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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः डायनामिक डीएम किताब लिखकर फेमस हुये आइएएस हीरा लाल आज बतौर अध्यक्ष एवं प्रशासक ग्रेटर शारदा आज छोटे किसानों के लिए फायदेमंद किसानाी का मंत्र दिया व इसके साथ ही कम लागत और कम पानी से अधिक सिंचाई के बारीक पहलुओं को बताया। राजधानी के एक होटल में रिवुलिस इरीगेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ग्रेटर शारदा सहायक समादेश विकास प्राधिकारी प्रदेश सरकार द्वारा कमांड एरिया डेवलपमेंट माइक्रो-इरीगेशन पर एक तकनीकी कार्यशाला आयोजित की गयी थी।
कार्यशाला में डॉ हीरा लाल अध्यक्ष एवं प्रशासक ग्रेटर शारदा द्वारा लोगो से जलवायु परिवर्तन पर सोच विकसित करने और जल संरक्षण पर कार्य करने की अपील की है। उन्होंने कहा की हमें खेतों की सिंचाई नहीं बल्कि फसलों की सिंचाई करनी है जिसके लिए पानी की हर एक बूंद का उपयोग करना है। उन्होंने कम पानी में अधिक फसल अधिक सिंचाई पर जोर दिया। डॉ हीरा लाल ने आये हुए समस्त माइक्रो-इरीगेशन के प्रतिनिधियों से अपील की कि वे एक-एक गांव को गोद ले और वहां पर माइक्रो-इरीगेशन की पद्धति को अपना कर एक मॉडल प्रस्तुत करे जिससे प्रेरित होकर अन्य गॉव के लोग भी इस पद्धति को अपना कर जल संरक्षण की दिशा में अपना प्रयास कर सके। कार्यशाला में राजीव यादव अपर आयुक्त ग्रेटर शारदा सहायक परियोजना द्वारा माइक्रो-इरीगेशन की आवयश्कता को फसल उत्पादन में अनिवार्य बताते हुए जल संरक्षण करने पर जोर दिया। कार्यशाला में प्रोफेसर मान सिंह रिटायर्ड प्रोजेक्ट डायरेक्टर वाटर टेक्नोलॉजी सेंटर नई दिल्ली द्वारा ड्रिप इरीगेशन को सबसे श्रेष्ठ माइक्रो-इरीगेशन का तरीका बताया उन्होंने बताया की विगत कई दशकों के प्रयोग से यह सिद्ध हुआ है की ड्रिप इरीगेशन प्रणाली से सभी देसी व विदेशी साग-सब्जियों की खेती में 50ः तक पानी का बचाव हुआ है तथा फसल उत्पादन में 2 से 3 गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने प्याज, लहसुन, कद्दु, भिंडी, लोभिआ, मूंगफली, मसूर के फसलों में माइक्रो-इरीगेशन का उपयोग करने का बल दिया।
प्रोफेसर रुपिंदर ओबेरॉय किरोड़ीमल कॉलेज नई दिल्ली द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया की वर्तमान में विश्व में जल संकट सबसे बड़ी चुनौती है ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह समस्या और भी जटिल होती जा रही है। इस संकट से निजात पाने के लिए हमें नवाचार की आव्यशकता है जिसके लिए माइक्रो-इरीगेशन सबसे उत्तम पद्धति है। कार्यक्रम में रिवुलिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक कौशल जायसवाल द्वारा कहा की रिवोलिस संस्था माइक्रो-इरीगेशन की दिशा में उठाये गए प्रत्येक कदम का समर्थन करती है, उन्होंने बताया की माइक्रो-इरीगेशन से हम पानी की प्रत्येक बूँद का उपयोग कर सकते है विभिन्न जिलों में कमांड डेवलपमेंट के लिए जो भी कार्य किये जायेंगे संस्था उसमे अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी। कार्यशाला में कई तकनीकी सत्र आयोजित किये गए जिसमे माइक्रो-इरीगेशन के उपयोग और उसकी उपयोगिता के सन्दर्भ में विस्तार से चर्चा की गयी। तकनीकी सत्र में रिवुलिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संतोष पाटिल, लाल बहादुर जोशी, अशोक मुद्गल कर, मुनीश गंगवार प्रेजिडेंट मॉडल गांव, आर0 के0 सिंह अपर निदेशक एग्रीकल्चर तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों और माइक्रो -इरीगेशन की कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा अपने-अपने विचार रखे गए. कार्यक्रम का समापन डॉ योगेश बंधू स्टेट कोऑर्डिनेटर वर्ल्ड बैंक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।