में मौत को गले लगा लेती हैं। सन 2014 से 2022 के बीच 200615 गृहणियों ने आत्महत्या की है। आज के हालात तो भयावह हैं, खाना बनाने की गैस, 1,000 रु. पार, खाना बनाने का तेल 200 रु. पार, पेट्रोल-डीजल क्रमशः 100 और 90 रु. पार, फल-सब्जियां खाद्यान्न इत्यादि भी महंगाई की भेंट चढ़ गए हैं। यूपी की भाजपा सरकार में भी किसान, बेरोजगार, मजदूर, महिलाओं सहित 22 लोग रोज आत्महत्या करने को विवश हो रहे हैं।

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