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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने, संत डा.मणिभद्र मुनि जी महाराज से की मन की बात

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लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः अन्तर्राष्ट्रीय मानव मिलन के संस्थापक नेपाल केसरी, जैन संत डा.मणिभद्र मुनि जी महाराज ने आज प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर, उन्हें अपनी पुस्तकें भेंट की, इस दौरान भारत-नेपाल के आपसी रिष्ते की मजबूती, सनातन संस्कृति और नेपाल के ओमकार परिवार को और अधिक संगठित करने जैसे तमाम मुद्दो पर चर्चा हुयी। इस दौरान पुनीत मुनि, भाजपा के एमएलसी सलिल विष्नोई, पूर्व संगठन मंत्री राकेष जैन सहित अन्य लोग उपस्थित थे। आपको बताते चले कि सर्वोदय षान्ति पद यात्रा लखनऊ पहंुची, इस यात्रा की षुरूवात 13 जनवरी को दिल्ली से हुयी है। जो आगामी 30 मार्च को नेपाल के पोखरा में प्रवेष करेगी।
दिल्ल्ी से षुरू होकर यूपी के कई जिलों से होते हुये लखनऊ पहुंची सर्वोदय षान्ति यात्रा में संत डा.मणिभद्र मुनि जी महाराज का लोगों ने आषीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद संत डा.मणिभद्र मुनि जी महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात हुयी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सर्वोदय षान्ति पद यात्रा के बारे में जानकारी ली। एक खास मुलाकात में संत डा.मणिभद्र मुनि जी महाराज ने बताया कि मुख्यमंत्री से मिलने के दौरान हिन्दू संस्कृति की रक्षा व उसके अधिक से अधिक प्रचार प्रसार पर खुलकर बात हुयी, जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दु संस्कृति की रक्षा के लिए संतो को आगे आना चाहिए। भारत और नेपाल के रिष्तों और दोनो देषों की संस्कृति मे और मधुरता स्थापित करने के लिए कार्य करते रहना चाहिए। मुख्यमंत्री ने नेपाल के ओमकार परिवार को और अधिक संगठित करने की बात कही। वहीं डा.मणिभद्र मुनि जी महाराज ने मुख्यमंत्री को जैन दर्षन एवं अन्तर्राष्ट्रीय मानव मिलन की सर्वोदय षान्ति पद यात्रा की पुस्तके भेट की। महाराज जी ने सर्वोदय षान्ति पद यात्रा के बारे बताया कि जैन मुनि डॉ. मणिभद्र आजीवन पदयात्री हैं जो वर्ष में 8 माह भ्रमण करते हैं तथा 4 माह विराम रहता है, चतुर्मास में यात्रा नहीं होती। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि जीवन में धर्म, अध्यात्म व ईश्वर के मार्ग पर चलने के लिए सर्वप्रथम अपने मन को नियंत्रित करना आवश्यक है जो अपनी एषणाओं को समाप्त करके ही संभव है। मानव को जन्म के साथ ही सुख दुख मिलना प्रारम्भ हो जाते हैं जो उसके पूर्व जन्म के कर्माे का फल है हम सुख पाकर अहंकार करते है और दुख मे बेहद दुखी हो जाते है यदि हम दुख को स्वीकार न करे तो दुखी नही होगे। अच्छे विचार हमे सन्मार्ग पर ले जाते है सत्संग, मन्दिर हमे सम्यक दृष्टि लेकर जाती है। उन्होंने अपनी सर्वाेदय शान्ति यात्रा की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बीती 13 जनवरी से दिल्ली से षुरू हुयी यह पदयात्रा यूपी के विभिन्न जिलों में ष्षान्ति का संदेष देते हुये आगामी 30 मार्च को नेपाल के पोखरा जिले में प्रवेष करेंगी।

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