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जिम्मेदारों की लापरवाही से अस्पताल बना 10 मासूमों की कब्रगाह

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झांसी मेडिकल कॉलेज में हुये अग्किांड में लापरवाही की इंतहा,  साल दर साल फायर सेप्टी के नाम पर लग रही थी, ऑल इज वेल की रिर्पोट।

झांसी मेडिकल कॉलेज में 10 बच्चों की मौत के बाद उच्च स्तरीय जांच के निर्देष, सरकार ने की आर्थिक मदद की घोषणा

लखनऊ/झांसी,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः उत्तर प्रदेष के झांसी जिले के मेडिकल कॉलेज में हुये भयानक अग्निकांड में कदम कदम पर अस्पताल प्रषासन की लापरवाही उजागर हो रही है। बताया जाता है कि लापरवाही के चलते ही झांसी मेडिकल कॉलेज 10 मासूमों की कब्रगाह बन गया है। उत्तर प्रदेश के झांसी में मेडिकल कॉलेज में बीती 15 नवंबर की रात हुये भीषण अग्निकांड में 10 बच्चों की मौत हो गई थी। इस दौरान कई बच्चे बुरी तरह झुलस भी गए थे, जिनका इलाज किया जा रहा है, वहीं कुछ बच्चों को लोगों के प्रयास से बचा भी लिया गया है।
दस नवजात की मौत से अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया। माता-पिता भी अपने बच्चों को बचाने की गुहार लगाते रहे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शुक्रवार रात करीब पौने ग्यारह बजे वार्ड से धुआं निकलता दिखा। जब तक लोग कुछ समझ पाते, आग की लपटें उठने लगीं। कुछ ही देर में आग ने वार्ड को जद में ले लिया, जिससे भगदड़ मच गई। शिशुओं को बाहर निकालने की कोशिश हुई, पर धुआं एवं दरवाजे पर आग की लपट होने से समय पर बाहर नहीं निकाले जा सके। दमकल की गाड़ियों के पहुंचने पर शिशुओं को बाहर निकाला जा सका। ये सभी बच्चे अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एनआईसीयू) में भर्ती थे। हादसे के पीछे शॉर्ट सर्किट को वजह बताया जा रहा है, लेकिन अब कई लापरवाहियां भी सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि पहले ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर में आग लगी और देखते ही देखते पूरा वार्ड आग की चपेट में आ गया। आपको बता दे कि यह वहीं झांसी जिले का मेडिकल कॉलेज है जहां पर कुछ साल पहले बने इसी वार्ड में सुविधाओं का बखान जोर ष्षोर से किया गया था। फिलहाल पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के निर्देष दिये गये हैं, तो वही सरकार ने इस घटना से पीड़ित लोगो को आर्थिक मदद का ऐलान भी किया है।
आइये जानते है कि अस्पताल प्रषासन ने किस स्तर पर लापवाही बरती जो मासूमों की जिंदगी का काल बन गयी, कितनी मांओं की गोद को सूना कर दिया, अगर मीडिया रिर्पोट्स की माने तो


पहली वजह

अग्निशामक यंत्र की रिफलिंग एक्सपायर
मीडिया रिर्पोट्स की माने 4 साल पहले अग्निशामक यंत्र की रिफलिंग एक्सपायर हो चुकी थी, आग लगने के बाद भी फायर अलार्म नहीं बजा। अगर समय रहते अलार्म बज जाता तो संभवतः इतनी बड़ी घटना होने से रोकी जा सकती थी।

दूसरी वजह

आने-जाने के लिए था एक ही रास्ता
बच्चों को जिस (एनआईसीयू) में रखा गया था, इसके 2 हिस्से थे। अंदर की तरफ एक क्रिटिकल केयर यूनिट थी। यहीं पर सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई, क्योंकि बाहर आने और अंदर जाने के लिए एक ही रास्ता था। इस वजह से अंदर के हिस्से से बच्चों को नहीं बचाया जा सका। कलेक्टर अविनाश कुमार ने भी कहा कि बाहर के हिस्से वाले बच्चे बचा लिए गए, लेकिन अंदर के हिस्से वाले बच्चे काफी झुलस गए।

तीसरी सबसे अहम वजह

नर्स की लापरवाही भी आई सामने
एक प्रत्यक्षदर्शी भगनाव दास ने कहा कि नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर का पाइप जोड़ने के लिए माचिस की तीली जलाई, जिससे आग लग गई। भगवान दास के मुताबिक, बच्चों के वार्ड में एक ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को लगाने के लिए नर्स ने माचिस की तीली जलाई। जैसे ही तीली जली पूरे वार्ड में आग लग गई। आग लगते ही भगवान दास ने अपने गमछे में लपेटकर 3 से 4 बच्चों को बचाया।

पीएम और सीएम ने भी लिया मामले को संज्ञान

इस भयानक अग्किांड के बाद जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नेे पीड़त परिवारवालों को अपनी संवेदना प्रकट की तो वहीं प्रदेष के मुख्यमंत्री ने इस पूरे प्रकरण पर उच्च स्तरीय जांच के निर्देष दिये, इसके साथ पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा भी की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री राहत कोष से मृत बच्चों के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने भी परिजनों को 5 लाख और घायलों के परिजन को 50,000 रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। हादसे की 3 जांच होगी। एक स्वास्थ्य विभाग, दूसरी पुलिस प्रशासन और तीसरी मजिस्ट्रेट स्तर पर होगी।
वहीं झांसी मेडिकल कॉल्ेाज में 10 बच्चों की मौत के मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने बताया कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी और इस हादसे में 10 नवजातों की मौत हो गई। बाकी बच्चों की हालत में सुधार हो रहा है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की मदद देने का ऐलान किया है।

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