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अगर ऐसा हुआ तो… चीफ इंजीनियर बनने की मंशा पर फिर सकता पानी !

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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। मंडी पषिद में नये चीफ इंजीनियर की तैनाती को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुयी है। जैसे जैसे मौजूदा चीफ इंजीनियर के सेवानिवृत्त का समय नजदीक आ रहा है वैसे वैसे चीफ इंजीनियर बनने की लाइन में लगे अधिकारियों की धड़कने भी बढ़ती जा रही हैं। ऐसा भी हो सकता है कि प्रमोशन का लिफाफा बंद होने चीफ इंजीनियर बनने की लाइन में लगे अधिकारियों की मंशा पर पानी भी फिर सकता है, विभाग में चर्चा है कि इस बार चीफ की कुर्सी पर कोई नया चेहरा सभी को हैरान कर सकता है। वहीं कुछ अधिकारियों की तमाम शिकायतें भी मुख्यालय में धूल खा रही हैं,। अगर इन शिकायतों का शासन ने संज्ञान ले लिया तो फिर इनकी चीफ इंजीनियर की मंशा पर पानी फिर सकता है।
दरअसल मंडी परिषद में मौजूदा समय सत्यप्रकाश चीफ इंजीनियर के पद पर तैनात हैं, वह इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त हो रहे है। मंडी परिषद में बीते कुछ सालों का इतिहास है कि पूर्व में जब भी चीफ इंजीनियर के रिटायरमेंट का समय नजदीक आता है, तो उससे कुछ माह पूर्व चीफ इंजीनियर की लाइन में लगे अधिकारियों का प्रमोशन उनकी वरिष्ठता के आधार पर करके उसे मुख्यालय में तैनाती दे दी जाती थी। और फिर पुराने चीफ इंजीनियर के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद इसी पद नये चीफ को तैनाती कर दी जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। दरअसल चीफ इंजीनियर की दौड़ में लगे इंजीनियरों के प्रमोशन की फाइल पर अभी तक कोई निर्णय न होने से अगले चीफ इंजीनियर की कुर्सी को लेकर सस्पेंस बरकार है। विभागीय लोगों की माने तो चीफ इंजीनियर की दौड़ तीन इंजीनियरों का नाम पर चल रहा है। जिसमें सीनियारटी के अधार पर कानपुर मंडल में तैनात गिरधारी लाल आगे हैं, तो वहीं मुरादाबाद और बरेली मंडल में महेन्द्र कुमार और आजमगढ़ और प्रयागराज मंडल का दायित्व संभाल रहे इंदल प्रसाद का नाम चल रहा है। यह सभी अपने मंडलों में बतौर ज्वाइन डायरेक्टर का प्रभार देख रहे हैं। कुछ अधिकारियों की तमाम शिकायतें भी मुख्यालय में धूल खा रही हैं,। अगर इन शिकायतों का शासन ने संज्ञान ले लिया तो फिर इनकी चीफ इंजीनियर की मंशा पर पानी फिर सकता है। वहीं खास बात यह है कि यह सभी लोग अभी उपनिदेशक निर्माण के संवर्ग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, इन सभी की जेडीसी में डीपीसी होनी अभी बाकी है, मौजूदा समय यह डीडीसी के पद पर तैनात है पर जेडीसी का दायित्व निभा रहे हैं। दरअसल डीपीसी न होने से विभाग में चीफ इंजीनियर की कुर्सी को लेकर अभी तक सस्पेंस बरकार है। ऐसे में कई सवाल उठना लाजिमी है कि, क्या कामचलाऊ व्यवस्था के तहत इन्ही तीन अधिकारियों में किसी को अगले चीफ इंजीनियर का प्रभार दिया जा सकता है। और बाद में इनके प्रमोशन की कार्यवाही पूरी होती रहेगी। या फिर मंडी परिषद में चीफ इंजीनियर की कुर्सी पर कोई नया चेहरा आयेगा। सूत्रों की बात पर यकीन करें तो अगर इन्ही तीन इंजीनियरों में से किसी को चीफ इंजीनियर के पद का दायित्व सौंपा गया तो विभाग में एक दूसरे के खिलाफ शिकायतों का दौर भी तेजी से चल पड़ेगा, जो आगे चलकर निदेशक और शासन के बड़े अधिकारियों के लिए सरदर्द बन सकता है। इसीलिए विभाग के अधिकारी फंूक फंूक के कदम रख रहे हैं, फिलहार मंडी परिषद के चीफ इंजीनियर की कुर्सी को लेकर साफ सुथरी और बेदाग अधिकारी की तलाश जारी है।

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