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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग उत्तर प्रदेश श्रीमती माला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में शुक्रवार को भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा चलाये जा रहे खनिज अन्वेषण कार्यों को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से निदेशालय में क्षेत्रीय अन्वेषण सत्र 2023-24 में संचालित 05 खनिज अन्वेषण कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ के अधिकारियों के साथ की गई, जिसमें भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ के अमित धारवाड़कर, उपमहानिदेशक, हेमन्त कुमार, निदेशक तकनीकी समन्वय प्रभाग, पुष्पेश नारायण, निदेशक तथा भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय, लखनऊ के डा0 नवीन कुमार दास, अपर निदेशक व प्रभारी अन्वेषण उपस्थित रहे।
बैठक में कार्याे की प्रगति की समीक्षा करते हुए श्रीमती माला श्रीवास्तव ने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि खनिज अन्वेषण कार्यों को और अधिक सुदृढ़ व मजबूत किया जाय।इसके लिए हर सम्भव प्रयास किये जांय। बैठक खनिज भवन, खनन निदेशालय के सभाकक्ष में सम्पन्न हुई। राज्य भूवैज्ञानिक कार्यक्रयी परिषद की 48वीं बैठक में अनुमोदित 05 अन्वेषण कार्यक्रम यथा- जनपद ललितपुर के ग्राम पिपरिया व हंसरा क्षेत्र में पायी गयी प्लेटीनम समूह की धातुओं तथा लखन्जर क्षेत्र में संचालित ग्लोकोनाइट (पोटाश) खनिज की खोज, जनपद झाँसी के मऊरानीपुर में लौह अयस्क की खोज एवं जनपद सोनभद्र के ग्राम ससनई-बसुहारी क्षेत्र में लाइमस्टोन खनिज के प्रारम्भिक अन्वेषण कार्यों की प्रगति की समीक्षा की गयी। परियोजनाओं में कार्यरत भूवैज्ञानिकों द्वारा पी0पी0टी0 के माध्यम से कार्याे का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया ,जिसमें उपमहानिदेशक द्वारा अब तक किये अन्वेषण कार्याे की प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सुझाव दिया गया कि सभी एकत्रित नमूनों का रसायनिक विश्लेषण कराने के उपरान्त भूवैज्ञानिक एवं भूभौतिकी मानचित्रण के आधार पर वेधन कार्य कराये जाने के लिए स्थलों को चिन्हित कर लिया जाये। उनके द्वारा यह भी सुझाव दिया गया कि लौह अयस्क के कुछ नमूनों में स्वर्ण धातु की उपस्थिति की भी संभावना रहती है अतः इस हेतु भी कुछ नमूनों की जांच करा ली जाए। हेमन्त कुमार द्वारा लाइमस्टोन खनिज क्षेत्रों का विस्तार एवं डोलोमिटिक लाइमस्टोन के क्षेत्रों को भी चिन्हित कर नये क्षेत्रों की संभावनाओं पर कार्य किये जाने के सुझाव दिये गये। पुष्पेश नारायण, निदेशक द्वारा भूवैज्ञानिक एवं भूभौतिकी मानचित्र को एक- दूसरे पर सुपर इम्पोज कर चट्टान की वास्तविक स्थिति का आंकलन कर पोटैन्शियल जोन को चिन्हित करने के लिये कहा गया। निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म श्री माला श्रीवास्तव द्वारा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अधिकारियों का आभार व्यक्त करते हुये उनके द्वारा दिये सुझावों को सम्बंधित परियोजनाओं में सम्मिलित किये जाने के निर्देश दिये गये।