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नाथपंथ के जीवंत केंद्र के रूप में स्थापित हो गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ-कुलपति

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लखनऊ/ गोरखपुर,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। भारत-नेपाल मे चल रहे नाथ पंथ से संबंधित कार्यों का संकलन करने, नाथ पंथ पर आधारित इनसाइक्लोपीडिया पर कार्य करने के साथ ही विभिन्न अवधि के प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रमों को शुरू करने के निर्देश गोरखपुर विवि की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने दिया है। कुलपति ने महाराणा प्रताप परिसर स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ भवन का निरीक्षण भी किया।
इसके बाद कुलपति ने शोधपीठ के उपनिदेशक, सहायक निदेशक तथा शोधकर्ताओं के साथ

बैठक करते हुए शोधपीठ को नाथपंथ पर मौलिक शोध करने पर जोर दिया। प्रो टंडन ने कहा कि गोरखपुर शहर नाथपंथ का प्रमुख केंद्र है ऐसे में शोधपीठ नाथपंथ पर आधारित सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों को आयोजित करें। शोधपीठ को नाथपंथ के जीवंत केंद्र के रूप में विकसित करें। कुलपति ने कहा कि शोधपीठ को धर्म, नैतिकता एवं दर्शन की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित करे। उन्होंने शोध अध्येताओं को स्कोपस इनडेक्स में शोधपत्र प्रकाशित करने को कहा। प्रो टंडन ने कहा कि शोधपीठ में संसाधनों की कमी को शीघ्र ही पूरा किया जायेगा। बैठक में कुलपति के समक्ष 2018 में शोधपीठ की स्थापना के बाद सम्पन्न हुये कार्यों तथा आगामी वर्षों में सम्पन्न होने वाले कार्यों की रूपरेखा पावर पॉइंट प्रजेंटेसन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। बैठक में कुलसचिव प्रो. शान्तनु रस्तोगी, शोधपीठ के उपनिदेशक डॉ कुशल नाथ मिश्रा, डा. सोनल सिंह सहायक निदेशक, डॉ. मनोज द्विवेदी, सहायक ग्रन्थालयी, डा. पी. पी. सिंह, चिन्मायानंद, डॉ. सुनील सिंह, हर्षिता, प्रिया, हर्षवर्धन आदि ने सहभागिता की।

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