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नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) का बड़ा दांव खेला है. गुजरात सरकार के मंत्रिमंडल ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के उद्देश्य से समिति गठित करने को मंजूरी दे दी है. मंत्री हर्ष सिंघवी ने इस बात की जानकारी दी है. इसको लागू करने के मूल्यांकन समिति गठित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन के लिए समिति की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे, इसमें तीन से चार सदस्य होंगे.यह जानकारी केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की तरफ से दी गई है. इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के अपने फैसले की घोषणा की थी.
हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इसे एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है. उनका कहना है कि यह कानून उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारों द्वारा मुद्दों से लोगों का ध्यान महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी से हटाने का प्रयास है. बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में, सत्ता में आने पर यूसीसी को लागू करने का वादा किया गया था.
केंद्र ने इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह संसद को देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है. कानून और न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा कि नीति का मामला जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को तय करना है और इस संबंध में केंद्र द्वारा कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है. मंत्रालय ने शीर्ष अदालत से कहा कि विधायिका को कानून बनाना या नहीं बनाना है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का मतलब है विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम. इसका अर्थ है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो.
समान नागरिक संहिता जिस राज्य में लागू की जाएगी वहां, शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा. कई राजनीतिक नेताओं ने यूसीसी का समर्थन करते हुए कहा है कि इससे देश में समानता आएगी.